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    Home » Canada New Foreign Minister: भारत की माटी की खुशबू और कनाडा की बर्फीली राहों का संगम, जानिए अनीता आनंद के संघर्ष, सेवा और सफलता की प्रेरक कहानी
    राजनीति

    Canada New Foreign Minister: भारत की माटी की खुशबू और कनाडा की बर्फीली राहों का संगम, जानिए अनीता आनंद के संघर्ष, सेवा और सफलता की प्रेरक कहानी

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 14, 2025No Comments7 Mins Read
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    Canada New Foreign Minister Anita Anand Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    Canada New Foreign Minister Anita Anand Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    Canada New Foreign Minister Anita Anand Wikipedia: जब कनाडा की संसद में गीता पर हाथ रखकर एक भारतीय मूल की महिला ने विदेश मंत्री के रूप में शपथ ली, तो यह न केवल एक राजनीतिक घटना थी, बल्कि एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय मूल की महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रतीक बन गया। अनीता आनंद की यह कहानी संघर्ष, समर्पण और सेवा की एक ऐसी मिसाल है, जो सीमाओं से परे जाकर प्रेरणा देती है। तमिलनाडु और पंजाब की जड़ों से उपजी यह यात्रा केंटविले की गलियों से होते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँची है। उनके जीवन में बसी विविधता, शिक्षा के प्रति गहरा लगाव और सार्वजनिक सेवा की प्रतिबद्धता ने उन्हें वह स्वरूप दिया है, जो आज कनाडा की विदेश नीति को दिशा दे रहा है। यह केवल एक पद की प्राप्ति नहीं, बल्कि हर उस भारतीय प्रवासी की जीत है, जो मेहनत और मूल्यों में विश्वास रखता है।

    कनाडा की नई विदेश मंत्री अनीता आनंद वर्तमान में देश की संघीय कैबिनेट में एक प्रमुख पद पर हैं। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा मई 2025 में घोषित नई कैबिनेट में उन्हें विदेश मंत्री नियुक्त किया है, जो कनाडा की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह पद कनाडा सरकार के सबसे वरिष्ठ और प्रभावशाली मंत्रालयों में से एक है, जो वैश्विक मंच पर देश की स्थिति और कूटनीतिक रणनीतियों को आकार देता है। अनीता आनंद की नियुक्ति न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह कनाडा की विविधता और समावेशिता की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। उनकी भारतीय जड़ों और व्यापक अनुभव ने उन्हें इस उच्च पद के लिए उपयुक्त बनाया है, और वे अब कनाडा की विदेश नीति को नई दिशा देने में सहायक होंगी।

    भारत से कनाडा तक का सफर

    अनीता आनंद का जन्म कनाडा के नोवा स्कोटिया प्रांत के एक छोटे से शहर केंटविले में हुआ था। उनके पिता एसवी आनंद तमिलनाडु से थे और मां सरोज डी राम पंजाब से थीं। दोनों भारतीय अप्रवासी डॉक्टर थे, जिन्होंने 1960 के दशक में पहले नाइजीरिया में सेवा दी और फिर कनाडा में बस गए। अनीता की परवरिश एक सांस्कृतिक समृद्ध लेकिन संघर्षशील वातावरण में हुई, जहां भारतीय संस्कार और पश्चिमी समाज के बीच संतुलन बैठाना एक चुनौती थी।

    उनकी दो बहनें, गीता और सोनिया, भी इसी परिवेश में पली-बढ़ीं। एक मेडिकल पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्म लेने के बावजूद, अनीता ने कानून और राजनीति में अपनी राह बनाई, जो उनके लिए आसान नहीं थी।

    शिक्षा और ज्ञान की व्यापक उड़ान

    अनीता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नोवा स्कोटिया में पूरी की। उनकी पढ़ाई में गहरी रुचि और अनुशासन ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए अग्रणी विश्वविद्यालयों तक पहुंचाया। उन्होंने क्वींस विश्वविद्यालय से राजनीतिक अध्ययन में स्नातक, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से न्यायशास्त्र में स्नातक (Rhodes स्कॉलर), डलहौजी विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक, टोरंटो विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। इन डिग्रियों ने उनके दृष्टिकोण को वैश्विक बना दिया और एक संवेदनशील, नैतिक और व्यावहारिक नेता के रूप में तैयार किया।

    प्रोफेशनल करियर: शिक्षा और वकालत से राजनीति तक

    शिक्षा प्राप्त करने के बाद, अनीता ने येल, क्वींस, वेस्टर्न, और टोरंटो विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख संस्थानों में अकादमिक भूमिकाएं निभाईं। उन्होंने न केवल छात्रों को सिखाया, बल्कि शोध और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में अहम योगदान दिया। 1994 में, अनीता को ओंटारियो बार एसोसिएशन में वकील के रूप में पंजीकृत किया गया। उन्होंने कई वर्षों तक वकालत की, लेकिन उनका झुकाव हमेशा से जन सेवा की ओर रहा। यही झुकाव उन्हें राजनीति की ओर ले गया।

    राजनीतिक सफर की शुरुआत: 2019 में सांसद चुनी गईं

    2019 में, अनीता आनंद ने लिबरल पार्टी के टिकट पर ओकविले से पहली बार संसद का चुनाव जीता। इस जीत के साथ उन्होंने न सिर्फ अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि ट्रूडो सरकार में तेज़ी से उभरीं। उन्हें जल्द ही सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री नियुक्त किया गया। इस भूमिका में उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन, पीपीई किट्स और त्वरित परीक्षण किट्स की खरीद के लिए महत्वपूर्ण अनुबंध वार्ताओं का नेतृत्व किया। उनकी नेतृत्व क्षमता, पारदर्शिता और कुशल निर्णय लेने की क्षमता की खूब सराहना हुई।

    रक्षा मंत्री से लेकर महिला सशक्तिकरण और सैन्य सुधार की प्रतीक

    2021 में जब वे दूसरी बार सांसद बनीं, तो उन्हें कनाडा की दूसरी महिला रक्षा मंत्री बनने का अवसर मिला। इससे पहले यह जिम्मेदारी केवल किम कैमबेल को मिली थी। इस भूमिका में अनीता ने कई महत्वपूर्ण सुधार किए जिनमें शामिल हैं – सेना में यौन दुराचार के खिलाफ सख्त कदम, सशस्त्र बलों की संस्कृति में सकारात्मक बदलाव, यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान यूक्रेन को सैन्य समर्थन, कनाडाई सैनिकों को सुरक्षित और प्रशिक्षित रखने के लिए नई नीतियां आदि।

    विदेश मंत्री के रूप में नई जिम्मेदारी

    कनाडा की नई विदेश मंत्री अनीता आनंद ने 13 मई, 2025 को प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की कैबिनेट में शपथ ली। 2025 में मार्क कॉर्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, अनीता को विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने पूर्व मंत्री मेलानी जोली की जगह ली। इस अवसर पर उन्होंने अपने सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का सम्मान करते हुए भगवद गीता पर हाथ रखकर पद और गोपनीयता की शपथ ली, जो कनाडा में एक ऐतिहासिक क्षण था। इस शपथ ग्रहण के साथ, अनीता आनंद कनाडा की पहली हिंदू महिला बनीं, जिन्हें विदेश मंत्री जैसे उच्च पद पर नियुक्त किया गया है। उनकी यह नियुक्ति कनाडा की विविधता और समावेशिता की प्रतिबद्धता का प्रतीक है, और यह भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों के लिए गर्व का विषय है। उनकी यह नियुक्ति कनाडा के वैश्विक कूटनीति दृष्टिकोण को और मजबूती देगी, खासकर भारत-कनाडा संबंधों में संतुलन लाने की दिशा में।

    निजी जीवन एक मां, एक साथी, एक शिक्षिका

    अनीता का विवाह जॉन से हुआ, और वे चार बच्चों की मां हैं। उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन और प्रोफेशनल जिम्मेदारियों में हमेशा सामंजस्य रखा। वे कहती हैं, “मेरे बच्चों की मुस्कान ही मेरे हर निर्णय का प्रेरणा स्रोत है।”उन्होंने कभी भी मातृत्व को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि उसे शक्ति बनाकर देश सेवा में लगाया।

    प्रधानमंत्री पद की दौड़ और वापसी का फैसला

    2024 के अंत में जब जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पद से हटने की घोषणा की, तो अनीता का नाम सबसे आगे था। देशभर में लोग उन्हें कनाडा की पहली भारतीय मूल की प्रधानमंत्री के रूप में देखने की उम्मीद कर रहे थे।हालांकि, अनीता ने यह कहते हुए दौड़ से खुद को अलग कर लिया कि,” मैं लिबरल पार्टी की अगली नेता बनने की दौड़ में शामिल नहीं होऊंगी और दोबारा चुनाव नहीं लड़ूंगी। अब मैं शिक्षण, अनुसंधान और सार्वजनिक नीति विश्लेषण के अपने पुराने पेशेवर जीवन में लौटूंगी।”उनका यह निर्णय दर्शाता है कि वे सत्ता की चाह में नहीं, सेवा के उद्देश्य से राजनीति में आई थीं।

    महिलाओं के समक्ष प्रेरणा बन चुकी हैं अनीता आनंद

    अनीता आनंद अपने मजबूत इरादों और कठिन संघर्षों के बीच करियर और पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति बेहतरीन संतुलन बनाते हुए जिस तरह कुशलता से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती जा रहीं हैं, उनका व्यक्तित्व कामकाजी महिलाओं के समक्ष एक बेहतरीन उदाहरण बन कर प्रस्तुत हुआ है। उन्होंने हर भूमिका में स्वयं को साबित किया एक शिक्षक, एक वकील, एक मंत्री और एक कुशल मां के रूप में।

    नैतिक नेतृत्व में भी रहीं अव्व्ल

    चाहे महामारी हो या रक्षा मंत्रालय का जटिल कार्य, उन्होंने हमेशा पारदर्शिता और जनहित को प्राथमिकता दी। भारतीय जड़ें, वैश्विक दृष्टिकोण: अनीता ने हमेशा अपनी भारतीय विरासत को सम्मान दिया, जबकि कनाडा के लिए वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका निभाई। अनीता आनंद केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि वह उदाहरण हैं कि कैसे दृढ़ निश्चय, शिक्षा और मूल्यों के साथ कोई भी व्यक्ति विश्व के किसी भी कोने में इतिहास बना सकता है। उनके जीवन की यात्रा न सिर्फ भारतीय प्रवासियों के लिए बल्कि हर युवा के लिए एक प्रेरणा है जो समाज और देश सेवा का सपना देखता है।

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