Bahraich Famous Places (Image Credit-Social Media)
Bahraich Famous Places: उत्तर प्रदेश का शहर बहराइच, नेपाल के साथ अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। ये शहर घने जंगलों से घिरा हुआ है जो वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रजातियों का घर भी है। स्वतंत्रता से पूर्व इसे अनाज और दालों के लिए सबसे प्रसिद्ध बाजारों में से एक माना जाता था। ऐसे में अगर आप भी बहराइच में घूमने के लिए प्लान कर रहे हैं और आपको समझ नहीं आ रहा है कि कहाँ-कहाँ जाएं तो हम इसमें आपकी मदद करेंगें।
बहराइच में प्रसिद्ध घूमने के स्थान
बहराइच की स्थानीय सीमाएँ सीतापुर, गोंडा, लखीमपुर, बाराबंकी और बलरामपुर शहरों से लगती हैं। वहीँ ये पूरा शहर घने जंगलों से घिरा हुआ है जिसकी वजह से आप जब भी यहाँ आएंगे तो आप खुद को प्रकृति के बेहद करीब पायेंगें। आइये जानते हैं यहाँ कौन कौन से स्थान हैं जहाँ आप घूम सकते हैं।
गाजी सैय्यद सालार मसूद का मकबरा
गाजी सैय्यद सालार मसूद का मकबरा फिरोज शाह तुगलक ने सालार मसूद के लिए बनवाया था, जो एक मुस्लिम विजेता था। उनका जन्म 22 जनवरी 1015 ई. को गाजी सालार साहू के उत्तराधिकारी के रूप में अजमेर में हुआ था। वह गजनवी साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक, गजनी के महमूद का भतीजा भी था। उसने 1031 ई. में भारत पर आक्रमण किया। उत्तरी मैदानों में कई क्षेत्रों पर छापा मारने के बाद वह और उसकी सेना ब्रह्मार्ची, वर्तमान बहराईच की ओर बढ़े। उस समय वहां सूर्य देव का एक प्राचीन मंदिर था जिसे बालार्क मंदिर के नाम से जाना जाता है। बालार्क सुबह के सूरज का मंदिर था क्योंकि सूरज की सुनहरी किरणें सबसे पहले देवता के चरणों को छूती थीं। यह स्थान हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। उसने बहराईच पर हमला किया और इस तरह बहराईच की लड़ाई शुरू हुई। इस युद्ध में राजा सुहलदेव के नेतृत्व में विभिन्न क्षत्रिय कुलों ने भाग लिया। 14 जून 1033 को युद्ध में सालार मसूद पराजित हुआ और मारा गया।
दिल्ली की सल्तनत पर शासन करने वाले फ़िरोज़ शाह तुगलक ने सालार मसूद की वीरता की खूब प्रशन्नसा की और बाद में यह मकबरा बनवाया। वहीँ इसके साथ ही इस मकबरे के पीछे एक और मान्यता यह है कि सैय्यद जमाल-उद-दीन की बेटी, जो अंधी थी, ने इस प्रसिद्ध मकबरे की तीर्थयात्रा के बाद अपनी आंखों की रोशनी वापस आने पर दरगाह का निर्माण किया और उसने इस स्थान पर अपने लिए एक कब्र बनवाई और उसे वहीं दफनाया गया। और फ़िरोज़ शाह ने मकबरे और अन्य इमारतों के लिए परिसर की दीवार बनवाई है। दूसरी मान्यता यह है कि इस मकबरे का निर्माण सुल्तान शम्स-उद-दीन-अल्तमश के बेटे मलिक नासिर-उद-दीन-मुहम्मद ने कराया था।
कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य
कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य 1975 में स्थापित किया गया था और ये दुधवा टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है। बता दें कि ये नेपाल सीमा के निकट बहराईच के तराई क्षेत्र में स्थित है। दरअसल अभयारण्य में छह प्रभाग हैं जिनमें से दो में थारू जनजातियाँ निवास करती हैं और अन्य चार प्रभाग मुख्य क्षेत्र में स्थित हैं। यह बहराइच शहर से सड़क मार्ग से 86 किलोमीटर और रेल मार्ग से 105 किलोमीटर की दूरी पर, नेपाल सीमा से 7 किलोमीटर और लखनऊ से 205 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप अभयारण्य घूमना चाहते हैं तो इसके लिए नवंबर से जून का समय परफेक्ट है।
संघारिणी मंदिर
बहराइच में जहाँ ये मंदिर स्थित है उसे बालार्क ऋषि की तपस्थली के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की मुख्य देवी,माँ काली हैं। इसके साथ ही शनि और हनुमान मंदिर भी इसी परिसर में हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि मंदिर में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं और इन अवधियों के दौरान कुछ महीनों और उनके महत्व के आधार पर चार देवियों की पूजा की जाती है। यह स्थान हिंदुओं के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखता है।
बहराइच पहुंचने के लिए कौन सा मार्ग सबसे उचित
बहराईच उत्तर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम हर 15 मिनट में लखनऊ से जुड़ता है। ये कानपुर, इलाहाबाद, दिल्ली, आगरा, हरिद्वार, वाराणसी और बरेली से भी जुड़ा हुआ है। हालाँकि, बहराईच भारतीय रेलवे मार्ग पर है, लेकिन यह सड़कों से बेहतर जुड़ा हुआ है। ऑटो रिक्शा स्थानीय परिवहन का अन्य प्रमुख साधन भी है।
वहीँ आपको बता दें कि बहराइच लखनऊ से 125 किलोमीटर दूर है और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से यहाँ पहुंचा भी जा सकता है। वहीँ हवाई यात्रा करने के लिए निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ में अमौसी है, जो लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर है। बहराईच में रेलवे स्टेशन तक गोंडा जंक्शन और भोजीपुरा जंक्शन से ट्रेन द्वारा पहुंचा जा सकता है।