
Dehradun Rajaji Tiger Reserve
Dehradun Rajaji Tiger Reserve
Dehradun Rajaji Tiger Reserve: सर्दी के मौसम की आहट के साथ ही अब लोगों ने विंटर डेस्टिनेशन ट्रिप का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी जिलों में फैले राजाजी टाइगर रिजर्व में एक बार फिर रोमांच लौटने वाला है। 15 नवंबर से यह पार्क पर्यटकों के लिए खुलने जा रहा है और इसके साथ ही जंगल सफारी के लिए पंजीकरण प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। नवंबर और दिसंबर के महीनों में देहरादून घूमने आने वाले सैलानियों के लिए यह एक सुनहरा मौका है कि वे जंगल सफारी के रोमांच के बीच प्रकृति की गोद में बसे इस खूबसूरत जंगल में बाघ, हाथी और अनगिनत दुर्लभ पक्षियों का बेहद करीब से दीदार का लुत्फ उठा सकते हैं।
हर साल 15 नवंबर से 15 जून तक खुला रहता है पार्क
राजाजी टाइगर रिजर्व हर साल 15 नवंबर से लेकर 15 जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। इस अवधि में देश-विदेश से हजारों की संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं। पार्क प्रशासन के मुताबिक, हर वर्ष जंगल सफारी से एक करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है, जो स्थानीय लोगों के रोजगार और संरक्षण कार्यों में उपयोग किया जाता है। इस बार भी एडवेंचर टूरिज्म (सफारी वाहन स्वामी) के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 30 अक्टूबर तक आवेदन जमा किए जा सकते हैं।
क्या हैं इस जंगल के इतिहास और पहचान के पीछे की कहानी
राजाजी टाइगर रिजर्व का इतिहास भी अपने प्राकृतिक सौंदर्य की तरह ही बेहद रोचक है। यह पार्क मूल रूप से तीन वन्यजीव अभयारण्यों चिल्ला, मोतीचूर और रानीपुर को मिलाकर बनाया गया था। बाद में 2015 में इसे आधिकारिक तौर पर टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। इसका नाम भारत के पहले गवर्नर जनरल और स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी (राजाजी) के नाम पर रखा गया है। करीब 820 वर्ग किलोमीटर में फैला यह पार्क न केवल उत्तराखंड का गौरव है, बल्कि पूरे देश में जैव विविधता के संरक्षण का प्रतीक माना जाता है।
राजाजी टाइगर रिजर्व में हाथियों और बाघों के लिए स्वर्ग है यहां का वातावरण
राजाजी टाइगर रिजर्व को एशियाई हाथियों और बाघों के प्रमुख आवास स्थलों में गिना जाता है। यहां लगभग 50 से अधिक स्तनधारी और 300 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं। विशाल कद के हाथी, ताकतवर बंगाल टाइगर, चंचल हिरण, हिमालयी काला भालू, स्लॉथ भालू, लकड़बग्घा, सांभर, बार्किंग डियर और कई दुर्लभ प्रजातियों के जीव इस जंगल में आज भी अपनी पसंदीदा दुनिया में बसे हुए हैं।
पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह रिजर्व किसी स्वर्ग से कम नहीं। सर्दियों में यहां प्रवासी पक्षियों का जमघट लगता है, जो इसे पर्यटकों ‘बर्ड वॉचिंग पैराडाइज़’ बना देता है।
राजाजी रिजर्व के 4 रेंजों में संचालित होती है जंगल सफारी
राजाजी रिजर्व में जंगल सफारी चार प्रमुख रेंजों में संचालित होती है। चीला रेंज, चिल्लावाली रेंज, मोतीचूर रेंज और रानीपुर-हरिद्वार रेंज इन हर रेंज का अपना अलग अनुभव है। चीला रेंज में हाथियों के झुंड और झरनों के नज़ारे मन मोह लेते हैं, जबकि मोतीचूर रेंज अपने घने साल के जंगल और बाघों की मौजूदगी के लिए जानी जाती है। कुल मिलाकर इन रेंजों में लगभग 160 से अधिक सफारी गाड़ियां चलती हैं। इस व्यवस्था से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं, जिससे यह केवल पर्यटन नहीं बल्कि सामाजिक विकास का माध्यम भी बन गया है।
कैसी हैं पर्यटन सुविधाएं और पंजीकरण प्रक्रिया
राजाजी टाइगर रिजर्व में सफारी करने के लिए पर्यटकों को ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होता है। इसके लिए आधिकारिक वेबसाइट rajajitigerreserve.uk.in पर पंजीकरण लिंक उपलब्ध है। पार्क प्रशासन ने आवेदन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर तय की है। सफारी की बुकिंग सीमित गाड़ियों के लिए होती है, इसलिए पर्यटकों को समय रहते अपनी सीट आरक्षित करनी चाहिए। पार्क में वन विश्राम गृह और आसपास के होटल-रिसॉर्ट्स में रहने की सुविधा है। चीला और मोतीचूर रेंज के पास रिवर व्यू रिसॉर्ट्स और ईको-हट्स भी हैं जो जंगल के बीच रहने का अनुभव कराते हैं।
यहां मिलता है एडवेंचर, फोटोग्राफी और बर्ड वॉचिंग का अनोखा अनुभव
राजाजी टाइगर रिजर्व न केवल सफारी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह एडवेंचर टूरिज्म का भी केंद्र है। यहां पर्यटक जीप सफारी, बर्ड वॉचिंग, फोटोग्राफी, ट्रेकिंग और नेचर वॉक जैसी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। खासकर सुबह के समय जब जंगल में हल्की धुंध छाई होती है और उगते हुए सूरज की किरणें घने पेड़ों के पत्तों से छनकर नीचे गिरती हैं, इस नज़ारे के साथ सफारी का अनुभव हमेशा के लिए यादगार बन जाता है।
कैमरा प्रेमियों के लिए यह जगह किसी खजाने से कम नहीं, क्योंकि यहां हर मोड़ पर कोई न कोई शानदार दृश्य कैद करने लायक होता है, चाहे वह हिरण का झुंड हो, हाथियों की चाल, या दूर झाड़ियों में झांकता कोई बाघ हो या फिर प्राकृतिक सौंदर्य में डूबे नजारे।
इन महीनों में जरूर जाएं राजाजी रिजर्व
नवंबर से फरवरी तक का समय राजाजी टाइगर रिजर्व घूमने के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। इस दौरान मौसम सुहावना होता है, नदियाँ साफ होती हैं और वन्यजीवों की गतिविधियाँ भी बढ़ जाती हैं। तापमान न तो बहुत ठंडा होता है और न ही बहुत गर्म, जिससे सफारी का आनंद दोगुना हो जाता है। देहरादून, हरिद्वार या ऋषिकेश आने वाले सैलानी एक दिन का सफर निकालकर आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।
कैसे पहुंचें राजाजी टाइगर रिजर्व
राजाजी पार्क सड़क, रेल और वायु मार्ग से बेहद सुगम है।
हवाई मार्ग – जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पार्क से करीब 30 किमी की दूरी पर है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग- हरिद्वार और देहरादून रेलवे स्टेशन दोनों इस पार्क के सबसे नजदीकी स्टेशन हैं।
सड़क मार्ग- देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश से नियमित बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। पार्क के प्रवेश द्वारों तक पहुंचने के लिए निजी वाहन या टैक्सी सबसे सुविधाजनक विकल्प हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि यह मानसिक सुकून के साथ प्रकृति के साथ जुड़ने का माध्यम है। यहां आने वाले सैलानी जंगल की शांति में वह सुकून महसूस करते हैं जो शहरों के शोर में कहीं खो जाता है। सुबह के समय पक्षियों की चहचहाहट और शाम के शांत वातावरण के समय बहती गंगा की लहरों से उठती मधुर ध्वनि इस यात्रा को स्वार्गिक अनुभव प्रदान करती है। तो अगर आप भी इस सर्दी कुछ अलग करना चाहते हैं, तो देहरादून की पहाड़ियों के बीच बसे राजाजी टाइगर रिजर्व का रुख करें। पंजीकरण शुरू हो चुका है, सीटें सीमित हैं इसलिए अब समय रहते अपनी ट्रिप सुनिश्चित करें।


