
Bihar Vidhan Sabha Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान में कुछ ही दिन शेष है। ऐसे में राजनीतिक दलों ने चुनावी रण में पूरी ताक़त झोंक दी है। इसी कड़ी में लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को बेगूसराय में एक अनोखा और ज़मीन से जुड़ाव वाला नजारारा पेश किया है। वह चुनावी प्रचार के शोर से हटकर के स्थानीय मछुआरों के साथ तालाब में मछली पकड़ने के लिए उतर गए। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
मछुआरों के साथ पकड़ी मछलियां
राहुल गांधी को तालाब के ठंडे पानी में उतरकर, स्थानीय ग्रामीणों और मछुआरों के साथ पारंपरिक जाल डालते और मछलियां पकड़ते देख, भारी भीड़ जुट गई। वहां मौजूद लोगों में जबरदस्त उत्साह की लहर दौड़ गई। यह दृश्य महज एक राजनीतिक गतिविधि नहीं, बल्कि लोक संस्कृति और बिहार की मिट्टी से नेता के गहरे जुड़ाव का प्रतीक बन गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार सुबह से ही तालाब किनारे तैयारियां चल रही थीं। जब राहुल गांधी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे, तो ग्रामीणों ने उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। उसके बाद बिना कोई हिचकिचाहट के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तालाब में छलांग लगा दी।
लोग बोलें ऐसा पहले नहीं था देखा
वहां मछुआरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। एक स्थानीय निवासी ने मीडिया से कहा कि ऐसा दृश्य हमने पहले कभी नहीं देखा। कोई बड़ा राष्ट्रीय नेता इस तरह से हमारे बीच उतरे, हमारी परंपरा को अपनाए, यह बेगूसराय के लिए गौरव की बात है। इस मौके पर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार भी राहुल गांधी के साथ मौजूद थे। तीनों नेताओं ने साथ तालाब में उतरकर ग्रामीणों के साथ मछली पकड़ने का काम किया, इस दौरान राहुल गांधी ग्रामीणों से बातचीत करते रहे। राहुल गांधी का तालाब में उतरने और मछली पकड़ने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी साथ
जहां समर्थक सच्चा जननेता और जननायक कहकर संबोधित कर रहे है। कांग्रेस नेता के समर्थक दावा कर रहे है कि राहुल गांधी सिर्फ भाषणों में नहीं, बल्कि जमीन पर उतरकर जनता के बीच काम करते हैं।राजनीतिक विश्लेषक इस दौरे को बिहार चुनाव के संदर्भ में प्रतीकात्मक संकेत मानते हैं। बेगूसराय में मुकेश सहनी और कन्हैया कुमार के साथ राहुल गांधी की एकजुटता को महागठबंधन की एकजुट और समावेशी रणनीति का संकेत माना जा रहा है। यह दौरा न सिर्फ जमीनी जुड़ाव को दर्शाता है, बल्कि बिहार में हाशिए के समुदायों तक पहुंचने के महागठबंधन के प्रयास को बल दे रहा है।


