Meghalaya Garo Hills Tourist Places
Meghalaya Garo Hills Tourism:�अगर आप जंगल, जानवर, वनस्पतियों और प्रकृति में छिपे उन हर दुर्लभ जीवों के जीवन से जुड़े तथ्यों को यादों की टोकरी में कैद करने का उत्साह रखते हैं तो आपको एक बार प्राकृतिक सुंदरता से सजी चादर ओढ़े प्रमुख पर्यटन स्थल गारो हिल्स (Garo Hills) जरूर जाना चाहिए। मेघालय (Meghalaya) में स्थित ये इलाका अपनी वन्य संपदा से जुड़े सांस्कृतिक धरोहर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। तभी खूबसूरत नजारों में शामिल यहां की हरियाली, झरने और पहाड़ियों पर बसेरा बनाए जीव जंतु और खूबसूरत जगहें पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य हिस्सा होते हैं। यहां दो पर्वत श्रृंखलाएं- अरबेला रेंज (Arabella Range) और तुरा रेंज (Tura Range), गारो हिल्स से होकर गुजरती हैं, जो बीच में महान बलपक्रम घाटी बनाती हैं।
गारो हिल्स में पर्यटन लायक कई स्थान (Garo Hills Tourist Places) हैं जो आपकी यात्रा को एक नई अनुभूति प्रदान करने के लिए हैं। यहां की आदिवासी संस्कृति और परंपराएं भी देखने लायक हैं। गारो पहाड़ियाँ (Garo Hills) भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय (Meghalaya) में स्थित हैं और पटकाई पर्वत श्रृंखला का हिस्सा हैं। इस क्षेत्र का नाम गारो जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो एक स्वदेशी लोग हैं जो सदियों से इस क्षेत्र में निवास करते आ रहे हैं। गारो लोगों का मुख्य त्योहार वांगला त्योहार (Wangala Festival) है। यह एक फ़सल उत्सव है। गारो भाषा का बोडो भाषाओं से घनिष्ठ संबंध है। गारो लोगों के पारंपरिक नाम हैं, लेकिन आधुनिक गारो संस्कृति ईसाई धर्म से काफी प्रभावित रही है।
गारो गांव का इतिहास (Garo Gaon History In Hindi)
गारो गांव (Garo Village) का नाम इतिहास में भी अपनी वीरता के लिए दर्ज है। 1872 में कई बहादुर गारो योद्धाओं को ब्रिटिश सैनिकों ने गोली मारकर मार डाला था, क्योंकि वे गारो हिल्स (Garo Hills) में ब्रिटिश आक्रमण को रोकने के लिए लड़ रहे थे। मेघालय सरकार द्वारा हर 12 दिसंबर को उनके सम्मान में वीरता का जश्न मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि गारो जनजाति तिब्बत से आई थी। उन्हें बर्बर शिकारी के रूप में देखा जाता था। 1800 के दशक के एक शिलालेख में कहा गया है कि गारो को खूनी बर्बर लोगों के रूप में देखा जाता था, जो लगभग अभेद्य जंगल से ढके पहाड़ियों के एक क्षेत्र में निवास करते थे, जिसकी जलवायु इतनी घातक मानी जाती थी।
मातृवंशीय है गारो की विवाह प्रणाली
आदिवासी समाज गारो में विवाह परम्पराएं (Marriage Traditions In Tribal Society Garo) भी बेहद खास हैं। यहां पुरुष की शादी 25 से 30 वर्ष की आयु के बीच और महिला की शादी 20 से 25 वर्ष की आयु के बीच होना जरूरी माना जाता है। मातृवंशीयता के कारण, प्रत्येक गारो अपनी माँ के वंश से संबंधित होता है और माँ का पारिवारिक नाम अपनाता है। गारो की विरासत प्रणाली के अनुसार, पुरुषों को माता-पिता से संपत्ति विरासत में नहीं मिलती; सारी संपत्ति महिलाओं को मिलती है।
अगर आप विंटर डेस्टिनेशन (Winter Destination) प्लान कर रहें है तो गारो हिल्स पर्यटन के लिहाज से बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। आइए जानते हैं कौन कौन सी घूमने की जगहें (Garo Hills Mein Kaha Ghume) हैं:-
सिजू गुफा की करें रोमांचक यात्रा
सिजू अपनी विशाल चूना पत्थर और चमगादड़ नुमा गुफा के साथ डोबाकोल के लिए प्रसिद्ध है। सिजू गुफा (Siju Cave) मुख्य सड़क पर डुरामोंग सिजू बाजार से 5 किमी दूर है। लेकिन गुफा के मुहाने से 50 मीटर की दूरी तक मोटर वाहन द्वारा पहुंचा जा सकता है। सिजू गुफा (Siju Gufa) गारो हिल्स का एक मशहूर आकर्षण है। यह भारत की सबसे लंबी गुफाओं (India’s Longest Caves) में से एक है। इसकी लंबाई लगभग 4 किमी है। इस गुफा में अनोखी चट्टान संरचनाएं और पानी के तालाब देखने को मिलते हैं। सिजू गुफा में प्रवेश करते ही अंदर की प्राकृतिक सुंदरता देखने वाली होती है।
हालांकि इसका लगभग पूरा हिस्सा पानी से भरा हुआ है और अधिकांश आगंतुकों के लिए आज भी दुर्गम बना हुआ है। यहां आने वाले पर्यटक दिन में भी अंधेरे में डूबी रहने वाली इस गुफा के भीतर का अवलोकन करने के लिए टॉर्च लेकर आते हैं। अपने प्रभावशाली स्टैलेग्माइट और स्टैलेक्टाइट संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध सिजू दोबाकोल हजारों चमगादड़ों का घर भी है और बायोस्पेलोलॉजी के क्षेत्र में बहुत महत्व रखता है। भारतीय उपमहाद्वीप (Indian Subcontinent) में सबसे अधिक शोध की गई गुफाओं में से एक है।
नोकरेक नेशनल पार्क (Nokrek National Park)
नोकरेक नेशनल पार्क गारो हिल्स में स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच जैव-विविधता वाले हॉटस्पॉट में से एक के रूप में लोकप्रिय है। नोकरेक गारो हिल्स रेंज की सबसे ऊंची चोटी है। यह समुद्र तल से 1412 मीटर ऊपर स्थित है। नोकरेक नेशनल पार्क ट्रेकिंग करने वालों के लिए भी उपयुक्त स्थान है, क्योंकि यहां कई ट्रेकिंग ट्रेल्स मौजूद हैं। पर्यटक यहाँ से गारो हिल्स क्षेत्र की अधिकांश प्रमुख नदियों और झरनों को देख सकते हैं। नोकरेक बायोस्फीयर रिजर्व में फिशिंग-कैट, गोल्डन कैट, 5पैंगोलिन और बाघ कुछ संरक्षित प्रजातियाँ मौजूद हैं। नोकरेक बायोस्फीयर रिजर्व यूनेस्को द्वारा नामित बायोस्फीयर रिजर्व है जो पूरे मेघालय क्षेत्र में जैव विविधता का हॉटस्पॉट भी है।
तुरा पीक (Tura Peak)
तुरा पीक या शिखर गारो पर्वतमाला का एक बेहद आकर्षक पर्यटन स्थल है। यह शिखर सागर सतह से लगभग 872 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस पर्वत से तुरा शहर के विहंगम दृश्य का नजारा लिया जा सकता है। स्थानीय लोग तुरा पर्वत को तुरा शहर का रक्षक और भगवान का निवास स्थान मानते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार तुरा हिल्स शहर और शहरवासियों की रक्षा करती है। तुरा पर्वत के वनों को संरक्षित वन घोषित कर दिया गया है। यहां एक आयुर्वैदिक चिकित्सा प्रदान करने वाली वैधधशाला भी स्थित है। सिंचोना की खेती यहां मुख्य तौर पर की जाती है। यहां एक डाक बंगला भी मौजूद है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांति मंत्रमुग्ध कर देने वाली है।
मेघालय में पेल्गा फॉल्स (Pelga Waterfalls Meghalaya)
मेघालय आपके लिए कुछ बेहतरीन झरनों को देखने के लिए एकदम सही जगह है। उनमें से एक है पेलगा झरना, जो आपको अपनी मेघालय यात्रा के दौरान इसकी सुंदरता का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करता है। पेल्गा फॉल्स मेघालय (Pelga Falls In Meghalaya) के पश्चिमी गारो हिल्स में तुरा के पास एक सुंदर झरना है। अपनी शांतिपूर्ण सुंदरता और हरे-भरे परिवेश के लिए जाना जाने वाला यह झरना शांति और विश्राम चाहने वाले प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन जगह है। यह पिकनिक मनाने और हल्की-फुल्की रोमांचक गतिविधियों के लिए एकदम सही स्थान है।
मेघालय के पेल्गा फॉल्स (Pelga Waterfalls) में प्रकृति की गोद में छोटी-छोटी सैर के साथ मछली पकड़ने का भी भरपूर लुत्फ उठाएं। पेल्गा फॉल्स घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से अप्रैल तक है। इन महीनों के दौरान मौसम अच्छा रहता है और मानसून की बारिश बंद हो जाती है। इससे आपको झरने और आसपास के हरे-भरे इलाके का साफ नजारा देखने को मिलता है।
दरीबोकग्रे (Daribokgre)
यह नोकरेक चोटी के लिए प्रसिद्ध ट्रेक का शुरुआती बिंदु है। यहां आप पैदल घूमते हुए जंगल की पगडंडियों पर चलने का लुत्फ उठा सकते हैं। यहां बहने वाली सिमसांग नदी के स्रोत पर जा सकते हैं। यहां के मशहूर संतरे के बागों में घूम सकते हैं।
पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाजों के लिए मशहूर है यह गांव
गारो पर्वतमाला घूमने आने वाले लोगों के लिए यहां पास ही बसे रोंगबांगदर गांव की सैर भी यादगार अनुभव प्रदान करेगी। अपनी पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाजों के लिए मशहूर जगहों में शामिल इस गांव में जाकर यहां के लोगों की अनोखी जीवनशैली से जुड़े पारंपरिक नृत्यों और संगीत कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं। साथ ही स्थानीय भोजन का भी मजा ले सकते हैं।
हूलॉक गिब्बन रिजर्व (Hoolock Gibbon Reserve)
गारो पर्वतमाला घूमते हुए मेघालय के सेलबल्ग्रे गांव में हूलॉक गिब्बन राष्ट्रीय उद्यान को भी आप देख सकते हैं। इस उद्यान का नाम होलोंग वानर प्रजाति से लिया गया है। अन्य गिब्बनों की तरह, हूलोक की भुजाएँ उनके शरीर की लंबाई से दोगुनी होती हैं और वे मुख्य रूप से पेड़ों की आड़ में झूलते हुए पाए जाते हैं।यह गांव तुरा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है। हूलॉक गिब्बन का एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है।