Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Amethi Mein Ghoomne Ki Jagah: राजनैतिक इतिहास, गोमती तट और मूंज–उद्योग से विकसित सांस्कृतिक–धार्मिक जनपद
    • Udham Singh Nagar Mein Ghoomne Ki Jagah: ऊधमसिंह नगर — तराई का आधुनिक औद्योगिक व कृषि–केंद्र
    • Best Non Veg Restaurants in Lucknow : ये हैं नवाबों के शहर के बेस्ट नॉनवेज पॉइंट्स, जानिए लखनऊ में कहाँ-कहाँ हैं इनके आउटलेट्स
    • Lucknow: लखनऊ में यहाँ लग रही है वूलेन सेल, ब्रांडेड कपड़ों में 90 प्रतिशत तक मिलेगा डिस्काउंट
    • महाराष्ट्र का चमत्कारिक विट्ठल मंदिर, जानिए यहां ईंट पर खड़े देव की अनोखी दास्तां
    • नर्मदा की गोद में बसा ओंकारेश्वर एक चमत्कार – जानिए ये धाम इतना पवित्र क्यों है?
    • बागेश्वर : उत्तराखंड का आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक संगम
    • चमोली जिला — देवभूमि का हृदय और प्राकृतिक वैभव का खजाना
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Bharat Ka Surya Mandir: विदिशा का विजय मंदिर, एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर जो हुबहु संसद जैसे दिखता है
    Tourism

    Bharat Ka Surya Mandir: विदिशा का विजय मंदिर, एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर जो हुबहु संसद जैसे दिखता है

    By January 28, 2025No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Bharat Ka Surya Mandir Vidisha Vijay Sun Temple History 

    Vidisha Ka Vijay Mandir: विदिशा का परमारकालीन विजय मंदिर, जिसे सूर्य मंदिर (Surya Mandir) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास और वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। 11वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर का निर्माण धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। लेकिन समय के साथ यह मंदिर राजनीतिक और सांस्कृतिक संघर्षों का केंद्र बन गया।

    विजय मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के राजा कृष्ण के प्रधानमंत्री वाचस्पति ने विदिशा विजय के उपलक्ष्य में करवाया था। राजा सूर्यवंशी थे और इसलिए उन्होंने सबसे पहले सूर्य मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर को भेल्लिस्वामिन (Bhillasvamin) और भेलसानी के नामों से भी जाना जाता था, जो कालांतर में बदलकर भेलसा और फिर विदिशा बन गया।मंदिर की स्थापत्य कला और भव्यता उस समय के वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण थीं। सूर्य मंदिर होने के कारण यह धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था। इसकी अद्वितीय संरचना और मूर्तियाँ इसे भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना बनाती थीं।

    मंदिर पर आक्रमण और विनाश (Surya Mandir Attack And Destruction)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    विजय मंदिर अपनी भव्यता और प्रसिद्धि के कारण हमेशा से आक्रांताओं के निशाने पर रहा। यह मंदिर बार-बार लूटपाट और विनाश का शिकार हुआ, लेकिन हर बार इसे पुनर्निर्मित किया गया।

    प्रारंभिक आक्रमण: पहला आक्रमण सन् 1266-34 ई. में दिल्ली के गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश ने किया। इस हमले से मंदिर को नुकसान पहुँचा, लेकिन इसे पुनर्निर्मित किया गया।

    मलिक काफूर का हमला: सन् 1290 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के मंत्री मलिक काफूर ने मंदिर पर भयंकर आक्रमण किया। इस दौरान मंदिर की 8 फीट लंबी अष्टधातु की मूर्ति को दिल्ली स्थित बदायूं दरवाजे की मस्जिद की सीढ़ियों में जड़ दिया गया।

    महमूद खिलजी और बहादुर शाह का हमला: सन् 1459-60 ई. में मांडू के शासक महमूद खिलजी ने और 1532 ई. में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने भी मंदिर पर आक्रमण किए। इन हमलों ने मंदिर को काफी क्षति पहुँचाई, लेकिन इसकी भव्यता को पूरी तरह नष्ट नहीं कर सके।

    औरंगजेब का विनाश: सन् 1682 ई. में मुगल शासक औरंगजेब ने विजय मंदिर को तोपों से उड़वा दिया। उसने मंदिर के अष्टकोणीय भाग को चतुष्कोणीय बना दिया और उसके पत्थरों का उपयोग करते हुए यहाँ एक मस्जिद का निर्माण कराया। मंदिर के पार्श्व भाग में आज भी तोप के गोलों के निशान स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।

    1992 की बाढ़ और मंदिर के अवशेष

    सन् 1992 की बाढ़ में मस्जिद का एक हिस्सा पानी में ढह गया, जिसके बाद मंदिर के अवशेष सामने आने लगे। भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) ने जब यहाँ खुदाई की, तो मंदिर की संरचना के और हिस्से उजागर हुए। यह घटना इस ऐतिहासिक धरोहर के पुनः जागरूकता का कारण बनी।

    मंदिर की स्थापत्य कला और महत्व (Surya Mandir Architecture and Importance)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    इतिहासकारों के अनुसार, विजय मंदिर की वास्तुकला 10वीं-11वीं शताब्दी में इसके पुनर्निर्माण की ओर इशारा करती है। इसकी मूर्तियों और नक्काशियों में भारतीय शिल्पकला की उत्कृष्टता झलकती है।

    शिल्प और नक्काशी: मंदिर की दीवारों पर धार्मिक कथाओं, देवी-देवताओं और पौराणिक घटनाओं की उत्कृष्ट नक्काशी की गई थी।

    अष्टकोणीय संरचना: मंदिर का मूल रूप अष्टकोणीय था, जो इसकी वास्तुशिल्पीय विशेषता को दर्शाता है। औरंगजेब ने इसे चतुष्कोणीय में बदल दिया था।

    धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: यह मंदिर धार्मिक अनुष्ठानों और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था। सूर्य मंदिर होने के कारण यहाँ विशेष रूप से सूर्य की पूजा की जाती थी।

    संघर्ष और पुनर्निर्माण का इतिहास (Vidisha Surya Mandir Ka Punarnirman)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    इस मंदिर की रक्षा के लिए हिंदू भक्तों ने हमेशा संघर्ष किया। मुस्लिम शासकों द्वारा बार-बार आक्रमण और विनाश के बावजूद मंदिर को पुनः निर्मित किया गया। सन् 1760 ई. में पेशवा शासनकाल के दौरान मंदिर को मस्जिद के रूप से मुक्त कराया गया। भारतीय पुरातत्व विभाग ने 1992 की बाढ़ के बाद मंदिर के अवशेषों को संरक्षित करने का कार्य शुरू किया। आज विजय मंदिर के अवशेष भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रतीक हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि ऐतिहासिक संघर्ष और धरोहर के संरक्षण की प्रेरणा भी देता है। मध्य प्रदेश सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इस धरोहर के संरक्षण के लिए सक्रिय हैं।

    विदिशा का विजय मंदिर भारतीय इतिहास के संघर्ष और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इसके निर्माण से लेकर विनाश और पुनर्निर्माण तक, यह मंदिर भारतीय समाज की अदम्य शक्ति और आस्था को दर्शाता है। यह धरोहर हमारे अतीत को समझने और भविष्य के लिए प्रेरणा लेने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

    वास्तुकला और संरचना

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    विजय मंदिर की वास्तुकला गुप्त काल की विशिष्ट विशेषताओं को दर्शाती है। यह नागर शैली में निर्मित है, जो अपने ऊँचे शिखर और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की संरचना में मुख्य गर्भगृह, मंडप, और प्रवेशद्वार शामिल हैं।यहाँ की मूर्तियाँ और दीवारों पर की गई नक्काशी धार्मिक और पौराणिक कथाओं को जीवंत करती हैं। मूर्तिकारों ने पत्थरों पर अत्यंत सूक्ष्म और बारीक काम किया है। यहाँ पर रामायण, महाभारत, और भागवत पुराण की कहानियाँ चित्रित हैं.

    गर्भगृह: गर्भगृह मंदिर का सबसे पवित्र स्थान है, जहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है। यह स्थान छोटे आकार का है, लेकिन इसकी दीवारों पर की गई नक्काशी अद्वितीय है। नक्काशी में धार्मिक कथाएँ, पौराणिक पात्र, और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ शामिल हैं।

    मंडप: मंदिर के सामने का मंडप सभा और अनुष्ठानों के लिए उपयोग किया जाता था। इसकी छत को खंभों पर आधारित किया गया है, जिनकी नक्काशी में प्राकृतिक दृश्य, फूल, और ज्यामितीय आकृतियाँ देखी जा सकती हैं।

    शिखर: विजय मंदिर का शिखर नागर शैली का एक उत्तम उदाहरण है। यह खड़ी सीढ़ीनुमा संरचना में ऊपर की ओर उठता है और विजय के प्रतीक के रूप में आकाश की ओर इंगित करता है। शिखर पर केलश स्थापित है, जो मंदिर की पवित्रता को बढ़ाता है।

    प्रवेशद्वार: मंदिर का मुख्य द्वार बड़े आकार का है और इसकी दोनों ओर दार्शनिक आकृतियों की नक्काशी की गई है। द्वार के ऊपर गज और अश्व जैसे पौराणिक प्राणियों के चित्र उकेरे गए हैं।

    धार्मिक महत्व (Surya Mandir Ka Dharmik Mahatva)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    विजय मंदिर का धार्मिक महत्व इसकी वास्तुकला और शिल्पकला से भी अधिक है। इसे विष्णु भक्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहाँ पर भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों जैसे कि वराह, नृसिंह, और वामन की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं। मंदिर में नियमित रूप से पूजा-अर्चना और उत्सव आयोजित किए जाते थे।

    विशेष रूप से विजयादशमी के पर्व पर यहाँ भव्य आयोजन होते थे, जहाँ हजारों श्रद्धालु एकत्र होते थे। यह मंदिर न केवल धार्मिक क्रियाओं का केंद्र था, बल्कि समाज के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।

    वर्तमान स्थिति

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    विजय मंदिर वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में है। यह मंदिर वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं और मानव निर्मित क्षति का सामना करता आ रहा है। हालांकि, एएसआई ने इसकी मरम्मत और देखरेख के लिए कई प्रयास किए हैं।आज विजय मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहाँ इतिहास, धर्म, और वास्तुकला के प्रेमी बड़ी संख्या में आते हैं। यहाँ का शांत वातावरण और सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।

    मंदिर से जुड़े मिथक और कहानियाँ

    विजय मंदिर के साथ कई मिथक और कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विष्णु के आदेश पर किया गया था। एक अन्य कथा के अनुसार, यहाँ पर एक साधु ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या के फलस्वरूप मंदिर में दिव्य शक्ति का वास हुआ।

    पर्यटन और महत्व

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    विजय मंदिर विदिशा आने वाले पर्यटकों के लिए एक मुख्य आकर्षण है। यहाँ आने वाले लोग न केवल इसकी अद्भुत वास्तुकला का आनंद लेते हैं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त करते हैं।मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने विजय मंदिर को प्रमोट करने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए सड़क और रेल मार्ग की अच्छी सुविधा है।

    विजय मंदिर न केवल विदिशा का, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति का भी अभिन्न हिस्सा है। इसकी स्थापत्य कला, धार्मिक महत्व, और ऐतिहासिक योगदान इसे अनमोल धरोहर बनाते हैं। यह मंदिर गुप्तकालीन भारत की महानता और समृद्धि का प्रतीक है। विजय मंदिर न केवल अतीत की झलक दिखाता है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी प्रेरणा स्रोत है।विदिशा का विजय मंदिर भारतीय इतिहास के संघर्ष और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इसके निर्माण से लेकर विनाश और पुनर्निर्माण तक, यह मंदिर भारतीय समाज की अदम्य शक्ति और आस्था को दर्शाता है। यह धरोहर हमारे अतीत को समझने और भविष्य के लिए प्रेरणा लेने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleKannauj News: मिल्कीपुर और दिल्ली चुनाव को लेकर गरमाई सियासत, सपा-कांग्रेस पर बोलते हुए भाजपा पूर्व सांसद सुब्रत पाठक ने कहा- ‘यह गठबंधन नहीं स्वार्थ बंधन है’
    Next Article हरियाणा के 600 अस्पतालों की आयुष्मान में इलाज बंद करने की धमकी क्यों?

    Related Posts

    Amethi Mein Ghoomne Ki Jagah: राजनैतिक इतिहास, गोमती तट और मूंज–उद्योग से विकसित सांस्कृतिक–धार्मिक जनपद

    December 6, 2025

    Udham Singh Nagar Mein Ghoomne Ki Jagah: ऊधमसिंह नगर — तराई का आधुनिक औद्योगिक व कृषि–केंद्र

    December 6, 2025

    Best Non Veg Restaurants in Lucknow : ये हैं नवाबों के शहर के बेस्ट नॉनवेज पॉइंट्स, जानिए लखनऊ में कहाँ-कहाँ हैं इनके आउटलेट्स

    December 6, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने माहेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज के वार्षिक समारोह में किया शिरकत, गरीब बच्चों की शिक्षा पहल की खुले दिल से प्रशंसा की

    November 1, 2025

    Doon Defence Dreamers ने मचाया धमाल, NDA-II 2025 में 710+ छात्रों की ऐतिहासिक सफलता से बनाया नया रिकॉर्ड

    October 6, 2025

    बिहार नहीं, ये है देश का सबसे कम साक्षर राज्य – जानकर रह जाएंगे हैरान

    September 20, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.