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    Home » Bharat Ki Darawani Jagah: शैतानी आत्माओं का घर, जानिए क्या है कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग की डरावनी कहानी
    Tourism

    Bharat Ki Darawani Jagah: शैतानी आत्माओं का घर, जानिए क्या है कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग की डरावनी कहानी

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 11, 2025No Comments8 Mins Read
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    Kolkata Writers Building Haunted Story

    Kolkata Writers Building Haunted Story

    Kolkata Writers Building Haunted Story: कोलकाता, जिसे सिटी ऑफ जॉय कहा जाता है, अपनी पुरानी हवेलियों, गलियों और इमारतों के लिए मशहूर है। लेकिन इन खूबसूरत इमारतों के पीछे कुछ ऐसी कहानियाँ भी छिपी हैं, जो रात के सन्नाटे में रूह को कंपा देती हैं। इनमें से एक है राइटर्स बिल्डिंग, कोलकाता का ऐतिहासिक और भव्य भवन, जो न सिर्फ अपने औपनिवेशिक वैभव के लिए जाना जाता है, बल्कि उन डरावनी कहानियों के लिए भी, जो इसके गलियारों में गूंजती हैं। 2025 में, जब यह इमारत अपनी 245वीं सालगिरह मना रही है, इसकी भूतिया कहानियाँ आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय हैं।

    इतिहास का एक पन्ना

    राइटर्स बिल्डिंग को 1780 में ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए बनाया गया था। यह कोलकाता के बीबीडी बाग इलाके में स्थित है, जो उस समय ब्रिटिश हुकूमत का दिल था। इसका नाम उन राइटर्स यानी क्लर्क्स से पड़ा, जो कंपनी के लिए हिसाब-किताब और दस्तावेज संभालते थे। यह भवन अपनी भव्यता और नवशास्त्रीय वास्तुकला के लिए मशहूर है, जिसमें ऊँचे खंभे, संगमरमर की सीढ़ियाँ और विशाल गलियारे हैं। आज यह पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय है, लेकिन इसके गलियारों में अतीत की सायें आज भी भटकती हैं, ऐसा लोग कहते हैं।

    रात के समय, जब कर्मचारी घर चले जाते हैं और इमारत सन्नाटे में डूब जाती है, तब यहाँ अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती हैं-कदमों की आहट, फुसफुसाहट और कभी-कभी किसी के रोने की आवाज। स्थानीय लोग और यहाँ काम करने वाले कर्मचारी दबी जुबान में कहते हैं कि यह इमारत भूतों का बसेरा है। आइए, कुछ ऐसी कहानियों में गोता लगाएँ, जो इस भवन को कोलकाता की सबसे डरावनी जगहों में से एक बनाती हैं।

    कैप्टन सिम्पसन की बेचैन आत्मा

    राइटर्स बिल्डिंग की सबसे मशहूर कहानी है कैप्टन सिम्पसन की, जो 1857 की क्रांति के दौरान इस इमारत में तैनात एक ब्रिटिश अधिकारी था। उस समय भारत में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की आग भड़क रही थी। कोलकाता में भी क्रांतिकारियों ने राइटर्स बिल्डिंग को निशाना बनाया, क्योंकि यह ब्रिटिश शासन का गढ़ था। कहते हैं कि कैप्टन सिम्पसन ने इस इमारत की हिफाजत के लिए अपनी जान दे दी। लेकिन उनकी मौत इतनी दर्दनाक थी कि उनकी आत्मा यहाँ से जा नहीं पाई।

    स्थानीय कर्मचारियों का कहना है कि रात में इमारत के तीसरे माले पर, जहाँ पुराने रिकॉर्ड्स रखे हैं, भारी बूटों की आवाज सुनाई देती है। कुछ गार्ड्स ने बताया कि उन्होंने एक गोरे सैनिक की छाया देखी, जो वर्दी में गलियारे में टहलता है। एक बार एक कर्मचारी, रमेश बाबू, जो देर रात तक काम कर रहे थे, ने बताया, “मैंने एक पुरानी कुर्सी पर किसी को बैठे देखा। मुझे लगा कोई और कर्मचारी है, लेकिन जब मैं पास गया, तो वहाँ कोई नहीं था। मेरी रीढ़ में सिहरन दौड़ गई।” कुछ लोग कहते हैं कि कैप्टन सिम्पसन की आत्मा आज भी अपनी ड्यूटी निभा रही है, जैसे वह कभी इस इमारत को छोड़ना ही नहीं चाहता।

    बंगाल के गवर्नर की पत्नी

    राइटर्स बिल्डिंग के आसपास एक और कहानी मशहूर है, जो पश्चिम बंगाल के एक पूर्व गवर्नर की पत्नी से जुड़ी है। 19वीं सदी में यह इमारत गवर्नर के अधिकारियों का कार्यालय थी। कहते हैं कि गवर्नर की पत्नी, जिनका नाम लेडी एमिली था, इस भवन में अक्सर आया करती थीं। लेकिन एक रात, एक रहस्यमयी हादसे में उनकी मौत हो गई। कुछ लोग कहते हैं कि यह हत्या थी, जिसे दुर्घटना का नाम दिया गया।

    तब से, कर्मचारियों ने दावा किया है कि रात में गलियारों में एक औरत की फुसफुसाहट सुनाई देती है। कुछ ने तो सफेद साड़ी में एक छाया को सीढ़ियों पर उतरते देखा। एक पुराने चौकीदार, बिमल दा, ने बताया, “मैंने एक रात को लेडी की तरह दिखने वाली आकृति को गलियारे में देखा। उसने मुझे देखा और फिर हवा में गायब हो गई। मैंने उसी दिन नौकरी छोड़ दी!” यह कहानी इतनी मशहूर है कि कई कर्मचारी रात में अकेले इमारत में रहने से डरते हैं।

    क्रांतिकारियों की अधूरी लड़ाई

    1857 की क्रांति के दौरान राइटर्स बिल्डिंग में कई भारतीय क्रांतिकारियों को कैद किया गया था। कहते हैं कि इनमें से कुछ को इमारत के तहखाने में यातनाएँ दी गईं और उनकी मौत हो गई। इन क्रांतिकारियों की आत्माएँ आज भी यहाँ भटकती हैं, ऐसा विश्वास है। तहखाने, जो अब स्टोर रूम के तौर पर इस्तेमाल होता है, को कर्मचारी “भूतों का अड्डा” कहते हैं।

    एक कर्मचारी, श्यामल, ने बताया कि एक बार वह तहखाने में पुरानी फाइलें लेने गया था। अचानक लाइट बंद हो गई और उसे लगा कि कोई उसके पीछे खड़ा है। उसने पीछे मुड़कर देखा, तो वहाँ कोई नहीं था, लेकिन ठंडी हवा का एक झोंका आया। श्यामल ने कहा, “मुझे लगा जैसे कोई मुझसे कह रहा हो, ‘यहाँ से चले जाओ!’ मैं भागकर बाहर आ गया।” कुछ लोग मानते हैं कि ये क्रांतिकारियों की आत्माएँ हैं, जो आजादी की अधूरी लड़ाई को पूरा करने के लिए भटक रही हैं।

    रात का अनजान मेहमान

    2010 में राइटर्स बिल्डिंग में एक नया डरावना किस्सा सामने आया। एक सुरक्षा गार्ड, जो रात की ड्यूटी पर था, ने बताया कि उसने एक अजीब साया देखा, जो इमारत के मुख्य द्वार के पास खड़ा था। वह साया किसी पुराने जमाने के कर्मचारी जैसा लग रहा था, जिसके कपड़े 19वीं सदी के थे। गार्ड ने जब उसे टॉर्च दिखाई, तो वह गायब हो गया। यह घटना इतनी डरावनी थी कि गार्ड ने अगले दिन नौकरी छोड़ दी।

    इसके बाद, कई कर्मचारियों ने दावा किया कि रात में उनके टेबल पर रखी फाइलें अपने आप खिसक जाती हैं। कुछ ने तो टाइपिंग की आवाज सुनी, जैसे कोई पुराना टाइपराइटर चला रहा हो, जबकि इमारत में अब टाइपराइटर का इस्तेमाल बंद हो चुका है। स्थानीय लोग कहते हैं कि यह राइटर्स यानी पुराने क्लर्क्स की आत्माएँ हैं, जो अपने अधूरे काम को पूरा करने के लिए लौटती हैं।

    राइटर्स बिल्डिंग क्यों है इतनी डरावनी

    राइटर्स बिल्डिंग की डरावनी कहानियों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला, इसकी उम्र। 245 साल पुरानी यह इमारत कई युद्धों, क्रांतियों और हादसों की गवाह है। दूसरा, इसका औपनिवेशिक इतिहास। ब्रिटिश शासन के दौरान यहाँ कई क्रूर फैसले लिए गए, जिनसे हजारों भारतीयों को तकलीफ हुई। तीसरा, इसकी वास्तुकला। लंबे गलियारे, ऊँची छतें और पुराने फर्नीचर इसे रहस्यमयी बनाते हैं।

    2025 में, कोलकाता में पर्यटक और इतिहास प्रेमी इस इमारत को देखने आते हैं, लेकिन रात में यहाँ रुकने की हिम्मत कम ही लोग करते हैं। कुछ स्थानीय गाइड्स ने तो हॉन्टेड टूर शुरू किए हैं, जहाँ वे पर्यटकों को रात में इमारत के आसपास ले जाते हैं और इन कहानियों को सुनाते हैं। लेकिन गाइड्स भी तहखाने या तीसरे माले पर जाने से कतराते हैं।

    यह सच है या अफवाह

    कई लोग इन कहानियों को महज अफवाह मानते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरानी इमारतों में हवा, पानी की पाइपों या लकड़ी की चरमराहट की वजह से अजीब आवाजें आती हैं। लेकिन जो लोग यहाँ काम करते हैं, उनके लिए ये कहानियाँ सच से कम नहीं। एक पुराने कर्मचारी, सुब्रत दा, ने कहा, “विज्ञान अपनी जगह है, लेकिन जब रात में अकेले गलियारे में कोई फुसफुसाता है, तो दिल धक-धक करने लगता है।”

    कुछ लोग कहते हैं कि सरकार को इन कहानियों का फायदा उठाकर राइटर्स बिल्डिंग को पर्यटक स्थल के रूप में बढ़ावा देना चाहिए। कोलकाता में पहले से ही ‘हॉन्टेड प्लेस’ जैसे नेशनल लाइब्रेरी और पुतुलबारी के टूर होते हैं। राइटर्स बिल्डिंग को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या आप रात में इस इमारत के गलियारों में टहलने की हिम्मत करेंगे?

     

    राइटर्स बिल्डिंग की डरावनी कहानियाँ सिर्फ भूतों की बात नहीं करतीं। ये उस इतिहास की गवाही देती हैं, जिसमें दर्द, बलिदान और संघर्ष भरे हैं। कैप्टन सिम्पसन की आत्मा हो, लेडी एमिली की फुसफुसाहट हो, या क्रांतिकारियों की अधूरी लड़ाई ये कहानियाँ हमें अतीत से जोड़ती हैं। 2025 में, जब हम आजादी के 78 साल मना रहे हैं, राइटर्स बिल्डिंग हमें याद दिलाती है कि आजादी की कीमत कितनी थी।

    राइटर्स बिल्डिंग अभी भी पश्चिम बंगाल सरकार का मुख्यालय है। यहाँ दिन में सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं और इमारत की भव्यता आज भी बरकरार है। लेकिन रात में यह एक अलग ही दुनिया बन जाती है। हाल ही में X पर एक पोस्ट वायरल हुई, जिसमें एक पर्यटक ने दावा किया कि उसने राइटर्स बिल्डिंग के बाहर रात में एक छाया देखी, जो गायब हो गई। इस पोस्ट ने फिर से इन कहानियों को हवा दे दी।

    तो अगली बार जब आप कोलकाता जाएँ, तो राइटर्स बिल्डिंग जरूर देखें। लेकिन सूरज ढलने से पहले लौट आना, क्योंकि रात में यह इमारत अपनी कहानियाँ खुद सुनाती है। क्या आप इन कहानियों को सच मानते हैं, या यह सिर्फ दिमाग का वहम है? यह सवाल आपके लिए छोड़ता हूँ।

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