
Politician Devesh Shakya Wikipedia (Image Credit-Social Media)
Politician Devesh Shakya Wikipedia (Image Credit-Social Media)
Politician Devesh Shakya Wikipedia: उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाल के वर्षों में कई नए चेहरों ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन देवेश शाक्य का नाम उन चुनिंदा नेताओं में आता है जिन्होंने जमीनी स्तर से संघर्ष करते हुए संसद तक का सफर तय किया है। 2024 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता राजवीर सिंह को दो बार पराजित कर उन्होंने न केवल एक बड़ी राजनीतिक जीत दर्ज की, बल्कि एटा जैसी पारंपरिक सीट पर सामाजिक न्याय और विकास की नई उम्मीदें भी जगाईं। इस जीत के साथ, उन्होंने पहली बार संसद में प्रवेश किया और 4 जून 2024 से अपने कार्यकाल की शुरुआत की। समाजवादी पार्टी के युवा और तेज़तर्रार नेता के रूप में उभरे देवेश शाक्य का राजनीतिक और सामाजिक जीवन उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो राजनीति को बदलाव का माध्यम मानते हैं। देवेश शाक्य वर्तमान में उत्तर प्रदेश के एटा लोकसभा क्षेत्र से 18वीं लोकसभा के सदस्य (सांसद) हैं। संसद में, देवेश शाक्य सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी समिति (Committee on Information and Communication Technology) के सदस्य हैं। इस भूमिका में, वे डिजिटल इंडिया, साइबर सुरक्षा, और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट विस्तार जैसे मुद्दों पर सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं।
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
देवेश शाक्य का जन्म 15 मई, 1981 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता बाबू राम शाक्य एक सामाजिक रूप से सक्रिय किसान रहे, जबकि माता द्रोपदी देवी एक कुशल गृहिणी हैं। पारिवारिक वातावरण में सामाजिक और शैक्षिक मूल्यों की गहरी पैठ थी, जिसने देवेश के व्यक्तित्व को प्रारंभ से ही संवेदनशीलता और सेवा भाव से ओतप्रोत कर दिया।

देवेश शाक्य ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इटावा से प्राप्त की। उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक (बीए) की पढ़ाई पूरी करने के बाद एलएलबी की डिग्री हासिल की। शिक्षा के दौरान ही वे छात्र राजनीति से जुड़े और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं तथा सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाने लगे। कानून की पढ़ाई ने उनके भीतर न्याय, संवैधानिक मूल्यों और अधिकारों के प्रति गहरी समझ विकसित की।
परिवार और निजी जीवन
देवेश शाक्य का विवाह 18 जून, 2005 को सपना शाक्य से हुआ, जो एक शिक्षित और समाजसेवी महिला हैं। यह दंपति अपने सामाजिक योगदान और पारिवारिक मूल्यों के लिए क्षेत्र में सम्मानित माना जाता है। उनके परिवार का सामाजिक कार्यों में निरंतर जुड़ाव उनके राजनैतिक जीवन की दिशा और दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। देवेश शाक्य के भाई विनय शाक्य उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य रह चुके हैं। ऐसे में यह कहना अनुचित नहीं होगा कि राजनीति देवेश शाक्य के लिए केवल करियर नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विस्तार रहा है।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत और संघर्ष
देवेश शाक्य ने 2002 में राजनीति में प्रवेश किया, जब वे केवल 21 वर्ष के थे। शुरुआती वर्षों में उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी सक्रियता से लोगों का ध्यान खींचा। वर्ष 2005 और 2010 में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतकर अपने इलाके में जन-आधार मजबूत किया।
हालांकि, 2010 के बाद उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इस हार ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और मजबूत बना दिया। उन्होंने अपने प्रयासों को गांव, किसानों, युवाओं और महिलाओं की समस्याओं पर केंद्रित किया और जनसंवाद को प्राथमिकता बनाकर जनता से सीधा संवाद बनाना शुरू किया।

संगठनात्मक कौशल और समाजवादी पार्टी से जुड़ाव
समाजवादी विचारधारा से प्रभावित देवेश शाक्य ने समाजवादी पार्टी को अपनी राजनीतिक यात्रा का माध्यम बनाया। उन्होंने जमीनी स्तर पर पार्टी संगठन को सशक्त बनाने का कार्य किया और सामाजिक न्याय, पिछड़ों के अधिकार और रोजगार जैसे मुद्दों पर अभियान चलाए। उनकी प्रतिबद्धता और कार्यकुशलता ने उन्हें पार्टी नेतृत्व का भरोसेमंद चेहरा बना दिया।
2024 का चुनाव: एक ऐतिहासिक जीत
2024 के आम चुनावों में समाजवादी पार्टी ने उन्हें एटा लोकसभा सीट से टिकट दिया, जहां उनका मुकाबला भाजपा के वरिष्ठ नेता और दो बार के सांसद राजवीर सिंह से था। राजवीर सिंह न केवल पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र हैं, बल्कि एटा में मजबूत राजपूत और भाजपा आधार के चलते उन्हें अजेय माना जाता था।
लेकिन देवेश शाक्य की जनसंपर्क यात्रा, युवाओं और किसानों से लगातार संवाद, और सोशल मीडिया के रणनीतिक उपयोग ने पूरे चुनावी समीकरण को बदल दिया। नतीजा यह रहा कि उन्होंने 4,75,808 मत प्राप्त कर राजवीर सिंह को निर्णायक बढ़त से पराजित किया। यह जीत सिर्फ व्यक्तिगत नहीं थी, बल्कि सामाजिक न्याय, युवा नेतृत्व और जन-आकांक्षाओं की भी जीत थी।
संसदीय कार्य और सक्रियता
लोकसभा में चुनकर आने के बाद देवेश शाक्य ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी समिति (Standing Committee on Information and Technology) के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला। इस समिति में उनकी सक्रिय भागीदारी डिजिटल इंडिया, साइबर सुरक्षा, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट विस्तार जैसे मुद्दों पर रही है। वे तकनीक को ग्रामीण सशक्तिकरण का माध्यम मानते हैं।

सामाजिक सरोकार और राहत कार्य
देवेश शाक्य अपने निर्वाचन क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहते हैं। 2024 में कासगंज में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. अब्दुल हाफिज गांधी के साथ क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने पीड़ितों से मुलाकात की, राहत कार्यों की निगरानी की और जिला प्रशासन से तत्काल सहायता के निर्देश दिए। उनकी यही संवेदनशीलता उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है। क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, विद्यालयों, सड़क परियोजनाओं और रोजगार शिविरों में उनकी उपस्थिति बताती है कि वे ‘दिल्ली में बैठा सांसद’ नहीं, बल्कि ‘जनता के बीच का जनप्रतिनिधि’ हैं।
विकास की दिशा और भावी योजनाएं
देवेश शाक्य ने अपने क्षेत्र में युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने हेतु प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की योजना बनाई है। डिजिटल साक्षरता, लड़कियों की शिक्षा और कृषि में आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर उनका विशेष फोकस है। वे चाहते हैं कि एटा न केवल उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शैक्षणिक और औद्योगिक केंद्र बने, बल्कि सामाजिक सौहार्द और समावेशिता का उदाहरण भी प्रस्तुत करे।
देवेश शाक्य भारतीय राजनीति में एक ऐसे युवा नेता के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने संगठन, संघर्ष और सेवा को अपनी राजनीति की धुरी बनाया है। उन्होंने यह सिद्ध किया है कि यदि जमीनी जुड़ाव और ईमानदारी से कार्य किया जाए तो बड़े से बड़े राजनीतिक किले भी ढहाए जा सकते हैं। एटा की जनता को उनमें अपना प्रतिनिधि नहीं, अपना परिवारजन दिखता है यही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है।
यदि वर्तमान की राजनीति को नए चेहरे, नई सोच और जनसेवा के प्रतिबद्ध नेतृत्व की आवश्यकता है, तो देवेश शाक्य निश्चित ही एक उपयुक्त नाम हैं।