Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Banaras Street Food: देव दीपावली के लिए गए हैं बनारस? इन 12 चीजों को खाए बिना लौटने की ना करें गलती
    • Rajgir Budget Trip Under ₹1000: सिर्फ ₹1000 में राजगीर का सफर, जहां रहना-खाना भी फ्री
    • Banaras Sasta Hotel: देव दीपावली पर जा रहें बनारस, इन होटलों में ठहरे, पड़ेगा बजट में
    • Hidden Lakes in India: सर्द हवाओं संग भारत की छिपी झीलों का जादुई सफर
    • ‘बिहार को लूटने वाले अब फिर लौटना चाहते हैं…’, योगी आदित्यनाथ ने भरी हुंकार बोले – पुल चोरी, रोड चोरी, बूथ चोरी… यही था लालू राज!
    • Top 6 Maggic Train Journey: भारत की टॉप 6 मैजिक ट्रेन जर्नी, जिंदगी में एक बार जरूर लें आनंद
    • Varanasi Budget Stay: वाराणसी में देव दीपावली पर इन धर्मशालाओं में रुकें, वो भी बेहद कम खर्च में
    • Bihar Elections में राहुल गांधी का नया अवतार! तालाब में उतरकर मछुआरों के साथ पकड़ने लगे मछलियां
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Bharat Ka Itihas: एरण, जहाँ 1500 साल पुराना इतिहास आज भी साँस लेता है
    Tourism

    Bharat Ka Itihas: एरण, जहाँ 1500 साल पुराना इतिहास आज भी साँस लेता है

    Janta YojanaBy Janta YojanaJuly 19, 2025No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    1500 Years Old History of Eran (Image Credit-Social Media)

    1500 Years Old History of Eran (Image Credit-Social Media)

    Bharat Ka Itihas: मध्य प्रदेश के सागर जिले में बेतवा नदी के किनारे बसा एक छोटा-सा कस्बा, एरण, भारत के प्राचीन इतिहास का एक ऐसा खजाना है, जो आज भी अपनी गौरवशाली गाथा को चुपके-चुपके सुनाता है। यहाँ की मिट्टी में बस्ती है वह कहानी, जो 1500 साल से भी अधिक पुरानी है। यहाँ हर पत्थर, हर खंडहर और हर मंदिर अपने आप में एक इतिहास की किताब है। एरण, जिसे प्राचीन काल में एरकिण या ऐरिकिण के नाम से जाना जाता था, न केवल पुरातात्विक महत्व का केंद्र है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक जीवंत प्रतीक भी है। आइए, इस ऐतिहासिक स्थल की सैर करें और जानें कि कैसे यह स्थान समय की धूल में भी अपनी चमक बरकरार रखे हुए है।

    एरण का ऐतिहासिक महत्व: एक प्राचीन नगर की कहानी

    एरण का इतिहास गुप्तकाल (लगभग 4वीं से 6वीं शताब्दी) से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग माना जाता है। यह स्थान गुप्त साम्राज्य के दौरान एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और व्यापारिक केंद्र था। पुरातात्विक खोजों से पता चलता है कि एरण का इतिहास इससे भी पुराना हो सकता है, जो संभवतः मौर्यकाल या उससे पहले का है। बेतवा नदी के किनारे होने के कारण यह एक रणनीतिक और व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान था। यहाँ से प्राप्त सिक्के, मूर्तियाँ, और शिलालेख इस बात की गवाही देते हैं कि एरण एक समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से जीवंत नगर था।

    एरण का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और शिलालेखों में एरकिण के रूप में मिलता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह नाम संस्कृत के शब्द ऐरक (जल स्रोत या नदी) से लिया गया है, जो बेतवा नदी के महत्व को दर्शाता है। यहाँ की भौगोलिक स्थिति ने इसे व्यापारियों, तीर्थयात्रियों और सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव बनाया। गुप्तकाल में यहाँ कई मंदिरों और स्थापत्य कला के नमूनों का निर्माण हुआ, जो आज भी इस स्थान को विशेष बनाते हैं।

    एरण के पुरातात्विक खजाने: समय की गवाही

    एरण की सबसे बड़ी खासियत है यहाँ के प्राचीन अवशेष, जो पुरातत्वविदों और इतिहास प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। यहाँ के कुछ प्रमुख स्थल निम्नलिखित हैं:

    1. विश्व का सबसे प्राचीन वराह मंदिर

    एरण का सबसे प्रसिद्ध स्मारक है वराह मंदिर, जो भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। यह मंदिर 5वीं शताब्दी का माना जाता है और इसे विश्व का सबसे प्राचीन वराह मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में स्थापित विशाल वराह मूर्ति, जो लगभग 11 फीट ऊँची और 14 फीट लंबी है, अपने आप में एक अद्भुत कला का नमूना है। इस मूर्ति की नक्काशी इतनी बारीक है कि इसमें कई छोटी-छोटी मूर्तियाँ और चित्र उकेरे गए हैं, जो वैदिक और पौराणिक कथाओं को दर्शाते हैं। मूर्ति के शरीर पर सैकड़ों छोटी आकृतियाँ बनी हैं, जो देवताओं, ऋषियों और अन्य पौराणिक पात्रों को चित्रित करती हैं। यह मूर्ति गुप्तकालीन कला की उत्कृष्टता को दर्शाती है।

    2. विष्णु मंदिर

    एरण में एक प्राचीन विष्णु मंदिर भी है, जो गुप्तकालीन स्थापत्य का एक और उदाहरण है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक भव्य मूर्ति स्थापित है। मंदिर का निर्माण सरल लेकिन मजबूत है, जो उस समय की वास्तुकला की विशेषता थी। मंदिर के खंभों पर नक्काशी और शिलालेख आज भी इतिहासकारों के लिए अध्ययन का विषय हैं।

    3. गरुड़ स्तंभ

    एरण का गरुड़ स्तंभ एक और आकर्षण है। यह स्तंभ गुप्तकाल के सम्राट समुद्रगुप्त या चंद्रगुप्त द्वितीय के समय का माना जाता है। इस स्तंभ पर गरुड़ की मूर्ति स्थापित है, जो विष्णु का वाहन है। इस स्तंभ पर उत्कीर्ण शिलालेख गुप्त वंश की शक्ति और वैभव को दर्शाते हैं। यह स्तंभ आज भी अपनी मजबूती और सुंदरता के लिए जाना जाता है।

    4. अन्य मंदिर और अवशेष

    एरण में हनुमान मंदिर, नृसिंह मंदिर और जैन मंदिर के अवशेष भी मिलते हैं। ये सभी गुप्तकाल और उसके बाद के काल के हैं। जैन मंदिर के अवशेष इस बात की गवाही देते हैं कि एरण में जैन धर्म का भी प्रभाव था। इसके अलावा, यहाँ से प्राप्त सिक्कों पर गुप्तकालीन सम्राटों के नाम और चित्र अंकित हैं, जो उस समय की अर्थव्यवस्था और शासन व्यवस्था को समझने में मदद करते हैं।

    एरण के शिलालेख: इतिहास की जुबानी

    एरण से प्राप्त शिलालेख भारतीय इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ के शिलालेखों में गुप्तकालीन सम्राटों जैसे समुद्रगुप्त और भानुगुप्त के शासनकाल की जानकारी मिलती है। इनमें से एक शिलालेख में भानुगुप्त के सेनापति गोपराज की वीरता का वर्णन है, जो एक युद्ध में शहीद हो गए थे। इस शिलालेख में उनकी पत्नी के सती होने का भी उल्लेख है, जो उस समय की सामाजिक प्रथाओं को दर्शाता है।

    शिलालेखों में संस्कृत भाषा और ब्राह्मी लिपि का उपयोग हुआ है, जो गुप्तकाल की साहित्यिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। ये शिलालेख न केवल शासकों के बारे में बताते हैं, बल्कि उस समय की सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक स्थिति को भी उजागर करते हैं।

    एरण की सांस्कृतिक विरासत

    एरण केवल पुरातात्विक स्थल ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र भी था। यहाँ हिंदू, जैन और संभवतः बौद्ध धर्म के अनुयायी एक साथ रहते थे। गुप्तकाल में कला, साहित्य और विज्ञान का अभूतपूर्व विकास हुआ, और एरण इस सांस्कृतिक उत्थान का हिस्सा था। यहाँ की मूर्तियों और मंदिरों में गुप्तकालीन कला की विशेषताएँ स्पष्ट दिखती हैं, जैसे कि सुंदर नक्काशी, संतुलित अनुपात और धार्मिक प्रतीकों का उपयोग।

    एरण के मंदिरों में प्रयुक्त पत्थरों की मजबूती और उन पर की गई नक्काशी आज भी आश्चर्यजनक है। ये मंदिर न केवल धार्मिक स्थल थे, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र भी थे। यहाँ के लोग कृषि, व्यापार और शिल्पकला में निपुण थे, जैसा कि यहाँ से प्राप्त बर्तनों, औजारों और सिक्कों से पता चलता है।

    एरण का आधुनिक परिदृश्य

    आज एरण एक शांत और छोटा-सा कस्बा है, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व इसे पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है। यहाँ के खंडहर और मंदिर समय के साथ कुछ हद तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं, लेकिन फिर भी वे अपनी भव्यता को बरकरार रखे हुए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस स्थल को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस ऐतिहासिक धरोहर को देख सकें।

    एरण की यात्रा करने वाले पर्यटक यहाँ की शांति और प्राचीनता में खो जाते हैं। बेतवा नदी का किनारा, हरियाली और प्राचीन मंदिरों का दृश्य किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है। यहाँ का वातावरण ऐसा है मानो समय ठहर गया हो, और हर पत्थर आपको अपनी कहानी सुनाने को बेताब हो।

    एरण की कहानी: कुछ रोचक तथ्य

    – वराह मूर्ति की अनूठी बनावट: एरण की वराह मूर्ति पर सैकड़ों छोटी मूर्तियाँ उकेरी गई हैं, जो इसे विश्व में अद्वितीय बनाती हैं।

    – सती प्रथा का प्राचीन उल्लेख: भानुगुप्त के शिलालेख में सती प्रथा का उल्लेख मिलता है, जो उस समय की सामाजिक व्यवस्था को दर्शाता है।

    – गुप्तकालीन सिक्के: यहाँ से प्राप्त सिक्कों पर गुप्त सम्राटों के चित्र और नाम अंकित हैं, जो उनकी शक्ति और वैभव को दर्शाते हैं।

    – जैन धर्म का प्रभाव: जैन मंदिरों के अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि एरण में जैन धर्म भी फलता-फूलता था।

    एरण क्यों है खास?

    एरण का महत्व केवल इसके पुरातात्विक अवशेषों तक सीमित नहीं है। यह स्थान भारत की उस सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को दर्शाता है, जो विभिन्न धर्मों और समुदायों को एक साथ जोड़ती थी। यहाँ के मंदिर और शिलालेख गुप्तकाल की समृद्धि, कला और शासन व्यवस्था की कहानी कहते हैं। यह स्थान हमें यह भी याद दिलाता है कि भारत का इतिहास कितना गहरा और विविधतापूर्ण है।

    एरण की यात्रा एक समय यात्रा जैसी है, जो आपको उस युग में ले जाती है जब भारत अपनी कला, संस्कृति और धर्म में विश्व का नेतृत्व कर रहा था। यहाँ की हर चीज, चाहे वह वराह मूर्ति हो, गरुड़ स्तंभ हो या बेतवा का किनारा, आपको इतिहास के उस स्वर्णिम दौर से जोड़ती है।

    एरण आज भी हमें सिखाता है कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजना कितना महत्वपूर्ण है। यह स्थान न केवल इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने अतीत से सीखना चाहता है। एरण के खंडहरों में छिपी कहानियाँ हमें बताती हैं कि हमारा इतिहास कितना समृद्ध और गौरवशाली रहा है। यह हमें यह भी सिखाता है कि समय कितना भी बीत जाए, कुछ चीजें अपनी चमक कभी नहीं खोतीं।

    तो अगली बार जब आप मध्य प्रदेश की सैर पर हों, तो एरण जरूर जाएँ। यहाँ की मिट्टी, यहाँ के पत्थर और यहाँ की हवा आपको उस 1500 साल पुराने इतिहास से रूबरू कराएगी, जो आज भी जीवित है। एरण केवल एक स्थान नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का एक हिस्सा है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखता है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Article‘हम उसके टुकड़े करेंगे…’ उद्धव ठाकरे की खुली धमकी ने मचाया ‘कोहराम’, मुंबई को लेकर दी बड़ी चुनौती
    Next Article Sawan Kanwar Yatra: विचित्र परंपरा! एक ऐसा गांव जहां सावन में निर्वस्त्र रहने की प्रथा का पालन करती हैं महिलाएं
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    Banaras Street Food: देव दीपावली के लिए गए हैं बनारस? इन 12 चीजों को खाए बिना लौटने की ना करें गलती

    November 5, 2025

    Rajgir Budget Trip Under ₹1000: सिर्फ ₹1000 में राजगीर का सफर, जहां रहना-खाना भी फ्री

    November 5, 2025

    Banaras Sasta Hotel: देव दीपावली पर जा रहें बनारस, इन होटलों में ठहरे, पड़ेगा बजट में

    November 5, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    Doon Defence Dreamers ने मचाया धमाल, NDA-II 2025 में 710+ छात्रों की ऐतिहासिक सफलता से बनाया नया रिकॉर्ड

    October 6, 2025

    बिहार नहीं, ये है देश का सबसे कम साक्षर राज्य – जानकर रह जाएंगे हैरान

    September 20, 2025

    दिल्ली विश्वविद्यालय में 9500 सीटें खाली, मॉप-अप राउंड से प्रवेश की अंतिम कोशिश

    September 11, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.