एक साल में आने वाले प्रत्येक महीने का अपना महत्व होता है और इसी प्रकार, हर माह में पड़ने वाले त्योहार मौसम में होने वाले बदलाव को दर्शाते हैं जो इन्हें सबसे ख़ास बनाते हैं। जैसे कि जनवरी में मकर संक्रांति, फरवरी में बसंत पंचमी, मार्च में होली और अक्टूबर-नवंबर में दिवाली आदि मौसम में होने वाले बदलावों की तरफ संकेत करते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर में नवंबर साल का ग्यारहवां महीना है। इस समय सर्दियां धीरे-धीरे बढ़ने लगती है और लोगों के गर्म कपड़े बाहर आने लगते हैं। ठंडी-ठंडी हवाएं वातावरण को मनोहर बनाती हैं जबकि कोहरा प्रकृति की अपने अंदर समेत लेता है। इसी क्रम में, नवंबर का महीना त्योहारों और पर्वों के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाएगा क्योंकि इस माह में दिवाली, कार्तिक अमावस्या, भाई दूज समेत कई बड़े व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं, जो नवंबर के माह के महत्व को बहुत अधिक बढ़ा रहे हैं।
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इसके अलावा, नए महीने की शुरुआत के साथ ही हम सबके मन में यह जानने की उत्सुकता होती है कि यह महीना अपने साथ क्या कुछ लेकर आएगा? कौन से पर्वों एवं व्रतों को इस माह मनाया जाएगा। इसके अलावा, नवंबर 2024 में राशि चक्र की सभी 12 राशियों के जातकों को जीवन में किस तरह के परिणाम प्राप्त होंगे और किन समस्याओं का आपको सामना करना होगा? इन सभी सवालों के जवाब आपको एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में मिलेंगे इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़ना जारी रखें।
नवंबर 2024 का ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना
नवंबर 2024 के पंचांग की बात करें, तो साल 2024 के ग्यारहवें महीने नवंबर की शुरुआत चित्रा नक्षत्र के अंतर्गत कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि यानी कि 01 नवंबर 2024, शुक्रवार को होगी। वहीं, इस महीने का अंत अनुराधा नक्षत्र के तहत कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात 30 नवंबर 2024 को होगा। इस माह की सबसे विशेष बात यह है कि नवंबर का आरंभ और समाप्ति दोनों ही अमावस्या तिथि पर होगा। नवंबर के पंचांग को जानने के बाद अब हम आपको इस माह से जुड़े कुछ रोचक पहलू बताएंगे।
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नवंबर 2024 का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से नवंबर को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस माह में कई बड़े और प्रमुख पर्वों एवं त्योहारों को मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, नवंबर महीने का आरंभ कार्तिक माह के अंतर्गत होगा जबकि इसका समापन मार्गशीर्ष के तहत होगा। बता दें कि कार्तिक मास का धार्मिक रूप से विशेष महत्व माना गया है जो हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना है। वहीं, ग्रेगोरियन कैलेंडर में कार्तिक माह अक्टूबर और नवंबर में आता है। इस साल कार्तिक मास का आरंभ 18 अक्टूबर 2024 को होगा और इसका अंत 15 नवंबर 2024 को हो जाएगा।
नवंबर का पंचांग तो हमने जान लिया, लेकिन अब जानते हैं इन महीनों के महत्व के बारे में और सबसे पहले शुरुआत करते हैं कार्तिक माह से। यह महीना सभी माह में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है क्योंकि यह भगवान विष्णु को अति प्रिय महीनों में से एक है। इस वजह से हिंदू धर्म में कार्तिक माह को महत्वपूर्ण माना जाता है और यह मास मनुष्य के सभी पापों का नाश कर देता है। साथ ही, उनके जीवन में उत्पन्न संकट एवं कष्टों को दूर करता है। इस माह का पालन पूरे नियम-कायदों से करने पर धन, सुख, समृद्धि, शांति और निरोगी काया की प्राप्ति होती है।
कार्तिक में मां लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा करना शुभ होता है। इस महीने दान-स्नान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक में किये गए स्नान-दान से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं। इस माह में दिवाली, भाई दूज, धनतेरस, देवउठनी एकादशी, तुलसी विवाह, देव दिवाली जैसे बड़े पर्व मनाए जाते हैं। जगत के पालनहार भगवान विष्णु का प्रिय माह कार्तिक अक्षय फल देने वाला कहा गया है। स्वयं भगवान ब्रह्मा ने कार्तिक माह की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है कि “कार्तिक मास सभी महीनों में श्रेष्ठ है और कार्तिक मास में भगवान श्रीहरि विष्णु देवताओं में तथा नारायण तीर्थ (बद्रिकाश्रम) तीर्थों में श्रेष्ठ हैं।”
अब हम बात करते हैं मार्गशीर्ष माह की, इस माह का आरंभ कार्तिक पूर्णिमा के साथ हो जाएगा। मार्गशीर्ष हिंदू वर्ष के बारह महीनों में से नौवें स्थान पर आता है जिसे मगसर, अग्रहायण, अगहन, मंगसिर आदि नामों से भी जाना जाता है। मार्गशीर्ष माह की गणना सनातन धर्म के सबसे पवित्र और शुभ महीनों में होती है। साल 2024 में मार्गशीर्ष का आरंभ 16 नवंबर 2024 को होने जा रहा है और इसका अंत 15 दिसंबर 2024 को होगा।
शास्त्रों में मार्गशीर्ष का वर्णन करते हुए कहा गया है कि “मासोनम मार्गशीर्षोहम्” अर्थात मार्गशीर्ष के समान शुभ कोई दूसरा माह नहीं है। पवित्र धार्मिक ग्रंथ गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं मार्गशीर्ष के बारे में कहा है कि “महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में मैं बसंत हूं।” इससे ही मार्गशीर्ष की शुभता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष में ही सतयुग का आरंभ हुआ था और इस महीने में ही कश्यप ऋषि ने कश्मीर की रचना की थी इसलिए मार्गशीर्ष मास को जप, तप और ध्यान आदि के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
मार्गशीर्ष में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना फलदायी होती है और इस माह में आने वाली एकादशी, द्वादशी और पूर्णिमा के व्रत करने मात्र से मनुष्य को अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही, पवित्र नदियों में स्नान एवं दान करना शुभ होता है। मार्गशीर्ष में संतान से संबंधित आशीर्वाद आसानी से मिल जाता है, तो वहीं चंद्रमा से अमृत तत्व प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष और कार्तिक माह के धार्मिक महत्व के बारे में जानने के बाद अब हम नज़र डालते हैं नवंबर में आने वाले व्रत-त्योहारों पर।
कार्तिक एवं मार्गशीर्ष माह में धन-समृद्धि पाने के लिए करें ये उपाय
कार्तिक माह में करें ये उपाय
करियर में प्रगति और व्यापार में बढ़ोतरी के लिए कार्तिक माह में मंदिर में घी का दान करना शुभ होता है और इसके बाद, भगवान से प्रार्थना करें।जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की पाने के लिए कार्तिक महीने में भगवान विष्णु के मंदिर जाएं और वहां घी का दीपक जलाएं। इसके अलावा, ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय’ का 11 बार जाप करें। जो जातक अपने मनपसंद व्यक्ति से विवाह करने के इच्छुक हैं, उन्हें कार्तिक माह के दौरान स्नान से निवृत होकर तुलसी को जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद, श्रीहरि विष्णु को पीले रंग के फूल चढ़ाएं।वैवाहिक जीवन को सुख-शांति से पूर्ण बनाने के लिए तुलसी के पौधे के आसपास केले के पत्तों का मंडप तैयार करें। साथ ही, उन्हें लाल चुनरी अर्पित करें और उन्हें सुहाग की सामग्री जैसे आलता, सिंदूर, बिछिया, चूड़ी, बिंदी आदि चढ़ाएं। इसके बाद, भगवान विष्णु को रोली, अक्षत आदि से उनका पूजन करें और उन्हें प्रसाद के रूप में बतासे का भोग लगाना चाहिए।
मार्गशीर्ष में करें ये उपाय
मार्गशीर्ष के महीने में प्रतिदिन गीता का पाठ करें क्योंकि यह श्रीकृष्ण का प्रिय माह है इसलिए इस माह में गीता पढ़ना शुभ रहता है।इस महीने भगवान कृष्ण की पूजा पूरे भक्तिभाव के साथ करनी चाहिए। ऐसा करने से वह भक्त से प्रसन्न होते हैं।मार्गशीर्ष माह में लड्डू गोपाल की पूजा और उनकी सेवा विशेष रूप से करनी चाहिए। इस उपाय को करने से आपके दुखों का अंत होता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु को श्रीकृष्ण के अवतार माना जाता है इसलिए इन्हें तुलसी अति प्रिय है। मार्गशीर्ष में भगवान कृष्ण को तुलसी के पत्तों का प्रसाद के रूप में भोग लगाना चाहिए।
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नवंबर 2024 में पड़ने वाले व्रत एवं त्योहार की तिथियां
हिंदू धर्म में एक महीने में अनेक व्रत-त्योहार को मनाया जाता है और इसी क्रम में, नवंबर 2024 में भी सनातन धर्म के सबसे बड़े पर्वों को मनाया जाएगा। तो आइए बिना देर आगे बढ़ते हैं और जानते हैं नवंबर 2024 में आने वाले प्रमुख व्रत-पर्वों की तिथियों पर।
तिथि दिनपर्व/ त्योहार01 नवंबर 2024शुक्रवारदिवाली, कार्तिक अमावस्या02 नवंबर 2024शनिवारगोवर्धन पूजा03 नवंबर 2024रविवारभाई दूज07 नवंबर 2024गुरुवारछठ पूजा12 नवंबर 2024मंगलवारदेवुत्थान एकादशी13 नवंबर 2024बुधवारप्रदोष व्रत (शुक्ल)15 नवंबर 2024शुक्रवारकार्तिक पूर्णिमा व्रत16 नवंबर 2024शनिवारवृश्चिक संक्रांति18 नवंबर 2024सोमवारसंकष्टी चतुर्थी26 नवंबर 2024मंगलवारउत्पन्ना एकादशी28 नवंबर 2024गुरुवारप्रदोष व्रत (कृष्ण)29 नवंबर 2024शुक्रवारमासिक शिवरात्रि
कुछ ऐसा होता है नवंबर में पैदा होने वालों का व्यक्तित्व
वैसे तो हर महीना अपने आप में खास होता है, लेकिन जिस महीने में आपका जन्म होता है, उस महीने के मायने बढ़ जाते हैं। ऐसे में, अगर आपका जन्म 01 नवंबर 2022 से 22 नवंबर के बीच हुआ है, तो आपकी राशि वृश्चिक होती है। इस माह में जन्मे लोग अपने रहस्यों को अपने तक रखने में माहिर होते हैं। हालांकि, यह लोग स्वभाव से बेहद भावुक और संवेदनशील होते हैं। इनमें रचनात्मकता कूट-कूट कर भरी होती है। नवंबर बोर्न जातक थोड़े महत्वाकांक्षी और दबंग प्रवृत्ति के होते हैं।
लेकिन, जिन जातकों का जन्म 22 नवंबर के बाद होता है, उनकी राशि धनु होती है। सामान्य रूप से धनु राशि वाले बहुत आशावादी और साहसी होते हैं। इन लोगों का व्यक्तित्व दूसरे लोगों से हटकर होता है इसलिए यह हमेशा दूसरों से कुछ अलग करने की चाहत में रहते हैं। इनकी यह बात इन्हें दूसरों से अलग बनाती है। इन लोगों के सोचने-समझने का तरीका भी सबसे अलग होता है और ऐसे में, यह जो भी काम अपने हाथ में लेते हैं, उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं।
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जब बात आती है रिश्तों की, तो रिश्ते से लेकर दोस्ती तक के मामले में यह ईमानदार होते हैं। नवंबर के तहत पैदा होने वाले लोग किसी को निराश नहीं करते हैं और हर रिश्ते को बहुत वफ़ादारी से निभाते हैं। यह अपने जीवन में प्राइवेसी को बहुत महत्व देते हैं और अपना कोई राज़ दूसरों को कभी नहीं बताते हैं। इस माह में जन्मे जातक अपने करीबियों का साथ मुश्किल समय में नहीं छोड़ते हैं और अंत तक आपका साथ निभाते हैं।
नवंबर में पैदा होने वाले किसी को भी जानबूझकर चोट नहीं पहुंचाते हैं और जिन लोगों को यह जातक पसंद नहीं आते हैं, वह इनके शब्दों और व्यवहार के आधार पर इन्हें गलत समझ लेते हैं। इस माह में जन्मे लोगों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि यह कही-सुनी बातों पर विश्वास नहीं करते हैं, बल्कि यह सिर्फ वही मानते हैं जिसे इन्होने अपनी आँखों से देखा हो।
शुभ अंक: 03, 01, 07
शुभ रंग: गुलाबी, सफ़ेद और चॉकलेटी
शुभ दिन: गुरुवार, मंगलवार
शुभ रत्न: मोती, मूनस्टोन
नवंबर 2024 में आने वाले बैंक अवकाश
दिनबैंक अवकाशकहाँ-कहाँ मान्य होगा01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)दिवालीसभी राज्य सिवाय आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और तेलंगाना01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)हरियाणा दिवसहरियाणा01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)कन्नड़ राज्योत्सवकर्नाटक01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)कूटमणिपुर01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)पुडुचेरी मुक्ति दिवसपांडिचेरी02 नवंबर 2024 (शनिवार)दिवाली/दीपावलीदमन और दिउ, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश02 नवंबर 2024 (शनिवार)विक्रम संवत नया सालगुजरात03 नवंबर 2024 (रविवार)भाई दूजगुजरात, राजस्थान, सिक्किम, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश07 नवंबर 2024 (गुरुवार)छठ पूजाअसम, बिहार, छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड15 नवंबर 2024 (शुक्रवार)गुरु नानक जयंतीसभी राज्य सिवाय आंध्र प्रदेश, बिहार, दादरा और नागर हवेली, दमन और दिउ, गोवा, कर्नाटक, केरल, मणिपुर,मेघालया, उड़ीसा, पांडिचेरी, सिक्किम, तमिलनाडुऔर त्रिपुरा15 नवंबर 2024 (शुक्रवार)कार्तिक पूर्णिमाउड़ीसा और तेलंगाना18 नवंबर 2024 (सोमवार)कनकदास जयंतीकर्नाटक22 नवंबर 2024 (शुक्रवार)ल्हाबब ड्यूंचनसिक्किम23 नवंबर 2024 (शनिवार)सेंग कुट स्नेममेघालय
यहां हमने आपको अवगत करवाया नवंबर 2024 में पड़ने वाले बैंक अवकाशों से। अब हम आपको इस महीने मनाये जाने वाले त्योहारों के धार्मिक महत्व की जानकारी प्रदान करेंगे।
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नवंबर में पड़ने वाले व्रतों एवं त्योहारों का धार्मिक महत्व
दिवाली (01 नवंबर 2024, शुक्रवार): दिवाली का इंतज़ार हिंदुओं को साल भर रहता है जो हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। कहते हैं कि इस दिन भगवान राम, भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास पूरा करके अयोध्या वापिस लौटे थे। पंचांग के अनुसार, दीपावली का पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और यह पूरे पांच दिन चलता है जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भैया दूज पर होता है।
कार्तिक अमावस्या (01 नवंबर 2024, शुक्रवार): साल भर में आने वाली प्रत्येक अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है कार्तिक अमावस्या जो हर साल कार्तिक माह में आती है और इस दिन ही दिवाली का पावन त्योहार मनाया जाता है। यह अमावस्या पितरों का तर्पण और दान-पुण्य के लिए श्रेष्ठ रहती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, महाभारत के शांतिपर्व में स्वयं भगवान कृष्ण ने कार्तिक अमावस्या का महत्व बताते हुए कहा है कि ‘यह मेरा प्रिय दिन है और इस दिन मेरी वंदना से मनुष्य के समस्त ग्रह दोष दूर हो जाएंगे। कार्तिक अमावस्या की रात को सबसे अंधेरी रात कहा जाता है इसलिए इस दिन दीपक जलाने से अंधेरा दूर हो जाता है।
गोवर्धन पूजा (02 नवंबर 2024, शनिवार): गोवर्धन पूजा का संबंध द्वापर युग से है और यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस पर्व को प्रकृति और मानव के बीच संबंध का प्रतीक माना गया है जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन का पर्व मनाया जाता है जो कि दिवाली के अगले दिन आता है। इस त्योहार की एक अलग ही रौनक मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना आदि में देखने को मिलती है।
भाई दूज (03 नवंबर 2024, रविवार): भाई दूज भाई-बहन के पवित्र बंधन और स्नेह का प्रतीक है जो कि भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है। दिवाली के पांच दिनों का यह अंतिम दिन होता है और इस दिन प्रत्येक बहन अपने भाई का तिलक करके उसकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती है। भाई दूज पर यमराज और यमुना जी की भी पूजा की जाती है।
छठ पूजा (7 नवंबर 2024, गुरुवार): छठ पर्व सूर्य देव एवं छठी मैया को समर्पित भारत का एक बड़ा एवं महत्वपूर्ण त्योहार है। यह एक लोकपर्व है जो कि छठ पूजा या सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा को हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर किया जाता है जो कि दिवाली के 6 दिन बाद आती है। बिहार समेत उत्तर भारत के राज्यों झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पूजा को बहुत उत्साह से मनाया जाता है।
देवउठनी एकादशी (12 नवंबर 2024, मंगलवार): सनातन धर्म के लिए देवउठनी एकादशी विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस तिथि पर चार महीनों की निद्रा के बाद भगवान विष्णु जागते हैं। इसी के साथ, एक बार फिर से शुभ एवं मांगलिक कार्यों का आरंभ हो जाता है। देवउठनी एकादशी दिवाली के बाद आती है। बता दें कि देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पड़ती है जो कि देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
प्रदोष व्रत (कृष्ण) (13 नवंबर 2024, बुधवार): हिंदू धर्म में प्रत्येक माह में कई तरह के व्रतों को सच्चे मन और आस्था के साथ किया जाता है और प्रदोष व्रत भी इन्हीं में से एक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि प्रदोष व्रत को करने से भक्त को दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। जो जातक इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कार्तिक पूर्णिमा (15 नवंबर 2024,शुक्रवार): एक वर्ष में आने वाली सभी पूर्णिमा तिथि को शुभ माना जाता है और इन्हीं तिथियों में से एक कार्तिक पूर्णिमा है। पंचांग में कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं और इस पूर्णिमा के संबंध में मान्यता है कि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया था इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।
वृश्चिक संक्रांति (16 नवंबर 2024, शनिवार): नवग्रहों के “राजा” कहे जाने वाले सूर्य देव जगत को जीवन प्रदान करते हैं जो कि प्रत्येक महीने एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। सूर्य महाराज जब अपना राशि परिवर्तन करते हैं, तो उस घटना को संक्रांति कहा जाता है। अब इसी क्रम में सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं इसलिए इस संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति कहा जाएगा। हालांकि, जिस दिन सूर्य अपना गोचर करते हैं, वह दिन सभी तरह के शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। बता दें कि सूर्य ग्रह का गोचर एक वर्ष में 12 बार होता है।
संकष्टी चतुर्थी (18 नवंबर 2024, सोमवार): हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करने का विधान है जो कि विघ्नहर्ता गणेश को समर्पित होता है। संकष्टी चतुर्थी के व्रत से जुड़ी मान्यता है कि इस व्रत को जो भक्त सच्चे मन से करता है, उसके जीवन से भगवान गणेश सारे दुखों एवं बाधाओं को हर लेते हैं। यही वजह है कि संकष्टी चतुर्थी पर श्रीगणेश की पूजा पूरे विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक की जाती है।
उत्पन्ना एकादशी (26 नवंबर 2024, मंगलवार): एक वर्ष में कुल 24 एकादशी तिथि आती है और इनमें से एक उत्पन्ना एकादशी को बहुत शुभ माना जाता है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था इसलिए इसका नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा। बता दें कि देवी एकादशी को श्रीहरि विष्णु का शक्ति स्वरूप माना गया है। कहते हैं कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से जातक के पूर्व और वर्तमान जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।
मासिक शिवरात्रि (29 नवंबर 2024, शुक्रवार): हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि को महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि एक वर्ष में 12 बार आती है। हर माह में आने वाली शिवरात्रि यानी कि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि कहते हैं। यह व्रत भगवान शिव की कृपा एवं आशीर्वाद पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से भक्त के जीवन में उत्पन्न सभी समस्याओं का अंत होता है और आपकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं।
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नवंबर मासिक भविष्यवाणी 2024: 12 राशियों का राशिफल
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए साल 2023 की तुलना में वर्ष 2024 अनुकूल रहेगा क्योंकि इस दौरान शनि और बृहस्पति आपकी चंद्र राशि में……(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
नवंबर के महीने में शनि आपके दसवें भाव में और बृहस्पति पहले भाव में मौजूद होंगे। जबकि राहु ग्यारहवें भाव में और केतु पांचवे……(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
नवंबर 2024 में प्रमुख ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल नज़र आ रही है। बृहस्पति आपके बारहवें भाव में, शनि नौवें भाव के स्वामी के रूप में …(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
नवंबर 2024 में प्रमुख ग्रहों की स्थिति की बात करें तो राहु प्रतिकूल रहेंगे जबकि बृहस्पति ग्यारहवें भाव में, सातवें और आठवें के स्वामी …(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
नवंबर 2024 में प्रमुख ग्रहों की स्थिति को ज्यादा अनुकूल नहीं कहा जा सकता है क्योंकि राहु की आठवें भाव में स्थिति …(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
नवंबर 2024 में प्रमुख ग्रहों की स्थिति की बात करें तो, सातवें भाव में बैठे राहु की स्थिति अनुकूल नहीं कही जाएगी। लेकिन,…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
इस महीने प्रमुख ग्रहों की स्थिति के बारे में बात करें तो यह अनुकूल नजर आ रही है। बृहस्पति अष्टम भाव में स्थित रहेगा, राहु छठे भाव में स्थित रहेगा, जिससे आपके…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
नवंबर के महीने में प्रमुख ग्रहों की स्थिति के बारे में बात करें तो राहु की स्थिति अनुकूल नजर नहीं आ रही है, बृहस्पति सप्तम भाव में स्थित रहेगा, शनि इस…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
इस महीने नवंबर 2024 में प्रमुख ग्रहों की स्थिति के बारे में बात करें तो राहु चतुर्थ भाव में स्थित है, गुरु छठे भाव में स्थित है जिन्हें प्रतिकूल…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
नवंबर 2024 में, प्रमुख ग्रहों की स्थिति के बारे में बात करें तो राहु अनुकूल स्थिति में नजर आ रहा है, बृहस्पति पंचम भाव में स्थित है, शनि पहले…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
इस महीने नवंबर 2024 में प्रमुख ग्रहों की स्थिति के बारे में बात करें तो राहु की स्थिति अनुकूल नहीं है, बृहस्पति चतुर्थ भाव में स्थित रहेगा, शनि दूसरे घर में स्थित है जिस…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
इस महीने नवंबर 2024 में प्रमुख ग्रहों की स्थिति के बारे में बात करें तो राहु की स्थिति अनुकूल नहीं है। बृहस्पति तीसरे भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
उत्तर. साल 2024 में गोवर्धन पूजा 02 नवंबर, शनिवार के दिन की जाएगी।
उत्तर. नवंबर का महीना सिंह राशि वालों के प्रेम जीवन के लिए थोड़ा मुश्किल रहेगा।
उत्तर. नवंबर के महीने में 01, 02, 03 और 07 तारीख को बैंक अवकाश हैं।
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