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    Home » Antarctica Mahadweep History: पृथ्वी का सबसे ठंडा महाद्वीप, जहां पहली बार भारत ने रखा अपना पहला कदम
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    Antarctica Mahadweep History: पृथ्वी का सबसे ठंडा महाद्वीप, जहां पहली बार भारत ने रखा अपना पहला कदम

    By January 9, 2025No Comments7 Mins Read
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    Antarctica Mahadweep History (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    Antarctica Continent: 43 साल पहले, ठीक इसी दिन, भारतीयों ने पहली बार अंटार्कटिका की बर्फ पर कदम रखा था। यह भारत के इतिहास की एक अत्यंत महत्वपूर्ण अभियान था, जिसने अंटार्कटिक क्षेत्र में 30 से अधिक और खोज अभियानों की शुरुआत की, जिन्हें भारत के नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओशन रिसर्च (NCAOR) द्वारा संचालित किया गया। चलिए अंटार्कटिका को जानते हैं।

    अंटार्कटिका (Antarctica)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    अंटार्कटिका, जिसे ‘सातवें महाद्वीप’ के नाम से भी जाना जाता है, पृथ्वी का सबसे ठंडा, सबसे शुष्क और सबसे हवा से भरा महाद्वीप है। यह महाद्वीप अपनी अद्भुत भौगोलिक और पर्यावरणीय विशेषताओं के लिए जाना जाता है। 9 जनवरी,1982 को भारत ने अपने पहले वैज्ञानिक अभियान दल को अंटार्कटिका (Antarctica) भेजा, जिसने इस महाद्वीप पर भारत की उपस्थिति और वैज्ञानिक योगदान की नींव रखी।

    अंटार्कटिका का भूगोल और पर्यावरण (Antarctica Geography and Environment)

    अंटार्कटिका पृथ्वी का दक्षिणी छोर है और यह लगभग 14 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है। इसके अधिकांश हिस्से पर बर्फ की मोटी चादर फैली हुई है, जो लगभग 1.6 किलोमीटर मोटी है।

    भौगोलिक विशेषताएं (Antarctica Geographical Features)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    बर्फ की चादर: अंटार्कटिका की 98 फ़ीसदी सतह बर्फ से ढकी हुई है। यह पृथ्वी के मीठे पानी के 70 फ़ीसदी और संपूर्ण जल संसाधन का लगभग 90 फ़ीसदी हिस्सा संग्रहित करता है।

    माउंट विन्सन: अंटार्कटिका का सबसे ऊँचा पर्वत माउंट विन्सन है, जिसकी ऊंचाई 4,892 मीटर है। यह महाद्वीप के अन्य पर्वतीय श्रृंखलाओं में प्रमुख है।

    झीलें और नदियाँ: बर्फ के नीचे लगभग 400 से अधिक उप-बर्फीली झीलें पाई गई हैं। इनमें सबसे बड़ी झील वॉस्टॉक है।

    जलवायु: अंटार्कटिका को ‘ठंड का रेगिस्तान’ कहा जाता है। यहां का तापमान शून्य से नीचे रहता है। सर्दियों में तापमान -80 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।पूरे महाद्वीप में औसत वर्षा इतनी कम है कि अंटार्कटिका को ध्रुवीय रेगिस्तान के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

    मरीन लाइफ: अंटार्कटिका के चारों ओर दक्षिणी महासागर है, जो किलर व्हेल, पेंगुइन, सील और कई अन्य समुद्री जीवों का घर है।

    अंटार्कटिका का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (Antarctica History In Hindi)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    अंटार्कटिका का अस्तित्व पहली बार ग्रीक दार्शनिकों द्वारा परिकल्पित किया गया था, जिन्होंने इसे ‘अंटार्कटिक’ कहा। 16वीं और 17वीं शताब्दी में विभिन्न खोजकर्ताओं ने अंटार्कटिका के पास के क्षेत्रों की खोज की।

    फिर अंटार्कटिका को आधिकारिक तौर पर 1820 में रूसी खोजकर्ताओं द्वारा देखा गया था। 1911 में नार्वे के खोजकर्ता रॉआल्ड अमंडसन पहले व्यक्ति बने, जिन्होंने दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने का गौरव हासिल किया। 1959 में अंटार्कटिका संधि (Antarctic Treaty) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें इसे वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया।

    अंटार्कटिका को वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। इसके कठोर जलवायु और अलगाव ने इसे पृथ्वी के अतीत, वर्तमान और भविष्य को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना दिया है।

    वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र (Major Areas Of Scientific Research In Antarctica)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    जलवायु परिवर्तन का अध्ययन (Climate Change): अंटार्कटिका की बर्फ में फंसे गैस बुलबुले पृथ्वी के जलवायु इतिहास की जानकारी प्रदान करते हैं। बर्फ के नमूने (आइस कोर) ग्लोबल वार्मिंग और कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभाव को समझने में मदद करते हैं।

    खगोल विज्ञान (Astronomy): अंटार्कटिका का साफ और प्रदूषण रहित वातावरण खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए उपयुक्त है।

    जैव विविधता (Biodiversity): कठोर परिस्थितियों के बावजूद, अंटार्कटिका में कई प्रकार की जैविक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनका अध्ययन जीवन के अनुकूलन और विकास को समझने में मदद करता है।

    पृथ्वी विज्ञान (Earth Science): अंटार्कटिका की चट्टानों और खनिजों का अध्ययन पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में सहायक है।

    भारतीय वैज्ञानिक अभियान और योगदान

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    पहला भारतीय अभियान (1982): 9 जनवरी 1982 को, भारत का पहला वैज्ञानिक अभियान दल अंटार्कटिका पहुंचा। इस अभियान का नेतृत्व डॉ. एस.जेड. कासिम ने किया था। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था और इसने भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान में नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

    दक्षिण गंगोत्री (Dakshin Gangotri): 1983 में, भारत ने अपना पहला स्थायी अनुसंधान स्टेशन ‘दक्षिण गंगोत्री’ स्थापित किया। यह स्टेशन भारतीय वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बना। हालांकि, समय के साथ यह बर्फ में दब गया।

    मैत्री स्टेशन (Maitri Station): 1988 में, भारत ने दूसरा अनुसंधान स्टेशन ‘मैत्री’ स्थापित किया। यह स्टेशन आधुनिक सुविधाओं से लैस है और भारतीय वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान का प्रमुख आधार है।

    भारती स्टेशन (Bharti Station): 2012 में, भारत ने अपना तीसरा स्टेशन ‘भारती’ स्थापित किया। यह स्टेशन समुद्री और जलवायु अनुसंधान के लिए उपयोग किया जाता है।

    अंटार्कटिका संधि और अंतरराष्ट्रीय सहयोग

    अंटार्कटिका संधि पर 1959 में हस्ताक्षर किए गए और इसे 1961 में लागू किया गया। इसके तहत अंटार्कटिका को सैन्य गतिविधियों और खनन से संरक्षित किया गया है। यह संधि वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई थी। अंटार्कटिका का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। सैन्य गतिविधियों और खनन पर प्रतिबंध है। वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है। पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना।

    अंटार्कटिका के प्रमुख रिकॉर्ड्स और विशेषताएं (Antarctica Records)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    सबसे ठंडा स्थान: अंटार्कटिका का वॉस्टॉक स्टेशन दुनिया का सबसे ठंडा स्थान है। यहां का न्यूनतम तापमान -89.2°C दर्ज किया गया है।

    सबसे बड़ा ग्लेशियर (Glacier): लैंबर्ट ग्लेशियर दुनिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर है।

    बर्फ का पिघलना: अंटार्कटिका की बर्फ के पिघलने से समुद्र स्तर में वृद्धि हो सकती है, जिससे पूरे विश्व पर पर्यावरणीय प्रभाव पड़ेगा।

    पेंगुइन की प्रजातियां (Penguin): अंटार्कटिका में कई प्रकार के पेंगुइन पाए जाते हैं, जिनमें अडेली और एम्परर पेंगुइन प्रमुख हैं।

    अरोरा लाइट्स (Aurora lights): अंटार्कटिका में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Australis) देखा जाता है, जो एक अद्भुत प्राकृतिक दृश्य है।

    पर्यावरणीय चुनौतियां और संरक्षण प्रयास (Environmental Challenges and Conservation Efforts)

    ग्लोबल वार्मिंग के कारण अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है, जिससे समुद्र स्तर बढ़ने का खतरा है। वैज्ञानिक अभियानों और पर्यटन के कारण अंटार्कटिका में प्रदूषण बढ़ रहा है।अंटार्कटिका संधि और अन्य अंतरराष्ट्रीय पहल पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं।

    अंटार्कटिका में भारतीय डाकघर (Indian Post Office in Antarctica)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    इसकी स्थापना वर्ष 1984 में अंटार्कटिका के तीसरे भारतीय अभियान के दौरान की गई थी। यह दक्षिण गंगोत्री में स्थित था। इसकी स्थापना के पहले वर्ष में इस डाकघर में कुल मिलाकर 10,000 पत्र पोस्ट किए गए और रद्द किए गए। डाकघर अब वहां नहीं है, किंतु यह उन भारतीय पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा पड़ाव है जो क्रूज़ जहाजों से इस स्थान पर आते हैं। अंटार्कटिका में अब भारतीय डाकघर मैत्री में स्थित है, जहां देश का वर्तमान अनुसंधान स्टेशन भी स्थित है।

    नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओशन रिसर्च

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओशन रिसर्च (NCAOR) एक अनुसंधान और विकास निकाय है। यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। यही केंद्र भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम का संचालन करता है। NCAOR और महासागर विकास विभाग भारत के अंटार्कटिक अभियानों के लिए सदस्यों का चयन करते हैं। चयनित सदस्यों का मेडिकल परीक्षण और बाद में हिमालय में अनुकूलन प्रशिक्षण कराया जाता है। इसके अलावा, इन्हें जीवित रहने की तकनीकों, पर्यावरण नैतिकता, आग से निपटने और समूह में काम करने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

    भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम की विभिन्न गतिविधियों के लिए लॉजिस्टिकल सहायता भारतीय सशस्त्र बलों की संबंधित शाखाओं द्वारा प्रदान की जाती है। भारतीय अभियानों के प्रस्थान बिंदु में विविधता रही है, जिसमें भारत में गोवा से लेकर दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन तक शामिल हैं।

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