Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • ‘महाराष्ट्र में नाम कटवाकर जीते, अब बिहार में दोहराने की तैयारी…’, ममता बनर्जी का बीजेपी पर हमला
    • ‘हमें सजा दिलाने चले थे… खुद हैं बेल पर’! असम में राहुल गांधी पर जमकर बरसे सीएम हिमंत सरमा
    • ऐसे नहीं मिलेगा न्याय… आत्मदाह कांड से हिली ओडिशा की राजनीति! राहुल गांधी ने पिता से की बात, विधानसभा के बाहर मचा ‘घोर तांडव’
    • Etah News: विद्यालय एकीकरण के विरोध में एटा पहुंचे आप सांसद संजय सिंह, कहा- “दलित-पिछड़े बच्चों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं”
    • उम्मेदा राम बेनीवाल-बाड़मेर की मिट्टी से संसद तक का राजनीतिक सफर
    • Kanchipuram Temple Story: सारे शिव भक्तों के लिए स्वर्ग है हज़ार मंदिरों का शहर कांचीपुरम, जहां सावन में उमड़ता है शिवभक्तों का हुजूम
    • Omkareshwar Mandir Ka Itihas: आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी यहाँ, भगवान शिव का सबसे पवित्र धाम ओंकारेश्वर, नर्मदा के तट पर है स्थित
    • 35 लाख से ज्यादा लोगों का कटेगा वोट, बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट मामले में विवाद गहराया
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Bharat Mein Islam Ka Itihas: भारत पर पहले इस्लामिक आक्रमण की दास्तान, क्या था रेवाड़ युद्ध ?
    Tourism

    Bharat Mein Islam Ka Itihas: भारत पर पहले इस्लामिक आक्रमण की दास्तान, क्या था रेवाड़ युद्ध ?

    By February 8, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Bharat Mein Islam Ka Itihas (Photo Credit – Social Media)

    Bharat Mein Islam Ka Itihas: रेवाड़ का युद्ध (Rewar War) मुहम्मद-बिन-कासिम और सिंध के राजा (Kingh of Sindh) दाहिर के बीच हुआ था। इस युद्ध में पंजाब के ब्राह्मण शासक दाहिर(Dahir) की हार हुई थी।जिसके बाद सिंध और मुल्तान पर मुहम्मद-बिन-कासिम ने कब्ज़ा कर लिया था।मुहम्मद-बिन-कासिम ने मुल्तान को ‘सोने का शहर’ कहा था।

    भारत में मुस्लिम शासन का इतिहास अत्यंत व्यापक और गहन है। भारतीय उपमहाद्वीप पर कई मुस्लिम शासकों ने लंबे समय तक शासन किया। इनमें दिल्ली सल्तनत (1206-1526) और मुगल साम्राज्य (1526-1857) प्रमुख रहे। दिल्ली सल्तनत के दौरान गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश और लोदी वंश जैसे राजवंशों ने सत्ता संभाली। वहीं, भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने 1526 में की, जिसने भारतीय प्रशासन, संस्कृति और कला पर अमिट छाप छोड़ी।

    हालांकि, इससे पहले भारत पर पहला इस्लामिक आक्रमण 8वीं सदी में 712 ईस्वी में हुआ था। इस आक्रमण का नेतृत्व उमय्यद ख़िलाफ़त के सेनापति मुहम्मद बिन क़ासिम(Muhammad bin Qasim) ने किया। उन्होंने सिंध के शासक राजा दाहिर को हराकर सिंध और मुल्तान(Sindh & Multan) के क्षेत्रों पर कब्जा किया। इस आक्रमण का उद्देश्य व्यापार मार्गों पर नियंत्रण स्थापित करना और इस्लाम का प्रसार करना था। हालांकि, यह आक्रमण लंबे समय तक भारत के आंतरिक हिस्सों पर प्रभाव नहीं डाल सका, लेकिन इसे भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामिक शासन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

    आज इस लेख के माध्यम से भारत में इस्लाम शासन(Islamic rule) की नींव का वर्णन करेंगे, तो आइये जानते है भारत पर पहले इस्लामिक आक्रमण का इतिहास और उसके प्रभाव।

    भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमण: रेवाड़ का युद्ध

    भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमण 20 जून 712 ईस्वी को सिंध पर हुआ, जिसका नेतृत्व उमय्यद ख़िलाफ़त के सेनापति मोहम्मद बिन क़ासिम ने किया। मोहम्मद बिन क़ासिम उमय्यद ख़िलाफ़त के खलीफा अल-वलीद के शासनकाल में उनके सेनापति थे जिन्होंने सिंध पर हमला बोला था।मोहम्मद बिन क़ासिम ने राजा दाहिर को हराकर सिंध और मुल्तान पर कब्जा कर लिया था। उस वक्त सिंध पर राजा दाहिर का शासन था और उनकी राजधानी देवल (आधुनिक कराची के पास) थी।

    इस आक्रमण में मोहम्मद बिन क़ासिम और राजा दाहिर के बिच संघर्ष हुआ था जिसे ‘रेवाड़ का युद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है।इस युद्ध में राजा दाहिर की हार हुई थी। और यही हार भारत में मुग़ल सत्ता की नींव साबित हुई।इस युद्ध को भारतीय इतिहास में इस्लामिक शासन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

    मुहम्मद बिन क़ासिम और राजा दाहिर के बीच ऐतिहासिक युद्ध

    राजा दाहिर से युद्ध की तैयारी के लिए मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिंधु नदी के पश्चिमी तट पर लगभग पचास दिनों तक डेरा डाले रखा। इस दौरान, उन्होंने नदी पार करने की योजना बनाई और खतरनाक मोका को इस बात के लिए तैयार किया कि वह नावों का इंतजाम करे। सभी नावों को आपस में जोड़कर एक अस्थायी पुल तैयार किया गया, जिसे नदी की चौड़ाई के अनुसार बनाया गया था। यह पुल नदी में तैरते हुए एक ओर पश्चिमी तट से बंधा था, जबकि दूसरी ओर धीरे-धीरे पूर्वी तट तक पहुंचा दिया गया। जैसे ही पुल पूर्वी तट से जुड़ गया, अरब सेना बेट किले के पास सिंधु नदी को पार करने में सफल हो गई। इसके बाद, रावर (या राओर) के मैदान में राजा दाहिर की सेना और मुहम्मद बिन क़ासिम की सेना के बीच आमना-सामना हुआ। और एक भयंकर संघर्ष का आगाज़ हुआ।

    इस युद्ध के दौरान दाहिर ने अपनी सेना को सिंधु नदी के पूर्वी तट पर स्थानांतरित कर के मुहम्मद बिन क़ासिम को नदी पार करने से रोकने की कोशिश की। हालांकि, क़ासिम ने नदी पार करने में सफलता प्राप्त की और दाहिर के बेटे जैसिय्या के नेतृत्व में स्थित जिटोर में उनकी सेना को पराजित किया। इस युद्ध में कासिम ने बर्बरता की सारी हदे पार की ।क़ासिम ने राओर (जो आजकल नवाबशाह के पास है) में दाहिर से मुकाबला किया और उसे मार डाला। सिंधु नदी के तट पर अरोर में हुई इस लड़ाई में दाहिर की मृत्यु के बाद, उसका सिर उसके शरीर से अलग कर दिया गया और हज्जाज बिन यूसुफ के पास भेजा गया।

    क़ासिम की विजय और खलीफा के आदेश पर असमय मृत्यु

    सिंध का युद्ध मोहम्मद बिन क़ासिम ने जीत लिया और अपनी सेना के साथ सिंध पर नियंत्रण स्थापित किया। हालांकि, यह विजय अधिक दिनों तक स्थिर नहीं रह सकी। सिंध पर पूर्ण रूप से अधिकार जमाने से पहले ही, खलीफा के आदेशानुसार मोहम्मद बिन क़ासिम की मौत तय हो गई। और इस तरह, क़ासिम की विजय के बावजूद, उसका अंत असमय और अप्रत्याशित हुआ।

    सिंध पर आक्रमण: लूट की घटना और बदला लेने की कहानी

    सिंध पर हमला एक लूट की घटना के बाद हुआ था।जब श्रीलंका से भेजे गए तोहफे और खजाने को सिंध में लूट लिया गया। श्रीलंका (सीलोन) के राजा ने अरब के खलीफा अल-वलीद प्रथम को आठ जहाजों में तोहफे और खजाने भेजे थे, लेकिन वे सामान सिंध के पास स्थित एक बंदरगाह पर लूट लिया गया। इराक के प्रांतपति अल हज्जाज ने इसके लिए सिंध के राजा दाहिर को दोषी माना , हालांकि दाहिर ने इस लूट को समुद्री डाकुओं का काम बताते हुए अपनी मजबूरी बताई। फिर भी, हज्जाज ने इस घटना का बदला लेने के लिए सिंध पर हमला करने का निर्णय लिया। हज्जाज ने अरब की अन्य सेनाओं को भारत पर आक्रमण के लिए भेजा गया, लेकिन उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा। अंततः खलीफा के आदेश पर हज्जाज ने अपने भतीजे और दामाद, इमादुद्दीन मुहम्मद बिन क़ासिम को एक विशाल सेना के साथ सिंध पर तीसरी बार हमले के लिए भेजा।

    सिंध पर विजय, बर्बरता और भारत का पहला जौहर

    मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिंध पर आक्रमण के लिए रणनीति तैयार की, जिसमें एक विश्वासघाती व्यक्ति ने दुश्मन को महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। इसके बाद, अरब सेना ने सिंध पर हमला किया और नरसंहार किया। लोगों को इस्लाम स्वीकार करने या मौत के बीच चयन करने को मजबूर किया गया, जिसमें हजारों हिंदू बेरहमी से मारे गए।

    ऐसा कहा जाता है कि राजा दाहिर सिंध के अंतिम हिंदू शासक थे।अरोर की लड़ाई में पति के मृत्यु के बाद, उनकी पहली पत्नी रानीबाई ने कासिम की सेना के साथ कुछ महीनों तक संघर्ष किया, लेकिन युद्ध में अपनी हार को देखते हुए, दुश्मन के हाथों से बचने के लिए, रानीबाई राजघराने की बाकी महिलाओं के साथ जौहर की आग में कूद गई ।और इस तरह भारत का पहला जौहर हुआ। जबकि राजा दाहिर की दूसरी पत्नी और उनकी दो बेटियां सूर्या देवी(Surya Devi) और प्रेमला देवी(Pramila Devi)मुहम्मद बिन क़ासिम की सेना के कब्जे में आ गईं। इतिहास में दर्ज कुछ विवरणों के अनुसार कासिम ने उनके साथ बर्बरता की सारी हदे पार की और उनके साथ अत्याचार और यौन शोषण करते हुए उनका यौन दसियों(Sex Slaves) की तरह इस्तेमाल किया।

    राजा दाहिर का परिचय

    प्राचीन और समृद्ध सभ्यताओं से परिपूर्ण सिंधु नदी घाटी सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संपदा से भरपूर है। सिंध क्षेत्र सिंधु नदी और थार रेगिस्तान के पास स्थित है। इस क्षेत्र पर लंबे समय तक शासन करने वाला पुष्करन ब्राह्मण राजवंश था ।और राजा दाहिर का संबंध भी इसी राजघराने से था।राजा दाहिर, थेराजा दाहिर सेन के पुत्र थे।उनका जन्म 663 ईस्वी में हुआ था।और वे 679 ईस्वी में सिंध की गद्दी पे बैठे।वे अफ़गानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों के शासक थे। इतिहासकारों के अनुसार उनका शासनकाल 695 – 712 ईसा पूर्व के बीच रहा।

    भारत पर आक्रमण करने वाला पहला इस्लामिक कमांडर

    मुहम्मद बिन क़ासिम, उमय्यद ख़िलाफ़त के एक अरब सैन्य कमांडर थे, जिन्होंने भारत में उमय्यद अभियान की नींव रखी। उन्होंने सिंध और पंजाब के क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की। क़ासिम का जन्म 31 दिसंबर, 695 को हुआ था, और मात्र 17 वर्ष की आयु में उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण कर सफलता हासिल की।

    भारत पर इस्लामिक आक्रमण: असफल प्रयासों से क़ासिम की सफलता तक

    कुछ इतिहासकारों का मानना है कि भारत पर पहला इस्लामिक आक्रमण 638 ईस्वी में खलीफाओं की सेना द्वारा किया गया था। उनके अनुसार, 638 से 711 ईस्वी तक के 74 वर्षों में कुल 9 खलीफाओं ने भारत पर लगभग 15 बार आक्रमण किया। इनमें से 15वां और सबसे प्रभावी आक्रमण मुहम्मद बिन क़ासिम ने किया ।कुछ इतिहासकार इसे पहला सफल आक्रमण मानते है, क्योकि उनके अनुसार इससे पहले के 14 आक्रमण असफल रहे थे, लेकिन क़ासिम ने सिंध और पंजाब पर विजय प्राप्त कर इस्लामिक शासन की नींव रखी।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleदिल्ली चुनाव नतीजे 2025ः  बीजेपी से सीएम कौन होगा?
    Next Article प्रियंका पर विवादित टिप्पणी करने वाले रमेश बिधूड़ी कालकाजी से हार गए

    Related Posts

    Kanchipuram Temple Story: सारे शिव भक्तों के लिए स्वर्ग है हज़ार मंदिरों का शहर कांचीपुरम, जहां सावन में उमड़ता है शिवभक्तों का हुजूम

    July 15, 2025

    Omkareshwar Mandir Ka Itihas: आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी यहाँ, भगवान शिव का सबसे पवित्र धाम ओंकारेश्वर, नर्मदा के तट पर है स्थित

    July 15, 2025

    Beneshwar Dham Ka Chamatkar: बहुत बड़ा चमत्कार होता है बेणेश्वर धाम में, हर सावन सोमवार में देखेगी ये चमत्कारी घटना

    July 14, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.