Adhi Vinayagar Temple
Adhi Vinayagar Temple: भारत देश पूरी दुनिया में अपने मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है। इन मंदिरों की अहमियत त्योहारों के दौरान और बढ़ जाती है। देश के कोने-कोने में कई ऐसे मंदिर हैं जो अद्भुत और अद्वितीय हैं। भारत में किसी काम की शुरुआत भगवान गणेश की आराधना से करते हैं ऐसे अराध्या भगवान गणेश के हमारे देश में कई चमत्कारिक मंदिर हैं। उन्हीं में से एक मंदिर भारत देश के तमिलनाडु राज्य में तिरुवरुर जिले में स्थित है,जहां गजमुख स्वरूप वाले भगवान गणेश के पूजा मानवमुख स्वरूप में होती है।
हर मंदिर का अपना पौराणिक महत्व है। ऐसी ही कुछ पौराणिक कथा इस मंदिर से जुड़ी है। ऐसी मान्यता है कि गज मुख लगाए जाने से पहले भगवान गणेश का चेहरा इंसान का था और इस विनायक मंदिर में उनके इस रूप की पूजा होती है। एक कथा के अनुसार भगवान शंकर ने एक बार माता पार्वती से न मिलने देने पर उनके पुत्र भगवान गणेश को अनजाने में क्रोधित होकर उनकी गर्दन को काट दिया था । इसके बाद माता पार्वती के दुखी हो जाने पर भगवान श्री गणेश को महादेव ने गज का मुख लगा दिया। सबके प्रिय गणेश की पूजा इसी गजमुख अवतार में होती है। लेकिन आदि विनायक मंदिर में भगवान गणपति के इंसान के चेहरे वाली प्रतिमा स्थापित है और इसी रूप में पूजी जाती है।
एक धार्मिक मान्यता के अनुसार इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान श्रीराम ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा की थी। तब से इस मंदिर में पितरों की आत्मा की शांति के लिए लोग पूजा कराने आते हैं। इस मंदिर को दुनियाभर में तिलतर्पणपुरी के नाम से भी जाना जाता है। तिलतर्पण का अर्थ है पितरों को समर्पित और पूरी का अर्थ है शहर। इस जगह लोग अपने पितरों की शांति के लिए नदी किनारे पूजा करके धार्मिक अनुष्ठान मंदिर में करने जाते हैं। इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने से ही पितरों को मुक्ति मिलती है। इस प्रकार यह जगह पूर्वजों के मोक्ष और मुक्ति का नगर कहा जाता है।
आदि विनायक मंदिर में भगवान गणेश के साथ साथ भगवान शिव और माता सरस्वती की भी पूजा होती है।प्राचीन कवि ओट्टकुठार ने सरस्वती देवी के इस मंदिर की स्थापना की थी। साधारण सा दिखने वाले इस मंदिर की महत्ता लोगों के बीच काफी है। भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु माता सरस्वती का भी दर्शन अवश्य करते हैं। साथ ही यहां मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर , जहां चार शिवलिंग स्थापित है उसके भी दर्शन करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान श्री राम अपने पितरों और राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए पूजा कर रहे थे, उस दौरान पूजा में पिंडदान के लिए रखे जाने वाले चार चावल के लड्डू कीड़े के रूप में परिवर्तित हो जा रहे थे।
इसके बाद भगवान राम ने शिव जी की आराधना कर इसके उपाय जानने की कोशिश की, तो भगवना शंकर ने श्री राम को आदि विनायक मंदिर में विधिपूर्वक पूजा करने की सलाह दी। तत्पश्चात भगवान राम ने पितरों की आत्मा शांति के लिए इस जगह पूजा अर्चना की और अपने पितरों को मुक्ति दिलाई। ऐसा कहा जाता है कि पूजा के दौरान भगवान श्रीराम द्वारा रखे चावल के चार पिंड शिवलिंग बन गए। यह चारों शिवलिंग आदि विनायक मंदिर के पास मौजूद मुक्तेश्वर मंदिर में स्थापित हैं । इसलिए इस मुक्तेश्वर मंदिर की भी महत्ता है।
कैसे पहुंचे ?
हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाईअड्डा तिरुचिरापल्ली में है, जहां से मंदिर की दूरी लगभग 110 किमी है। तिरुवरुर शहर से आदि विनायक मंदिर की दूरी लगभग 23 किमी है। इसके अलावा चेन्नई हवाईअड्डे से भी यहां आ सकते हैं। चेन्नई से इस स्थान की दूरी लगभग 318 किमी है। बस या टैक्सी के माध्यम से एयरपोर्ट से इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। रेल मार्ग से तिरुवरुर रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है जहां से मंदिर लगभग 23 किमी की दूरी पर है। यह स्टेशन देश के हर शहर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बस, टैक्सी या लोकल यातायात के साधन से इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। तंजावुर के माध्यम से यह तमिलनाडु के लगभग सभी शहरों से रेल मार्ग से जुड़ा है। सड़क मार्ग से भी यह स्थानतमिलनाडु के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।