Christmas Tree (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Christmas Trees Achieve Guinness World Record: क्रिसमस का महीना (Christmas Month) आरंभ होते ही दुनियाभर के चर्च नए रंग रोगन के साथ जुगनुओं की तरह टिमटिमाती रोशनी से गुलजार नजर आने लगे हैं। वहीं चर्च के अहम किरदार मदर मेरी (Mother Mary) और जीसस क्राइस्ट (Jesus Christ) भी इन दिनों आकर्षक साज सज्जा के साथ लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जहां आकर कोई भी व्यक्ति कैंडल जला कर अपनी श्रद्धा जाहिर कर सकता है। वहीं इस मौके पर सबसे खास परम्परा से जुड़ा क्रिसमस का पेड़ (Christmas Tree) देखने के लिए बच्चों से लेकर हर उम्र के लोगों के बीच खास उत्साह दिखाई देता है।
यूं तो दिसंबर महीना (December) लगते ही न सिर्फ चर्च बल्कि होटल, मॉल से लेकर सारा बाजार इन दिनों लाल और सफेद गुब्बारों की सजावट के साथ हरे भरे क्रिसमस ट्री की सजावट से माहौल में खुशियां और नई उमंग घोलने का काम कर रहा है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर क्रिसमस डे का इस फर वाले पेड़ से कैसा नाता है। जिनकी साज सजावट के लिए लोग पैसों की भी फिक्र नहीं करते। हालांकि इतिहास के अनुसार, ईसा मसीह के जन्म से पहले से 1500 ईस्वी में सबसे पहले क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरु हुई। जहां इस पेशे को भाग्यशाली मानते हुए काफी महत्व दिया जाता था।
फर वाले पेड़ों को मिस्र और रोम में अपने घरों में रखना काफी शुभ माना जाता था। वहीं रोम में इन पेड़ों का इस्तेमाल घर को सुसज्जित रखने के लिए भी किया जाता था। जबकि इस पेड़ का खास तरह का जुड़ाव क्रिसमस डे (Christmas Day) से कैसे हो हुआ इससे जुड़ी कई तरह की कहानियां सुनने और पढ़ने को मिलती हैं। आइए जानते हैं इससे जुड़े उन किस्सों के बारे में-
16वीं सदी से मशहूर है यह किस्सा
क्रिसमस के अवसर पर खास तौर पर सजाए जाने वाले क्रिसमस के पेड़ (Christmas Ka Ped) से जुड़ा ये किस्सा काफी मशहूर है, जिसमें इस फर वाले पेड़ को 16वीं सदी के ईसाई धर्म के सुधारक मार्टिन लूथर (Martin Luther) ने पहली बार सजाने की परंपरा की शुरुआत की थी। जिसके पीछे एक खास वजह यह थी कि एक बार मार्टिन लूथर 24 दिसंबर की शाम को एक बर्फीले जंगल के रास्ते अपने घर की ओर जा रहे थे। जहां उनकी नजर इस ऊंचे से एक फर वाले पेड़ पर पड़ी। उस पेड़ की डालियां चांद की रोशनी से जगमग होती हुई बहुत ही खूबसूरत लग रहीं थीं। मार्टिन लूथर को इस पेड़ ने इतना अधिक आकर्षित किया कि वे इस तरह के एक छोटे पौधे को घर लेकर आ गए और उसे अपने घर के गार्डन में लगा दिया।
इस पेड़ को चांद की रौशनी जैसी खूबसूरती देने के लिए सुधारक मार्टिन लूथर (Martin Luther) ने उसे छोटे- छोटे कैंडल से सजाया। जिसके बाद जब ईसाइयों का मुख्य त्यौहार क्रिसमस पड़ा तब इस खूबसूरत पेड़ को जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के मौके पर भी सजाया। वहीं क्रिसमस ट्री को लेकर अमेरिका में शुरुआत 1800 के दशक के दौरान मानी जाती है। अमेरिका में एक व्यापारी ने साल 1851 में क्रिसमस के मौके पर इस सजावटी ट्री को लोगों के बीच बेंच कर इसका चलन शुरू किया था।
रिपोर्टस के मुताबिक, हर साल करीब 25 से 30 मिलियन क्रिसमस प्लांट अमेरिका में बेचे जाते हैं। यहां तक कि इस खास मौके के लिए अमेरिका में इनको उगाया भी जाता है। धीरे धीरे इनका चलन पूरी दुनिया पर छा गया। इसी कड़ी में अब तक कई ऐसे क्रिसमस प्लांट इस खास मौके के लिए तैयारी किए गए हैं जिन्हें इनकी खास सजावट के लिए एक नहीं बल्कि कई बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) भी हासिल हुआ है। जिनमें से कुछ का डिटेल कुछ इस तरह है –
खुद इस पेड़ को वर्जिन मैरी ने सजाया था
गिनीज रिकॉर्ड (Guinness World Record) में अपना नाम दर्ज कराने वाले सबसे पुराने क्रिसमस ट्री की बात करें तो सबसे पुराना क्रिसमस ट्री यूके के विल्टशायर के चिपेनहैम में आज भी रखा हुआ है। माना जाता है कि इस पेड़ को खुद वर्जिन मैरी ने सजाया था। यह पेड़ एक 12 इंच का पौधा है जिसे एक बेहद नक्काशीदार गमले में रखा गया है। इस खास क्रिसमस के पेड़ को 1886 में वूलवर्थ से खरीदा गया था और वर्तमान समय में ये पेड़ परपोती जेनेट पार्कर के पास है। इस पेड़ ने दुनिया के सबसे पुराने क्रिसमस ट्री के लिए गिनीज रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है।
2.5 मिलियन बल्बों और आतिशबाजी से रोशन किया जाता है ये पेड़
1996 में पहली बार जब इस खास रोमांच से भरे क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) को लोगों के सामने लाया गया था, तब से आज तक यह पेड़ दुनिया भर में आकर्षण का एक केंद्र बना हुआ है। इस पेड़ की ऊंचाई इतनी है कि लोग काफी दूर से भी इसे देख सकते हैं। 53 मीटर ऊंचे इस पेड़ का कुल वजन 350 टन है। इसकी एक और सबसे खास बात है कि ये एक फ्लोटिंग ट्री है ये क्रिसमस ट्री ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो में मौजूद है।
इस पेड़ को क्रिसमस के मौके पर हर साल लगभग 2.5 मिलियन बल्बों और आतिशबाजी से सुसज्जित किया जाता है, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में दर्शक ब्राज़ील पहुंचते हैं। ये पेड़ कोई वास्तविक पेड़ ना होकर धातु से तैयार किया गया है। जिसे कुल 11 फ्लोट्स मजबूती से थामें हुए हैं। जिनकी मदद से ये तैर सकता है। इस पेड़ को दुनिया के सबसे बड़े तैरते क्रिसमस ट्री के रूप में 2007 में गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स हासिल हुआ है ।
अनाथ बच्चों का संरक्षक है ये क्रिसमस ट्री
जर्मनी में एक ऐसा क्रिसमस ट्री है जो अब तक ना जाने कितने अनाथ बच्चों को संरक्षण प्रदान कर चुका है। इस पेड़ की खूबी है कि रौशनी से चकाचौंध कर देने वाले इस पेड़ पर 150,000 बल्ब लगे हुए हैं, जो हर पाँच मिनट में एक साथ जलते और बुझते हैं। जर्मनी के कोलोन कैथेड्रल में मौजूद इस क्रिसमस ट्री को 2006 में गिनीज वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सबसे ज़्यादा रोशनी वाले क्रिसमस ट्री के तौर पर सम्मानित किया जा चुका है । साथ ही पेड़ को रोशन करने का उद्देश्य अनाथ बच्चों को संरक्षण प्रदान करने के लिए एक चैरिटी संगठन द्वारा फंड एकत्र करना था।
16 मिलियन डॉलर के खर्च से सजा है ये ट्री
क्रिसमस ट्री की सजावट को लेकर लोगों भीतर खास उत्साह देखने को मिलता है लेकिन जापान के इस क्लब के मालिक के जुनून ने तो इसे दुनिया में मशहूर कर दिया। ये क्रिसमस ट्री जापान के सुनामाची मित्सुई क्लब में मौजूद है। इस पेड़ को 2002 में क्रिसमस ट्री पर सबसे महंगी सजावट के लिए विश्व गिनीज वर्ल्ड अवॉर्ड भी हासिल है। इस क्रिसमस ट्री ने 8 साल तक अपना रिकॉर्ड कायम रखा था जब अबू धाबी में $11 मिलियन से अधिक की सजावट के साथ एक क्रिसमस ट्री बनाया गया था। इसकी सजावट में आने वाली खर्च की लागत $16 मिलियन डॉलर होने का अंदाजा लगाया गया है। इस पेड़ को सोने और चांदी के कुल 83 गहनों से सजाया गया था।
सबसे बड़ा कृत्रिम क्रिसमस ट्री है ये जिसके वास्तविक होने का होता है भ्रम
चीन में एक ऐसा क्रिसमस ट्री है जिसे वास्तविक होने का भ्रम अक्सर लोगों को हो जाता है। दुनिया के सबसे बड़ा कृत्रिम ट्री के तौर पर अपनी पहचान कायम करने वाला ये पेड़ चीन के गुआंगडोंग के गुआंगझोउ में स्थित है। इस पेड़ की ऊंचाई 56 मीटर थी, वहीं उसके तने की चौड़ाई चौड़ाई और गोलाई 22 मीटर और 69 मीटर है।
जीजेड थिंक बिग कम्युनिकेशन कंपनी द्वारा निर्मित इस क्रिसमस ट्री को 2015 में सबसे बड़े कृत्रिम पेड़ के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल हो चुका है। वास्तविक पेड़ सरीखे दिखने वाले इस पेड़ की पत्तियां हरे रंग की हैं। इस पेड़ को सजाने के लिए कई आकर्षक आभूषण और खूबसूरत लैंप को लगाया गया हैं वहीं इस पेड़ के सबसे ऊपर एक सितारा लगाया गया है।
3600 से ज़्यादा लाइट्स से सजा हुआ है ये ट्री
3600 से ज़्यादा लाइट्स से जगमग होता दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिसमस ट्री 1950 में सिएटल, वाशिंगटन के नॉर्थगेट शॉपिंग सेंटर में लगाया गया था। इस पेड़ को उस साल सबसे ऊंचे कटे हुए क्रिसमस ट्री के लिए विश्व गिनीज अवॉर्ड मिला था। इसकी ऊंचाई 221 फीट है। जिसे देखने के लिए हर साल लोग हजारों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं।
असंख्य हीरे जवाहरातों से सजा हुआ है ये क्रिसमस ट्री
क्रिसमस डे एक खास समुदाय यानी ईसाइयों से जुड़ा हुआ उत्सव है। वहीं, कुछ मुस्लिम देशों में भी क्रिसमस ट्री को सजाना पसंद किसा जता हैं। दुबई में बना दूसरा महंगा ट्री कई साल पहले 2010 में ही अबु धाबी में इमेरेट्स पैलेस होटल में स्थापित किया गया था। इस पेड़ को कई हीरे, महंगे स्टोन व खूबसूरत डिजाइनर ब्रेसलेट, नेकलेस और कीमती घड़ियों से सजाया गया। उस समय इस इस क्रिसमस ट्री की कीमत 1.1 करोड़ डॉलर भारतीय राशि के मुताबिक करीब 91.3 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इन्हीं खूबियों के चलते इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया था।
सोने के तारों से बना है ये क्रिसमस ट्री
जापान की राजधानी टोक्यो में क्रिसमस के मौके पर साल 2016 में एक ज्वैलर गिन्जा टनाका ने अपनी दुकान पर सोने के तारों से बना क्रिसमस ट्री सजाया था। इस क्रिसमस ट्री की कीमत 18 लाख डॉलर यानी करीब 15 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इस कीमती क्रिसमस ट्री को बनाने में 4,000 फीट सोने के पतले तारों का उपयोग किया गया था।
24-कैरेट सोने से बने सिक्के से सजा है ये कीमती क्रिसमस ट्री
वहीं इस साल क्रिसमस से पहले जर्मनी के रहने वाले एक सोने के व्यापारी ने 46 करोड़ रुपये की कीमत वाला क्रिसमस ट्री बना डाला है। जो कि 24-कैरेट सोने से बने एक सिक्के से सजा है। साथ ही इस क्रिसमस ट्री पर बुलियन नामक बहुमूल्य धातु से बने अनगिनत सिक्के भी लगे हुए हैं। इसे अब तक का दुनिया का सबसे महंगी क्रिसमस ट्री बताया जा रहा है। इस अनोखी और बेशकीमती ट्री को बनाने वाली कंपनी का नाम ’प्रो ऑरम’ है। इसे ऑस्ट्रियाई स्टेट मिंट के साथ मिलकर तैयार किया गया है। ये पेड़ ऊंचाई में 10 फुट लंबा है इसमें 2,024 सोने के वियना फिलहारमोनिक स्मारक सिक्के लगे हुए हैं।
इससे पहले इस ट्री को जर्मनी के शहर म्यूनिख में बुलियन हॉकर के मुख्यालय में कई दिनों तक प्रदर्शित किया गया था। बताया जा रहा है कि इसे कंपनी की 35वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में और क्रिसमस का जश्न मानाने के लिए तैयार किया गया है। इस क्रिसमस ट्री के ऊपर एक बड़ा-सा सितारा लगाया गया है। इस सोने की ट्री को पारंपरिक सितारे के बदले 24-कैरेट सोने से बने एक सिक्के से सजाया गया है।
प्रो ऑरम कंपनी के कर्मचारियों ने बताया कि यह क्रिसमस ट्री यह दर्शाता है कि सोने का मूल्य सदाबहार है। कंपनी ने साफ कर दिया है कि यह बेशकीमती क्रिसमस ट्री बिकाऊ नहीं है और इसे केवल कंपनी की वर्षगांठ की खुशी में तैयार किया गया है।