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    Home » From Madhubani prints to Silk: हुनर और परंपरा का मेल हैं बिहार के हस्तशिल्प और पारंपरिक साड़ियां
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    From Madhubani prints to Silk: हुनर और परंपरा का मेल हैं बिहार के हस्तशिल्प और पारंपरिक साड़ियां

    Janta YojanaBy Janta YojanaNovember 12, 2025No Comments5 Mins Read
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    Bihar’s Handicrafts

    Bihar’s Handicrafts: भगवान बुद्ध की धरती बिहार सिर्फ अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए ही नहीं बल्कि यहां का पहनावा भी अपनी अलग पहचान रखता है। बिहार की महिलाएं आज भी खास मौकों पर पारंपरिक साड़ियों को सम्मान और गर्व के साथ पहनना पसंद करती हैं। चाहे बात हो भागलपुरी सिल्क की चमकदार रेशमी बुनावट की या मनिहारी साड़ी और मधुबनी प्रिंट के रूप में कलात्मकता की। यहां की हर साड़ी अपने भीतर बिहार की मिट्टी की खुशबू समेटे हुए है। समय के साथ इन पारंपरिक साड़ियों ने आधुनिक डिजाइन का रूप तो जरूर लिया है, लेकिन इनका गहरा जुड़ाव अब भी अपनी परंपरा के साथ कायम है। आइए जानते हैं बिहार की उन पांच साड़ियों और पहनावों के बारे में जो सिर्फ यहां का लोकप्रिय पहनावा ही नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति की पहचान बन हैं –

    1. भागलपुरी सिल्क साड़ी हैं ‘सिल्क सिटी’ की शान

    शादी-ब्याह से लेकर त्योहारों तक, यह साड़ी हमेशा ही महिलाओं के पहनावे का खास हिस्सा होती है।बिहार के भागलपुर को सिल्क सिटी कहा जाता है और यहीं से शुरू होती है भागलपुरी सिल्क की साड़ियों की लोकप्रियता। यह साड़ी खास रेशम के धागों से तैयार की जाती है, जिसकी बनावट हल्की और चमकदार होती है। इसकी एक विशेषता है कि इसका प्राकृतिक रंग और मुलायम टेक्सचर, जो पहनने में बेहद आरामदायक होता है। भागलपुरी साड़ी की शुरुआत करीब 200 साल पहले हुई थी, जब यहां के बुनकरों ने स्थानीय कोकून से रेशम निकालकर साड़ी बुननी शुरू की थी। आज भागलपुरी सिल्क न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी निर्यात की जाती है। इन साड़ियों की कीमत डिज़ाइन और क्वालिटी के आधार पर ₹2,000 से ₹20,000 तक होती है।

    2. टसर सिल्क साड़ी जिनमें मिलती है प्राकृतिक रेशम की शाही झलक

    टसर साड़ी उन महिलाओं की पहली पसंद है जो पारंपरिक होते हुए भी क्लासिक लुक चाहती हैं। बिहार के बांका और जमुई जिलों में मिलने वाला टसर सिल्क भारत के सबसे खूबसूरत रेशमी फैब्रिक में से एक माना जाता है। यह साड़ी जंगली कोकून से तैयार की जाती है, जिससे इसका रंग हल्का सुनहरा और टेक्सचर थोड़ा खुरदुरा होता है। इसकी खासियत है इसका नेचुरल लुक और हल्कापन।

    टसर सिल्क की डिमांड न सिर्फ बिहार में, बल्कि पूरी दुनिया में की जाती है। यह टिकाऊ होती है और हर मौसम के हिसाब से भी आरामदायक रहती है। इसकी कीमत आमतौर पर ₹3,000 से ₹15,000 तक होती है।

    3. मिथिला प्रिंट – लोककला के साथ फैशन ट्रेंड

    मिथिला यानी वर्तमान दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर का इलाका, जहां की कला और संस्कृति की गूंज पूरे भारत में सुनाई देती है। यही से निकला मिथिला प्रिंट जो अब आधुनिक कपड़ों और स्टाईल पर अपनी कला बिखेर चुका है। पहले यह कला दीवारों और पत्तों पर बनती थी, लेकिन अब यही डिजाइन साड़ियों, दुपट्टों और सूट पर नज़र आती है। मिथिला प्रिंट की खासियत है कि इसमें देवी-देवताओं, पक्षियों, फूलों, सूर्य और मछलियों के चित्र बनाए जाते हैं। ये डिजाइन प्राकृतिक रंगों से तैयार किए जाते हैं, जिससे यह कपड़े को एक जीवंत रूप देता है। मिथिला प्रिंट साड़ी की कीमत ₹1,500 से ₹6,000 तक होती है और युवाओं में यह ट्रेंडी एथनिक वियर के रूप में काफी लोकप्रिय हो चुकी है।

    4. मनिहारी साड़ी जो बन चुकी है पूर्णिया की पारंपरिक पहचान

    पूर्णिया जिले की मनिहारी साड़ियां बिहार की ग्रामीण बुनावट की कहानी कहती हैं। यह साड़ी सूती धागों से हाथ से बुनी जाती है और उस पर हल्की कढ़ाई, बूटे और रंगीन बॉर्डर इसे बेहद आकर्षक बनाते हैं।

    मनिहारी साड़ी की खासियत इसकी सादगी में छिपी है। यह रोजमर्रा के पहनावे के लिए आरामदायक और सस्ती होती है। स्थानीय बाजारों में इसकी कीमत ₹800 से ₹2,500 तक होती है। हाल के वर्षों में इन साड़ियों में आधुनिक पैटर्न और डिजिटल प्रिंट जोड़कर इन्हें फैशन का नया रूप दिया जा रहा है।

    5. मधुबनी प्रिंट से सजी साड़ियां परंपरा और कला का आधुनिक संगम

    मधुबनी पेंटिंग की तरह, मधुबनी प्रिंट भी बिहार की कला का एक रंगीन रूप है। इसमें कपड़े पर हाथ से या ब्लॉक प्रिंटिंग के जरिए पारंपरिक चित्र बनाए जाते हैं, जैसे मछली, सूर्य, वृक्ष, देवी-देवता और पक्षी जैसी शुभता से भरपूर आकृतियां इन साड़ियों की खास पहचान होती है।

    मधुबनी प्रिंट साड़ियों की सबसे बड़ी खूबी है कि ये पूरी तरह इको-फ्रेंडली होती हैं। इन पर इस्तेमाल होने वाले रंग प्राकृतिक स्रोतों से लिए जाते हैं, जैसे हल्दी, नीम, और पौधों की जड़ों से बने रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। इन साड़ियों की कीमत आमतौर पर ₹1,000 से ₹7,000 तक होती है। आज मधुबनी प्रिंट न केवल साड़ियों बल्कि सूट, दुपट्टे और टी-शर्ट तक में ट्रेंड बन चुका है। बिहार की साड़ियां सिर्फ पारंपरिक पहनावा नहीं, बल्कि परंपरा, मेहनत और कलात्मकता का संगम हैं।

    डिस्क्लेमर:

    इस लेख में दी गई जानकारी बिहार के पारंपरिक हस्तशिल्प और सांस्कृतिक स्रोतों पर आधारित है। कीमतें और उपलब्धता समय, क्षेत्र और बाजार के अनुसार बदल सकती हैं।

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