एनडीए की बैठक में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से दिखा दिया कि बीजेपी और उनके नेता कुछ भी कर लें, लेकिन चलेगी तो उनकी ही! बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चलाने वाले नीतीश कुमार ने साफ़-साफ़ कह दिया है कि सांप्रदायिक सद्भाव पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
नीतीश कुमार एनडीए की बैठक में बोल रहे थे। जब वह यह बोल रहे थे तो गिरिराज सिंह पीछे की कतार में बैठे थे। उन्होंने बिहार में हुए दंगों का ज़िक्र कर उन्हें उनकी राजनीतिक हैसियत भी बता दी। नीतीश कुमार का यह भाषण इसलिए अहम है क्योंकि अपने भड़काऊ बयानों के लिए मशहूर गिरिराज सिंह ने हाल ही में किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ निकाली थी। उन्होंने ऐसा तब भी किया जब जेडीयू ने आपत्ति जताई। हालाँकि, इसका नतीजा यह रहा कि बीजेपी उस यात्रा से दूर रही।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपनी इस यात्रा के दौरान 19 अक्टूबर को कटिहार में ‘लव, थूक और लैंड जिहाद’ की बात की। इसके साथ ही उन्होंने सीमांचल में ‘रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ’ का मुद्दा उठाया। दरअसल, गिरिराज सिंह की यात्रा जिन ज़िलों से गुजरी, वो मुस्लिम आबादी के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हैं। किशनगंज में 68 फ़ीसदी, कटिहार में 45, अररिया में 43, पूर्णिया में 38 और भागलपुर में 18 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है।
गिरिराज सिंह ने राज्य में राजनीतिक यात्रा निकाली, लेकिन उनकी यात्रा में बीजेपी ही नहीं शामिल हुई। दरअसल, उस यात्रा को विपक्षी दलों ने हिंदुत्व का एजेंडा वाली यात्रा बताया था। उनकी यात्रा में हिंदुत्व का वह एजेंडा था जिसे आरएसएस पूरे देश में चलाना चाहता है। नीतीश कुमार की पार्टी उनकी यात्रा को लेकर असहज थी और इसने गिरिराज सिंह की यात्रा पर आपत्ति जताई थी।
बहरहाल, अब जब उन्होंने एनडीए की बैठक की तो उसमें भी उन्होंने साफ़ संदेश दे दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए खेमे में वापस आने के क़रीब नौ महीने बाद सोमवार को गठबंधन की अपनी पहली बैठक की थी। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हुई यह बैठक काफी अहम थी।
एनडीए के सभी सहयोगियों ने नीतीश के नेतृत्व में 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ने का संकल्प लिया, तो सीएम ने जोर देकर कहा कि चाहे मुस्लिम गठबंधन को वोट दें या न दें, सांप्रदायिक सद्भाव पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
नीतीश अपनी धर्मनिरपेक्ष साख को लेकर काफ़ी चिंतित दिखे। एनडीए की बैठक बुलाने का तात्कालिक कारण कथित तौर पर 13 नवंबर को चार विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव थे। लेकिन द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि ‘बैठक एनडीए के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए बुलाई गई थी, क्योंकि प्रशांत किशोर धीरे-धीरे एक राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रहे हैं, और साथ ही भाजपा को एक सूक्ष्म संदेश देने के लिए भी कि वह अपराध या किसी भी सांप्रदायिक विवाद को बढ़ावा देने के किसी भी प्रयास पर जीरो टॉलरेंस की पुरानी एनडीए नीति पर कायम रहे।’
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार जेडीयू के एक नेता ने कहा, ‘रिकॉर्ड को सही करने के लिए एनडीए की बैठक ज़रूरी थी। नीतीश अकेले एनडीए के नेता हैं और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पर कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए।’ रिपोर्ट के अनुसार एनडीए पर्यवेक्षकों ने पाया कि बैठक में गिरिराज सिंह ने ‘हिंदू गौरव’ का आह्वान करने का कोई प्रयास नहीं किया और इसके बजाय उन्होंने अपने संबोधन का अधिकांश हिस्सा ‘नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सर्वांगीण विकास’ पर केंद्रित रखा।
गिरिराज ने जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह द्वारा उन पर किए गए कटाक्ष को भी नजरअंदाज कर दिया, जिन्होंने कहा था, ‘गिरिराज सिंह की अपनी खासियत हो सकती है, लेकिन एनडीए सांप्रदायिक सद्भाव पर कोई समझौता नहीं करे।’