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    Home » Andaman & Nicobar Island: एक ऐसा द्वीप जहाँ जाना पड़ सकता है भारी, जानिए अंडमान और निकोबार के रहस्यमयी सेंटिनल द्वीप की पूरी कहानी
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    Andaman & Nicobar Island: एक ऐसा द्वीप जहाँ जाना पड़ सकता है भारी, जानिए अंडमान और निकोबार के रहस्यमयी सेंटिनल द्वीप की पूरी कहानी

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 1, 2025No Comments8 Mins Read
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    Andaman and Nicobar Mysterious Sentinel Island History 

    Andaman and Nicobar Mysterious Sentinel Island History 

    History Of Sentinel Island: उत्तर सेंटिनल द्वीप, भारतीय महासागर के बीच स्थित एक रहस्यमय और अनछुआ द्वीप है, जो अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का हिस्सा है। यह द्वीप न केवल अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण अद्वितीय है, बल्कि यहां रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति के कारण भी यह पूरी दुनिया में एक रहस्य बना हुआ है। सेंटिनलीज लोग पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं और आज तक उन्होंने किसी भी बाहरी व्यक्ति से संपर्क नहीं किया है। यही कारण है कि इस जनजाति के जीवन, संस्कृति और उनके रहन-सहन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। उत्तर सेंटिनल द्वीप और सेंटिनलीज जनजाति के बारे में जितनी कम जानकारी है, उतने ही अधिक सवाल उठते हैं क्या यह जनजाति सभ्यता से अछूती है या इसके अपने अद्वितीय रीति-रिवाज और इतिहास हैं? इस लेख में, हम उत्तर सेंटिनल द्वीप और वहां रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति के रहस्यों पर एक गहरी नजर डालेंगे, जो आज भी दुनिया के लिए अनसुलझा है।

    उत्तर सेंटिनल द्वीप की भौगोलिक स्थिति

    उत्तर सेंटिनल द्वीप(North Sentinel Island), जो भारत के अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह(Andaman and Nicobar Islands)का हिस्सा है, बंगाल की खाड़ी(Bengal Bay) में स्थित है और दक्षिण अंडमान ज़िले का भाग है। यह द्वीप पोर्ट ब्लेयर से लगभग 50-60 किलोमीटर दूर है, जबकि इसके क्षेत्रफल का माप लगभग 59.67 वर्ग किलोमीटर है। यह द्वीप और यहां की सेंटिनली जनजाति पूरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग हैं, और इन लोगों ने बाहरी संपर्क का हमेशा विरोध किया है। भारतीय कानून के तहत, इस द्वीप के आसपास के समुद्र में नावों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित है, और भारतीय नौसेना यहां गश्त करती है। उत्तर सेंटिनल द्वीप तक पहुँचने का कोई आसान रास्ता नहीं है, और यह स्थान भारतीय कानूनों द्वारा संरक्षित है, जिससे यहां जाना असंभव बना हुआ है। इस द्वीप और उसकी जनजाति के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, जो इसे एक रहस्यमय और अज्ञेय स्थान बनाता है।

    सेंटिनलीज़ जनजाति का इतिहास

    सेंटिनलीज़ जनजाति(Sentinel Tribe) इस द्वीप के मूल निवासी हैं और दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे एकांतवास जनजातियों में से एक मानी जाती हैं। उत्तर सेंटिनल द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति मानवता के सबसे पुराने और सबसे अलग-थलग रहने वाले समूहों में से एक मानी जाती है। इनका इतिहास लगभग 60,000 से 70,000 साल पुराना है, और यह लोग पूरी तरह से शिकार, मछली पकड़ने और जड़ी-बूटियों का उपयोग करके अपना जीवन यापन करते हैं। सेंटिनलीज़ जनजाति ने हमेशा बाहरी दुनिया से संपर्क करने से परहेज किया है। वे अपने द्वीप में अपनी परंपराओं और संस्कृति के अनुसार पूरी तरह से आत्मनिर्भर रहे हैं।

    सेंटिनलीज लोगों के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है क्योंकि ये लोग बाहरी व्यक्तियों से संपर्क नहीं करते। जब भी बाहरी लोग इस द्वीप पर पहुंचने की कोशिश करते हैं, तो सेंटिनलीज लोग उन्हें हिंसा के जरिए भगा देते हैं। वे तीर, बर्छी और पत्थरों का इस्तेमाल करते हुए अपने द्वीप पर किसी भी बाहरी व्यक्ति को आने से रोकते हैं।

    संपर्क से बचने का कारण

    सेंटिनलीज जनजाति का बाहरी दुनिया से संपर्क न करने का मुख्य कारण उनके ऐतिहासिक अनुभव हैं, जिसमें उन्हें अतीत में बाहरी ताकतों से संघर्ष, हिंसा और नुकसान का सामना करना पड़ा। विशेष रूप से औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों के आगमन और 1859 के एबरडीन युद्ध ने सेंटिनलीज को उत्पीड़न और हार का सामना कराया, जिससे उनमें बाहरी लोगों के प्रति गहरा अविश्वास और भय पैदा हुआ। इसके अलावा, वे अपनी सांस्कृतिक अस्मिता और क्षेत्र की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए बाहरी संपर्क से बचते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि बाहरी संपर्क से उनकी जीवनशैली और अस्तित्व को गंभीर खतरा हो सकता है। बाहरी संपर्क से नई बीमारियों के आने का खतरा भी है, जिनसे उनकी जनजाति नष्ट हो सकती है, क्योंकि उनमें इन बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता नहीं है। इसके अतिरिक्त, सेंटिनलीज बाहरी लोगों के प्रति आक्रामक व्यवहार अपनाते हैं और अपने द्वीप की रक्षा के लिए पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल करते हैं, जो उनकी आत्मरक्षा और समुदाय की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

    सेंटिनलीज़ का समाज और संस्कृति

    सेंटिनलीज़ जनजाति(Sentinel Tribe) की जनसंख्या के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उनसे सीधा संपर्क अवैध और असंभव है। 2011 की जनगणना के अनुसार, केवल 15 लोग देखे गए थे, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार उनकी आबादी 50 से 100 के बीच हो सकती है। शारीरिक रूप से ये लोग छोटे कद के और मजबूत होते हैं, और नेग्रिटो नस्लीय समूह से संबंधित होते हैं। सेंटिनलीज़ अपने पारंपरिक हथियारों जैसे धनुष, तीर और भाले का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं। उनका समाज पूरी तरह आदिवासी है, जो शिकार, मछली पकड़ने और वनस्पतियों के संग्रह पर निर्भर रहता है, और वे खेती या आग का उपयोग नहीं करते। इनकी भाषा पूरी तरह अलग है, जो अन्य बाहरी या स्थानीय जनजातीय भाषाओं से अलग है, और यहां तक कि अंडमान की अन्य जनजातियां भी इसे नहीं समझ पातीं।

    इतिहास में सेंटिनलीज जनजाति का संपर्क

    इतिहास में कुछ मामले सामने आए हैं, जहां सेंटिनलीज जनजाति के संपर्क की कोशिश की गई थी। 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान कुछ प्रयास किए गए थे, जब अधिकारियों ने इस द्वीप के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की। 1970 और 1990 के दशकों में भी कुछ अभियानों के दौरान सेंटिनलीज लोगों से संपर्क की कोशिशें की गईं, लेकिन हर बार इन्हें हिंसा और संघर्ष का सामना करना पड़ा। वर्ष 2006 में एक अमेरिकी नागरिक, जॉन एल्ड्रेड, ने इस द्वीप पर जाने की कोशिश की थी। उन्हें सेंटिनलीज जनजाति के लोगों ने तीर मारकर हत्या कर दी। इस घटना के बाद, भारतीय सरकार ने इस द्वीप की ओर जाने के प्रयासों को और भी कड़ा कर दिया।

    1991 में पहली बार संपर्क की कोशिश(First attempt to make contact was in 1991)

    1991 में, भारतीय सरकार ने पहली बार सेंटिनलीज़ से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही संपर्क शुरू हुआ, उन्हें यह स्पष्ट हो गया कि ये लोग किसी भी बाहरी प्रभाव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। इसके बाद भारतीय सरकार ने इस द्वीप को बाहरी दुनिया से पूरी तरह से बंद कर दिया और इसे सेंटिनलीज़ जनजाति का स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर दिया।

    सरकारी प्रतिबंध और सुरक्षा(Government Restrictions and Security)

    भारत सरकार ने उत्तर सेंटिनल द्वीप पर जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। भारतीय समुद्र सीमा सुरक्षा बल (Indian Coast Guard) और अंडमान और निकोबार प्रशासन ने इस द्वीप के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है, ताकि बाहरी लोग यहां प्रवेश न कर सकें। 2005 में भारतीय सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके तहत उत्तर सेंटिनल द्वीप पर जाने वाले जहाजों और नौकाओं को कठोर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।

    सरकार के इस कदम का उद्देश्य सेंटिनलीज जनजाति की सुरक्षा करना है, ताकि वे बाहरी दुनिया से बच सकें और अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बरकरार रख सकें। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति इस द्वीप पर अवैध रूप से प्रवेश करता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है और कड़ी सजा दी जा सकती है।

    सेंटिनलीज जनजाति का जीवन

    सेंटिनलीज जनजाति की जीवनशैली पूरी तरह से शिकार और संग्रहण पर निर्भर है। वे मुख्य रूप से जंगलों में रहते हैं और भोजन के लिए शिकार करते हैं। इनके पास कोई स्थिर बस्तियां नहीं होती, बल्कि वे हमेशा चलते फिरते रहते हैं। ये लोग अपनी जीवनशैली के बारे में बहुत गुप्त रहते हैं, और उनका समाज अत्यधिक आत्मनिर्भर होता है। सेंटिनलीज लोगों के पास आधुनिक उपकरणों का कोई इस्तेमाल नहीं है। वे लकड़ी के औजारों और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं।

    इनकी सामाजिक संरचना और संस्कृति आज भी अज्ञात हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी दुनिया को बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग रखा है। वे कभी भी बाहरी लोगों से मिलने के लिए तैयार नहीं होते, और उनकी पहचान के बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है।

    सेंटिनल द्वीप की आज की स्थिति

    आज सेंटिनल द्वीप को एक सुरक्षित क्षेत्र के रूप में माना जाता है और यहाँ पर आने-जाने की अनुमति नहीं है। द्वीप की परिधि और इसके आसपास के पानी को भारतीय सरकार ने “नो-फ्लाई जोन” और “नो-टच जोन” घोषित किया है। इसके बावजूद, सेंटिनलीज़ जनजाति के बारे में हमेशा उत्सुकता बनी रहती है, और कई लोग आज भी इस द्वीप के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। सेंटिनल द्वीप और इसके निवासियों का इतिहास न केवल एक संरक्षित आदिवासी संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह एक उदाहरण है कि कैसे कुछ संस्कृतियाँ बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग और स्वतंत्र रह सकती हैं।

    उत्तर सेंटिनल द्वीप का भविष्य

    उत्तर सेंटिनल द्वीप और उसकी जनजाति का भविष्य अनिश्चित है। आधुनिकता और बाहरी दुनिया के प्रभाव के बावजूद, सेंटिनलीज जनजाति अपनी परंपराओं और जीवनशैली को बनाए रखे हुए है। भारतीय सरकार का मानना है कि इस जनजाति को अपनी प्राकृतिक अवस्था में रहने दिया जाना चाहिए, और उन्हें बाहरी दुनिया से किसी भी प्रकार की हस्तक्षेप से बचाया जाना चाहिए।

    यदि सेंटिनलीज जनजाति को उनके स्वाभाविक और प्राकृतिक जीवन से बाधित किया जाता है, तो इसका उन पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उनके स्वास्थ्य, संस्कृति और अस्तित्व को खतरा हो सकता है। यही कारण है कि सरकार ने इस द्वीप पर जाने पर कड़ा प्रतिबंध लगाया है।

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