महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने स्पष्ट किया कि नई दिल्ली में अडानी के आवास पर बहुचर्चित बैठक आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि अडानी ने रात्रिभोज की मेजबानी की, लेकिन “राजनीतिक चर्चा में भाग नहीं लिया था।” यह वही बहुचर्चित डिनर था, जिसके बारे में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि अडानी उस बैठक में मौजूद नहीं थे।
यह बयान अजित पवार के इस दावे के जवाब में था कि उद्योगपति गौतम अडानी 2019 में भाजपा और अविभाजित शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के बीच हुई राजनीतिक बातचीत का हिस्सा थे। शरद पवार ने द न्यूज मिनट-न्यूज़लॉन्ड्री के साथ एक इंटरव्यू में यह बात कही। उन्होंने कहा कि उनके अलावा अडानी, अमित शाह और अजित पवार भी मौजूद थे।
सत्ता-बंटवारे की बातचीत अजित पवार के उप-मुख्यमंत्री के रूप में सुबह-सुबह शपथ लेने से पहले हुई, जिसमें देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया, ताकि सरकार बनाई जा सके जो बमुश्किल 80 घंटे तक चली।
शरद पवार का कहना है कि उनके एनसीपी सहयोगियों, जिनमें से कई पर केंद्रीय एजेंसियों के मामलों का आरोप था, ने उन्हें बताया कि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि अगर वे भाजपा के साथ हाथ मिलाते हैं, तो मामले खत्म हो जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, पवार ने कहा कि वह शुरू में झिझक रहे थे, क्योंकि उन्हें संदेह था कि भाजपा अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करेगी। हालाँकि, उनके सहयोगियों ने उनसे “इसे मुख्य नेता के मुँह से सुनने” का आग्रह किया, जिसके कारण उन्हें अडानी के आवास पर रात्रिभोज में भाग लेना पड़ा, जहाँ अमित शाह भी मौजूद थे।
इस बैठक का जिक्र करते हुए अजित पवार ने कहा था, ”पांच साल हो गए, सभी जानते हैं कि बैठक कहां हुई थी, दिल्ली में एक बिजनेसमैन के घर पर हुई थी, यह सभी को पता है। हां, पांच बैठकें हुईं… अमित शाह वहां थे, गौतम अडानी वहां थे, प्रफुल्ल पटेल वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, अजित पवार वहां थे, पवार साहब वहां थे… सभी वहां थे… सब कुछ तय हो गया था।’ उन्होंने आगे कहा था, ”इसका दोष मुझ पर आया है और मैंने इसे ले लिया है। मैंने दोष लिया और दूसरों को सुरक्षित बनाया..।”
राजनीतिक बैठकें आम बात हैं। लेकिन इन बैठकों को किसी बड़े कारोबारी द्वारा संचालित किया जाना या अपने घर पर बैठक करने देने के कई मायने हैं। यह साफ है कि अडानी समूह अपने हित की सरकार महाराष्ट्र में चाहता है। यहां बताना जरूरी है कि एकनाथ शिंदे की सरकार आने के बाद अडानी समूह का धारावी प्रोजेक्ट बहुत तेजी से आगे बढ़ा। शिंदे सरकार ने चुनाव की तारीख घोषित होने से एक दिन पहले तक धारावी प्रोजेक्ट की फाइलें आगे बढ़ाई, तमाम तरह की छूट दी। उद्धव ने इसी के बाद कहा था कि महाराष्ट्र पर गुजरात की टेढ़ी नजर लग गई है।
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रचार तेज हो गया है और सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) दोनों मतदाताओं को लुभाने के प्रयास कर रहे हैं। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होना है और मतगणना 23 नवंबर को होगी।