
Kohbar Cave Jamui
बिहार: भारत की धरती अनगिनत अजूबों से भरी पड़ी है।प्रकृति, पहाड़, झीलें नदियां और पोखर यहां तक कि बहने वाली हवाओं से लेकर मिट्टी तक में रहस्य और चमत्कार से जुड़ी मान्यताएं आज भी प्रचिलत हैं। इसी कड़ी में बिहार का जमुई जिला न सिर्फ अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां के जंगलों में छिपे कई रहस्य भी लोगों को आज तक हैरान करते हैं। इन्हीं रहस्यों में से एक है कोहबर गुफा, जो सोनू प्रखंड के घने जंगलों के बीचोंबीच स्थित है। कहा जाता है कि जो भी इस गुफा के भीतर गया, वह कभी लौटकर बाहर नहीं आया। आसपास के ग्रामीणों का दावा है कि इस गुफा के भीतर आज भी ऐसी शक्तियां मौजूद हैं, जिनसे लोग भयभीत रहते हैं। आइए जानते हैं बिहार में मौजूद रहस्यमय कोहबर गुफा के बारे में विस्तार से –
जंगल के बीच छिपा रहस्यमय ठिकाना
जमुई जिला मुख्यालय से करीब 63 किलोमीटर दूर सोनू प्रखंड के बीचोंबीच स्थित कोहबर गुफा तक पहुंचना आसान नहीं है। चारों तरफ फैला घना जंगल, ऊबड़-खाबड़ रास्ते और जंगली जीवों की आवाजें यह सब मिलकर इस जगह को और भी अधिक रहस्यमय बना देते हैं। स्थानीय आदिवासी समुदाय के कुछ ही लोगों को इसके सटीक स्थान की जानकारी है। आम लोगों के लिए यह जगह अब भी किसी रहस्य से कम नहीं है।
गुफा की दीवारों पर आज भी मौजूद हैं यहां उकेरे गए रहस्य
कोहबर गुफा की दीवारों पर बनी आकृतियां सबसे बड़ा रहस्य मानी जाती हैं। यहां दूल्हा-दुल्हन, पालकी और बारात के चित्र बने हुए हैं। जिन्हें देखने पर लगता है मानो किसी ने उस पूरी घटना को पत्थर पर उतार दिया हो। कोई नहीं जानता कि ये आकृतियां कैसे बनीं। लोग मानते हैं कि यह किसी दैवीय शक्ति की रचना है। डर के कारण ग्रामीणों ने गुफा के प्रवेश द्वार को एक बड़े पत्थर से बंद कर दिया है।
एक रात यहां गायब हो गई थी पूरी बारात
कोहबर गुफा से जुड़ी ग्रामीणों में एक किंवदंती प्रचलित है कि बहुत साल पहले एक बारात इस जंगल से होकर गुजर रही थी। रास्ता लंबा होने के कारण वे सभी लोग कोहबर गुफा के पास थोड़ी देर के लिए रुक गए। लेकिन कुछ ही देर में दूल्हा-दुल्हन और पूरी बारात रहस्यमय तरीके से गायब हो गई।
अगले दिन जब गांव वाले वहां पहुंचे, तो गुफा की दीवार पर दूल्हा-दुल्हन और बारात की तस्वीरें खुदी हुई मिलीं। तभी से इस गुफा को कोहबर गुफा कहा जाने लगा। कोहबर का मतलब होता है यानी विवाह का कमरा।
कोहबर गुफा के आसपास आज भी छूट जाती है लोगों की कंपकंपी
स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय इस इलाके में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। कई बार कुछ साहसी लोगों ने गुफा के भीतर जाने की कोशिश की, लेकिन डर और विचित्र घटनाओं के कारण वे लौट आए। लोगों का मानना है कि यह स्थान अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि गुफा के पास खड़ा होना भी दिल की धड़कनें बढ़ा देता है।
फिल्मी कहानी जैसी हकीकत
गुफा से जुड़ी यह कहानी किसी फिल्मी कथा से कम नहीं लगती। यह 1979 में रिलीज हुई फिल्म ‘जानी दुश्मन’ की कहानी से काफी मेल खाती है, जिसमें दुल्हन की डोली अचानक गायब हो जाती है। ठीक उसी तरह कोहबर गुफा की इस घटना में भी पूरी बारात रहस्यमय ढंग से लापता हो गई थी। शायद इसी वजह से लोग आज भी इस जगह के नाम से सिहर उठते हैं।
कोहबर गुफा का रहस्य इतिहासकारों की नजर में
हालांकि इस गुफा के रहस्य पर कोई वैज्ञानिक या पुरातात्विक अध्ययन अब तक नहीं हुआ है, लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि यह जगह प्राचीन जनजातीय सभ्यता का प्रतीक हो सकती है। दीवारों पर उकेरी गई आकृतियां किसी लोककथा या जनमानस की स्मृति को दर्शाती हैं। फिर भी, कोहबर गुफा आज भी अपने भीतर अनगिनत रहस्य समेटे हुए है।
डिस्क्लेमर:
यह आलेख स्थानीय किंवदंतियों, लोककथाओं और ग्रामीण जनश्रुतियों पर आधारित है। इन दावों की कोई आधिकारिक या वैज्ञानिक पुष्टि नहीं की गई है। इसका उद्देश्य केवल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जानकारी साझा करना है।


