Assam Violence : पूर्वोत्तर भारत में बीते कई दशकों से हो रही हिंसा के बीच राहत भरी खबर है। दरअसल, भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, एनएलएफटी (नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) और एटीटीएफ (ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स) के बीच बुधवार को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में नॉर्थ ब्लॉक, दिल्ली में हुआ। इस समझौते के बाद से माना जा रहा है कि क्षेत्र शांति स्थापित हो सकेगी, इसके लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। बीते दिनों कई संगठनों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए हैं, जिससे हिंसा में कुछ कमी जरूर देखने को मिली है, लेकिन एक बार फिर से पूर्वोंत्तर हिंसा की चपेट में आ गया, जिससे सैंकड़ों नागरिकों की जानें जा चुकी हैं।
पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद और हिंसा कोई नई बात नहीं है, यहां कई दशकों से अशांति देखने को मिल रही है। केंद्र और राज्य सरकारें यहां के उग्रवादी संगठनों के बीच बातचीत और समझौते करने का प्रयास करती हैं, इसके बावजूद अशांति देखने को मिल रही है। बीते काफी दिनों से चल रही अशांति पर नियंत्रण के लिए सरकार लगातार बातचीत कर रही है। केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के तुंरत बाद से ही असम शांति को लेकर पहल शुरू हो गई है, जिसका असर अब देखने को मिला। गृहमंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उग्रवाद, हिंसा और संघर्ष से मुक्त विकसित पूर्वोत्तर के सपने को पूरा करने के लिए गृहमंत्रालय अथक प्रयास कर रहा है। पीएम के नेतृत्व के नेतृत्व में सरकार ने पूर्वोत्तर भारत में शांति और समृद्धि के लिए 12 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से तीन त्रिपुरा से संबंधित हैं। आगे यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके कारण लगभग 10,000 लोगों ने अपने हथियार त्याग दिए हैं।