
Lucknow News: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने पहली बार खुलकर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद पर तीखा हमला बोला है। प्रदेश स्तरीय बैठक में मायावती ने चंद्रशेखर के चरित्र और उनके राजनीतिक इरादों पर सवाल उठाते हुए कहा कि शादीशुदा होकर भी उन्होंने एक महिला का शोषण किया, ऐसे लोग समाज का भला नहीं कर सकते।
उनका यह बयान न सिर्फ दलित राजनीति में हलचल पैदा कर गया है, बल्कि यह संकेत भी दे गया कि आने वाले 2027 के चुनाव में मायावती अब किसी भी चुनौती को हल्के में नहीं लेंगी।
दलित राजनीति में नई जंग की शुरुआत
मायावती ने बैठक में कहा कि चंद्रशेखर जैसे नेता दलित मूवमेंट को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि ऐसे लोगों से सावधान रहें, जो दलित समाज के नाम पर अपनी छवि चमकाते हैं, पर असल में समाज को बांटते हैं।
मायावती का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि अब तक वह चंद्रशेखर पर सीधा हमला करने से बचती रही थीं। लेकिन इस बार उन्होंने मंच से लेकर बैठक तक, हर जगह यह स्पष्ट कर दिया कि बसपा अब “मौन राजनीति” नहीं करेगी।
2027 के चुनाव का नया फार्मूला
मायावती ने अपने नेताओं को साफ संदेश दिया कि अब वक्त है रणनीतिक रूप से आगे बढ़ने का। उन्होंने कहा 2027 का रण जीतने के लिए हमें ‘D’ यानी दलितों की ताकत के साथ अब ‘P’ यानी पिछड़ों पर फोकस करना होगा।
उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे अति पिछड़े वर्गों को जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। मायावती ने कहा, “जब दलितों के साथ अति पिछड़े जुड़ जाएंगे, तो मुस्लिम और ब्राह्मण समाज खुद हमारे साथ आ जाएगा।”
उन्होंने गणित समझाते हुए बताया कि 20 फीसदी दलित वोट पहले से बसपा के साथ हैं, अगर 10 फीसदी अति पिछड़े जुड़ जाएं और 5 फीसदी अन्य वर्गों का समर्थन मिले, तो बसपा फिर सत्ता में वापसी कर सकती है।
आत्मविश्वास से भरी दिखीं मायावती
लखनऊ में 9 अक्टूबर की रैली में लाखों की भीड़ देखकर मायावती का आत्मविश्वास लौट आया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बैठक में वे लंबे समय बाद हंसती और मुस्कुराती नजर आईं। उन्होंने दो घंटे की बैठक में नेताओं से खुलकर बातचीत की और उत्साह से भरा माहौल बना दिया।
उन्होंने कहा कि अब पार्टी को हर बूथ स्तर पर मजबूत बनाना होगा। 15 जनवरी 2026 तक हर क्षेत्र में भाईचारा कमेटी और बूथ गठन पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।
मायावती अब पुराने तेवरों में लौट चुकी हैं। उन्होंने चंद्रशेखर पर निशाना साधकर यह साफ कर दिया है कि दलित राजनीति की “मदर लीडर” अब अपनी जमीन किसी को आसानी से नहीं सौपेंगी। 2027 का रास्ता भले लंबा हो, लेकिन मायावती का संदेश साफ है कि जिसने दलितों को तोड़ने की कोशिश की, वो राजनीति से मिट जाएगा।