AMU: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जा को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 सदस्यीय संविधान पीठ ने यह तय किया कि विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बना रहेगा या नहीं।
दूसरी बेंच करेगी फैसला
आपको बता दें कि इससे पहले सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जे.बी. पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और एससी शर्मा भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाते हुए सीजेई ने कहा कि धार्मिक समुदाय कोई संस्था स्थापित कर सकता है, लेकिन चला नहीं सकता। AMU का अल्पसंख्यक का दर्जा फिलहाल बरकरार रहेगा। अभी सुप्रीम कोर्ट ने यह तय नहीं किया है कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है कि नहीं। इस मामले पर दूसरी बेंच फैसला करेगी।
Article 30 और 50% आरक्षण
AMU को अल्पसंख्यक का दर्जे का मतलब है कि AMU में मुस्लिम विद्यार्थियों को 50% आरक्षण मिलेगा।
आपको बता दें कि Article 30 के तहत देश के अल्पसंख्यक सुमदाय (धर्म या भाषा के आधार पर) को यह अधिकार है कि वह अपना संस्थान खोल सकते हैं और इसमें कोई भी स्टेट संस्थान के साथ भेद-भाव नहीं कर सकता है।
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