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Devi Patan Temple Shaktipeeth In Tulsipur: देवी मां के पाटन वस्त्र की पूजा की परम्परा भारत देश में सदियों पुरानी है। मुख्य रूप से ये राजस्थान के नाथद्वारा श्रीनाथजी मंदिर और उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर सहित कई शक्ति पीठों और वैष्णव मंदिरों में होती चली आ रही है। यह परंपरा वैष्णव संप्रदाय से जुड़ी हुई है, जिसमें देवी मां के वस्त्रों को पवित्र मानकर उनकी विशेष आराधना की जाती है।
इसके अलावा, गुजरात के अंबाजी मंदिर और वृंदावन के राधा रमण मंदिर में भी देवी के वस्त्रों की पूजा करने की परंपरा देखी जाती है। लेकिन इनके अलावा एक और भी ऐसा मंदिर है, जहां देवी मां के वस्त्रों की पूजा करने की परंपरा आदि काल से विद्यमान है, साथ ही ये मंदिर कई रहस्यों से भरा हुआ है। इस मंदिन का नाम है देवी पाटन मंदिर। ये उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले (Balrampur) के तुलसीपुर (Tulsipur) में स्थित एक प्राचीन शक्तिपीठ है। यह मंदिर केवल धार्मिक महत्व के कारण ही नहीं, बल्कि अपने रहस्यों और चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां की गुप्त सुरंग, अखंड ज्योति, स्वयंभू शक्ति, पाटन वस्त्र, और नेपाल राजाओं की पूजा परंपरा सदियों से भक्तों के लिए रहस्य और आस्था का विषय बनी हुई हैं।
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में स्थित देवी पाटन मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मान्यता के अनुसार, यहां माता सती के दाहिने कंधे (पाटन) का पतन हुआ था, जिसके कारण इस स्थान को “देवी पाटन” कहा जाता है।आइए जानते हैं इस लोकप्रिय देवी मंदिर से जुड़े महत्व के बारे में –
मां सती के अंग का पतन और शक्तिपीठ का निर्माण

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के जलते हुए शरीर को लेकर ब्रह्मांड में घूम रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के टुकड़े कर दिए। माना जाता है कि देवी सती का दाहिना कंधा (पाटन) इस स्थान पर गिरा था, जिससे इसका नाम “देवी पाटन” पड़ा। इस स्थान पर माँ के कंधे के गिरने का प्रमाण आज भी कई संतों और भक्तों द्वारा अनुभूत किया जाता है।
गुप्त सुरंग और नेपाल से संबंध
यह मंदिर नेपाल के शाही परिवारों से गहराई से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि मंदिर में एक गुप्त सुरंग थी, जो सीधे नेपाल तक जाती थी। यह सुरंग नेपाल के राजाओं और पुजारियों द्वारा विशेष परिस्थितियों में प्रयोग की जाती थी, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। इस सुरंग का अस्तित्व आज भी लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है।
अखंड ज्योति और उसकी चमत्कारी शक्ति

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
मंदिर में एक अखंड ज्योति (निरंतर जलने वाली ज्योति) प्रज्वलित है, जिसे हजारों वर्षों से जलता हुआ बताया जाता है। कहा जाता है कि इस ज्योति को कोई भी बुझा नहीं सकता, और जो कोई इसे बुझाने की कोशिश करता है, उसे गंभीर दुष्प्रभाव झेलने पड़ते हैं।
नेपाल नरेश की परंपरा
नेपाल के शाही परिवारों की यह परंपरा थी कि वे हर साल इस मंदिर में आकर विशेष पूजा और बलिदान करते थे। नेपाल के पूर्व राजाओं का मानना था कि जब तक वे इस मंदिर में पूजा करते रहेंगे, तब तक उनकी सत्ता बनी रहेगी। जब नेपाल में राजशाही खत्म हुई, तो कहा जाता है कि यह देवी पाटन मंदिर से जुड़ी चमत्कारी शक्ति का प्रभाव था।
देवी के वस्त्रों (पाटन वस्त्र) का रहस्य (Devi Ke Vastra Ka Rahasya)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
मां पाटेश्वरी के वस्त्र (पाटन वस्त्र) को अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्त इसे अपने घर में सुख-समृद्धि के लिए रखते हैं। कहा जाता है कि यह वस्त्र हर साल अचानक प्रकट होते हैं, और कोई नहीं जानता कि ये वस्त्र कहां से आते हैं।
स्वयंभू शक्ति का प्रकट होना
इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि यहां शिला रूप में देवी विराजमान हैं। यह स्वयंभू शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। कई भक्तों का मानना है कि मां पाटेश्वरी स्वयं इस स्थान पर प्रकट हुई थीं और उनकी शक्ति आज भी यहां विद्यमान है।
चमत्कारी घंटा और मनोकामना पूर्ण करने वाला मंदिर
मंदिर में एक विशेष घंटा है, जिसे भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर बजाते हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां पूजा करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। देवी पाटन मंदिर न केवल एक पवित्र शक्ति पीठ है, बल्कि अद्भुत रहस्यों और चमत्कारों का केंद्र भी है। यहां कि गुप्त सुरंग, अखंड ज्योति, स्वयंभू शक्ति, पाटन वस्त्र, और नेपाल राजाओं की पूजा परंपरा आज भी भक्तों के लिए रहस्य और आस्था का विषय बनी हुई हैं।
मंदिर को लेकर प्रचलित है ये पौराणिक कथा (Devi Patan Mandir Ki Katha)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा का जिक्र करें तो यह मंदिर महर्षि वशिष्ठ से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि महर्षि वशिष्ठ ने यहां मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप यह स्थान शक्ति का एक प्रमुख केंद्र बन गया। मंदिर के निर्माण का श्रेय अयोध्या के राजा सुग्रीव को दिया जाता है, जो त्रेतायुग में भगवान राम के समय के बताए जाते हैं। कालांतर में, इस मंदिर का जीर्णोद्धार कई राजाओं और स्थानीय शासकों द्वारा किया गया, जिसमें नेपाल नरेशों का भी योगदान माना जाता है।
महत्वपूर्ण उत्सव और आयोजन नवरात्रि
वैसे तो उस मंदिर में वर्ष पर भक्तों का आना जाना लगा रहता है लेकिन खासकर नवरात्रि के मौके पर इस दौरान मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। माघ पूर्णिमा और चैत्र मास में यहां विशेष अनुष्ठान होते हैं। कुछ समय पहले तक नेपाल नरेश यहां विशेष पूजा करवाते थे, लेकिन अब भी नेपाल से श्रद्धालु आते हैं।
कैसे पहुँचे (How To Reach Devi Patan Mandir In Tulsipur)?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
निकटतम रेलवे स्टेशन: गोंडा जंक्शन (करीब 37 किमी)
निकटतम हवाई अड्डा: लखनऊ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (करीब 190 किमी)
सड़क मार्ग: देवी पाटन मंदिर तुलसीपुर, बलरामपुर से जुड़ा है और बस या टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। देवी पाटन मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक शक्तिपीठ के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रहस्य, ऐतिहासिक महत्व, और देवी मां की चमत्कारी शक्तियों के कारण यह लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।