
Bageshwar Mein Ghoomne ki Jagah (Image Credit-Social Media)
Bageshwar Mein Ghoomne ki Jagah
Bageshwar Mein Ghoomne ki Jagah: बागेश्वर उत्तराखंड का वह पवित्र जिला है जहाँ आध्यात्मिक विरासत, हिमालयी प्रकृति की सुंदरता और पौराणिक इतिहास एक साथ जीवंत दिखाई देते हैं। सरयू, गोमती और पिंडर नदी के संगम पर बसा यह शहर युगों-युगों से साधना, तपस्या और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। बागेश्वर का नाम भगवान शिव के बागनाथ स्वरूप पर पड़ा, जिनका प्राचीन मंदिर आज भी जिले की पहचान है। यह जिला उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल का एक महत्वपूर्ण तीर्थ-पुरातन नगर है और अपनी धार्मिक मान्यताओं, प्राकृतिक घाटियों, हिमालयी ट्रेकों और ग्रामीण संस्कृति के कारण देश-विदेश के पर्यटकों का प्रिय स्थल है।
धार्मिक और पौराणिक महत्व
बागेश्वर को ‘सिद्धभूमि’ भी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां वागीश्वर ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर दर्शन दिए थे।
यहाँ कई प्राचीन और अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर हैं—
• बागनाथ मंदिर — 7वीं–8वीं शताब्दी का विशाल शिवालय, सरयू और गोमती के संगम पर स्थित। उत्तराखंड के 12 ज्योतिर्लिंग समान महत्व वाले शिवधामों में से एक।
• चंडीका देवी मंदिर — शक्तिपीठ-परंपरा से जुड़ा अत्यंत पवित्र स्थल।
• ब्रह्मकपाल मंदिर — पितृकर्म और श्राद्ध के लिए महत्वपूर्ण।
• वाणेश्वर मंदिर — आदिकालीन शिवमंदिर, जिसकी स्थापना स्वयं भगवान परशुराम द्वारा किए जाने की मान्यता है।
• कांडार देवता मंदिर — बागेश्वर की लोकसंस्कृति और देव-परंपरा का अद्भुत प्रतीक।
मकर संक्रांति पर ‘उत्तरायणी मेला’ उत्तराखंड के सबसे बड़े मेलों में से एक है, जहाँ हजारों श्रद्धालु सरयू–गोमती संगम में पवित्र स्नान करते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य व पर्वतीय आकर्षण
बागेश्वर हिमालय के प्रतिबिंब से घिरा हुआ शांत, सुंदर और अद्भुत जिला है।
• यहाँ से त्रिशूल और नंदा देवी पर्वत शृंखलाओं के भव्य दृश्य दिखाई देते हैं।
• सरयू नदी की घाटियाँ, हरी-भरी पहाड़ियाँ, झरने और स्थानीय ग्रामीण परिवेश इसे नैसर्गिक पर्यटन का प्रमुख स्थल बनाते हैं।
• जिला कई उच्च हिमालयी ट्रेकों के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध है।
मुख्य पर्यटन स्थल और उनकी विशेषताएँ
बैजनाथ मंदिर समूह (गोमती घाटी)
• कत्यूरी राजाओं द्वारा निर्मित 9वीं–12वीं शताब्दी के प्राचीन मंदिर।
• गोमती नदी के पारदर्शी जल में मछलियों के झुंड पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
• यहाँ पारंपरिक लकड़ी की वास्तुकला और शिल्पकारी अद्भुत है।
कौसानी — ‘भारत का स्विट्ज़रलैंड’
• बागेश्वर के समीप स्थित विश्व-विख्यात हिल स्टेशन।
• महात्मा गांधी ने इसे “भारत का स्विट्ज़रलैंड” कहा था।
• हिमालयी शिखरों का 300 किमी पैनोरमिक व्यू—नंदा देवी, त्रिशूल, पंचाचूली।
• अनोखा सूर्योदय और सूर्यास्त यहाँ का मुख्य आकर्षण है।
पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक
• हिमालय का सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्ग।
• कठिनाई मध्यम स्तर की, हर आयु वर्ग के पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध।
• मार्ग में खूबसूरत पर्वतीय गाँव, जलप्रपात और हिमनद दिखाई देते हैं।
कफनी ग्लेशियर ट्रेक
• प्रकृति फोटोग्राफी और पक्षी निरीक्षण का स्वर्ग।
• ऊँचे चरागाह, गहरी घाटियाँ और बर्फीले मार्ग इसे रोमांचक बनाते हैं।
सुन्दरढुंगा घाटी
• रोमांच प्रेमियों के लिए सबसे कठिन और रोमांचकारी घाटियों में से एक।
• चट्टानी घाटियाँ, बर्फीले पर्वत और मनमोहक दृश्य यह घाटी को अनोखा बनाते हैं।
गरुड़ गंगा और पहाड़ी झरने
• प्राकृतिक स्वच्छ वातावरण और मनोहारी पेड़-पौधों से सजा शांत क्षेत्र।
उद्योग, संस्कृति और हस्तशिल्प
बागेश्वर पहाड़ों की परंपरागत बुनकर संस्कृति का केंद्र है—
• गर्म ऊनी वस्त्र जैसे पाखी, पाँचा, दूनाई यहाँ के प्रसिद्ध उत्पाद हैं।
• जैविक खेती, सेब-अखरोट-मंडुवा-झंगोरा जैसे पहाड़ी उत्पादों का उत्पादन।
• स्थानीय लोकनृत्य, छोलिया नृत्य, पारंपरिक वाद्य और देव-समाजरचना यहाँ की सांस्कृतिक पहचान हैं।
कैसे पहुँचें
• निकटतम हवाई अड्डा: पंतनगर एयरपोर्ट (180 किमी)
• निकटतम रेलवे स्टेशन: काठगोदाम रेलवे स्टेशन (150 किमी)
• मुख्य सड़क मार्ग: एनएच-309ए से बागेश्वर नैनीताल, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ से सीधा जुड़ा है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
• अक्टूबर से जून — पर्यटन का सर्वोत्तम समय
• सर्दियों (दिसंबर–फरवरी) में ऊँची जगहों पर बर्फबारी का आनंद लिया जा सकता है।
• मानसून (जुलाई–सितम्बर) में हरी-भरी प्रकृति लेकिन भूस्खलन की संभावना के कारण सावधानी आवश्यक।
पर्यटकों के लिए सुझाव
• ऊँचाई वाले ट्रेक के लिए हल्के-गर्म कपड़े, रेनकोट और ट्रेकिंग शूज़ साथ रखें।
• धार्मिक स्थलों पर स्थानीय परंपराओं का सम्मान करें।
• प्राकृतिक क्षेत्रों में प्लास्टिक का उपयोग न करें।


