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    Home » Kabini Forest Reserve: कर्नाटक का काबिनी वन रिजर्व, जहां हाथी घूमते हैं और बाघ दहाड़ते हैं
    Tourism

    Kabini Forest Reserve: कर्नाटक का काबिनी वन रिजर्व, जहां हाथी घूमते हैं और बाघ दहाड़ते हैं

    Janta YojanaBy Janta YojanaOctober 29, 2025No Comments8 Mins Read
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    Kabini Forest Reserve Karnataka

    Kabini Forest Reserve Karnataka

    Kabini Forest Reserve Karnataka: अगर आप सर्दियों की छुट्टियों के दौरान कोई ट्रिप प्लान कर रहे हैं और आप प्रकृति एवं वन्यजीवों से गहरा लगाव रखते हैं, तो काबिनी आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। कर्नाटक के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बसा काबिनी, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है और अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और शांत वातावरण के लिए मशहूर है। काबिनी नदी के किनारे फैला यह इलाका कभी मैसूर के राजाओं का शिकारगाह हुआ करता था, लेकिन अब यह एक संरक्षित वन्यजीव अभयारण्य के रूप में जाना जाता है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए यह जगह रोमांच और शांति का परफेक्ट मेल पेश करती है।

    आइए जानते हैं काबिनी, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान से जुड़े डिटेल्स के बारे में –

    काबिनी, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास और भौगोलिक महत्व

    काबिनी वन रिजर्व का नाम उसी नदी के नाम पर रखा गया है जो इस पूरे क्षेत्र को जीवन देती है वह है काबिनी नदी। यह नदी वायनाड और नागरहोल के जंगलों के बीच बहती है और कावेरी नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। पहले यह इलाका मैसूर साम्राज्य के राजाओं का पसंदीदा शिकार स्थल था। जहां बड़े स्तर पर शाही शिकार अभियान आयोजित होते थे। स्वतंत्रता के बाद इस क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया और अब यह नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है। यह रिजर्व लगभग 643 वर्ग किलोमीटर में फैला है और दक्षिण भारत के सबसे समृद्ध वन क्षेत्रों में गिना जाता है।

    विशाल हाथियों के झुंडों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है काबिनी का वन्यजीव संसार

    काबिनी का जंगल अपने विशाल हाथियों के झुंडों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। नदी के किनारे हाथियों के परिवारों को पानी पीते, मिट्टी में खेलते और झुंड में चलते देखना किसी अद्भुत दृश्य से कम नहीं लगता। यह क्षेत्र बंगाल टाइगर के लिए भी महत्वपूर्ण आवास है, जो यहां के जंगलों में शान से विचरण करता है। भाग्यशाली पर्यटकों को सफारी के दौरान इन बाघों की झलक मिल जाती है, जो किसी रोमांचक फिल्म के दृश्य जैसा अनुभव कराती है। इसी तरह, तेंदुए भी काबिनी के जंगलों में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इन्हें पेड़ों की डालियों पर आराम करते या झाड़ियों में शिकार की तलाश में देखा जा सकता है। हिरण, सांभर, जंगली भैंसे, गौर, स्लॉथ भालू और कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी यहां के जंगलों को जीवंत बनाते हैं।

    पक्षी प्रेमियों के लिए दुर्लभ खजाना है काबिनी

    काबिनी पक्षियों के लिए भी उतना ही मशहूर है जितना अपने बड़े जानवरों के लिए। यहां करीब 250 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इनमें मालाबार पाइड हॉर्नबिल, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, इंडियन रोलर, ग्रे हेडेड फिश ईगल, वाइट बेलिड वुडपेकर जैसी प्रजातियां आम हैं। खासतौर से सुबह की सफारी के दौरान पक्षियों की चहचहाहट पूरे जंगल को मधुर संगीत से भर देती है।

    जंगल सफारी मानसिक सुकून के साथ रोमांच और प्रकृति का संगम

    काबिनी में सफारी का अनुभव किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए जीवनभर याद रहने वाला होता है। यहां जीप सफारी और बस सफारी दोनों की सुविधा उपलब्ध है। सुबह की जीप सफारी 5:30 बजे से 10 बजे तक, जबकि दोपहर की सफारी 3 बजे से शाम 7 बजे तक आयोजित की जाती है। बस सफारी के लिए समय सुबह 6 बजे से 9 बजे और दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक है। भारतीय पर्यटकों के लिए सफारी शुल्क लगभग 500 रुपये प्रति व्यक्ति, जबकि विदेशी सैलानियों के लिए यह 1700 रुपये तक होता है।

    जीप सफारी के दौरान घने जंगलों में घूमते हुए जब अचानक हिरणों का झुंड दौड़ता है या बाघ की छाया दिखती है, तो यह अनुभव रोमांच, डर और उत्साह का अनोखा मिश्रण होता है।

    नदी पर कोरैकल बोट राइड रोमांच के साथ शांति का अनुभव

    काबिनी नदी में होने वाली कोरैकल बोट राइड यहां का एक और आकर्षण है। पारंपरिक गोल आकार की नाव में बैठकर जब आप नदी की सतह पर तैरते हैं और दूर जंगलों में पक्षियों की आवाज़ें सुनाई देती हैं, तो वह पल किसी ध्यान की तरह सुकून देता है। कई बार किस्मत अच्छी हो तो आप नदी किनारे हाथियों या हिरणों के झुंड को पानी पीते हुए भी देख सकते हैं।

    जंगल के बीच लक्ज़री का आनंद

    काबिनी न सिर्फ अपने जंगल और सफारी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के खूबसूरत रिसॉर्ट्स और लॉज भी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं। इवॉल्व बैक काबिनी

    (Evolve Back Kabini), द सेराय काबिनी(The Serai Kabini),काबिनी रिवर लॉज (Kabini River Lodge), द बाइसन रिज़ॉर्ट (The Bison Resort), रेड अर्थ रिज़ॉर्ट (Red Earth Resort) और मचान वाइल्डरनेस लॉज Machan Wilderness Lodge जैसे होटल्स जंगल के बीच लक्ज़री और नेचर का संतुलन पेश करते हैं। इन रिसॉर्ट्स को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे प्राकृतिक वातावरण के साथ घुल-मिल जाएं, जिससे मेहमानों को प्रकृति के और करीब होने का अहसास होता है।

    घूमने का सही समय और मौसम

    काबिनी वन रिजर्व घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जून के बीच माना जाता है। इस दौरान मौसम ठंडा और सुहावना रहता है, जिससे जंगल सफारी का आनंद दोगुना हो जाता है।

    फरवरी से अप्रैल के बीच का समय सबसे लोकप्रिय है क्योंकि इस दौरान जानवर पानी की तलाश में नदी किनारे आते हैं और उन्हें देखने की संभावना सबसे अधिक होती है। सर्दियों की सुबहों में जंगल धुंध से ढका रहता है, जो पूरे माहौल को रहस्यमय बना देता है।

    आसपास के आकर्षण

    काबिनी से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर नागरहोल टाइगर रिजर्व स्थित है। यह रिजर्व बाघों और तेंदुओं के अलावा गिद्ध, सांभर और गौर जैसी प्रजातियों का भी घर है। इसके अलावा आप वायनाड वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी और बांदीपुर नेशनल पार्क भी घूम सकते हैं, जो कुछ ही घंटों की दूरी पर हैं।

    काबिनी कैसे पहुंचे-

    काबिनी वन रिजर्व तक पहुंचना उतना ही सुंदर अनुभव है जितना वहां रहना। यह कर्नाटक के मैसूर जिले में स्थित है और दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां तक पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल और हवाई तीनों मार्गों का उपयोग कर सकते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से-

    हवाई मार्ग से (By Air)

    काबिनी का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा मैसूर एयरपोर्ट (Mysuru Airport) है, जो लगभग 80 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या कैब के जरिए आप लगभग 2 घंटे में काबिनी पहुंच सकते हैं।

    अगर आप बड़े शहरों से आ रहे हैं, तो बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Kempegowda International Airport) सबसे सुविधाजनक विकल्प है, जो लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

    बेंगलुरु से काबिनी तक का सफर सड़क मार्ग से लगभग 5 से 6 घंटे में पूरा होता है।

    रेल मार्ग से (By Train)

    काबिनी के लिए सबसे नजदीकी प्रमुख रेलवे स्टेशन मैसूर जंक्शन (Mysuru Junction) है।

    यह स्टेशन भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से रेल नेटवर्क द्वारा जुड़ा हुआ है जैसे बेंगलुरु, चेन्नई, कोच्चि, हैदराबाद और मुंबई जैसे बड़े शहरों से इसकी कनेक्टिविटी है। मैसूर स्टेशन से काबिनी वन रिजर्व की दूरी करीब 70 किलोमीटर है। आप यहाँ से कैब, बस या निजी वाहन लेकर लगभग 1.5 से 2 घंटे में गंतव्य तक पहुंच सकते हैं।

    सड़क मार्ग से (By Road)

    काबिनी सड़क मार्ग से पहुंचना बेहद आरामदायक और रोमांचक सफर है।

    बेंगलुरु से दूरी: लगभग 220 किलोमीटर, समय लगभग 5–6 घंटे।

    मैसूर से दूरी: लगभग 70–80 किलोमीटर, समय लगभग 2 घंटे।

    ऊटी से दूरी: लगभग 125 किलोमीटर, समय लगभग 3 घंटे।

    कोयंबटूर से दूरी: लगभग 180 किलोमीटर, समय लगभग 4 घंटे।

    सड़कें अच्छी तरह पक्की हैं और रास्ते में हरियाली, गांव और पहाड़ी इलाके देखने को मिलते हैं।

    आप चाहें तो प्राइवेट कैब, टैक्सी, कार रेंटल सर्विस या केएसआरटीसी (KSRTC) बस के जरिए भी यहां पहुंच सकते हैं।

    बस सेवा (By Bus)

    कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) और कई प्राइवेट बस कंपनियाँ बेंगलुरु, मैसूर और ऊटी से काबिनी के लिए नियमित बस सेवाएं चलाती हैं। आपको एच.डी. कोटे (HD Kote) या अंतरसंथे (Antharasanthe) गांव तक बस मिल जाती है, जो काबिनी के नजदीकी पड़ाव हैं। वहां से स्थानीय टैक्सी या ऑटो से आप अपने रिजॉर्ट या सफारी पॉइंट तक पहुंच सकते हैं।

    यात्रा का सुझाव

    अगर आप पहली बार काबिनी जा रहे हैं, तो मैसूर होते हुए सड़क मार्ग चुनना सबसे बढ़िया रहेगा।

    रास्ते में आने वाले छोटे गांव और खेतों के दृश्य आपकी यात्रा को और भी खास बना देंगे। सफर के दौरान हल्का भोजन और पानी साथ रखें, क्योंकि जंगल क्षेत्र के करीब पहुंचने पर रेस्तरां सीमित मिलते हैं।

    यदि आप सर्दियों (अक्टूबर–फरवरी) में जा रहे हैं, तो हल्के गर्म कपड़े जरूर साथ रखें।

    काबिनी की जंगल सफारी केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि एक यादगार अनुभव बन जाता है। जो आपको प्रकृति की आत्मा से जोड़ देता है। सर्दियों में जब पूरा इलाका हरियाली और ठंडी हवा से भर जाता है, तो यात्रियों के लिए काबिनी एक सपनों की दुनिया बन जाता है।

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