
Vistadome Train Safari UP Dudhwa Katarnia Ghat
Vistadome Train Safari UP Dudhwa Katarnia Ghat
Vistadome Train Safari: सर्दियों की छुट्टियों में अगर आप जंगल सफारी ट्रिप प्लान कर रहें हैं और आप यूपी में रहते हैं तो इसके लिए आपको बाहर किसी दूसरी जगह जाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि अब उत्तर प्रदेश सिर्फ धार्मिक या ऐतिहासिक पर्यटन के लिए ही नहीं, बल्कि एडवेंचर और नेचर लवर्स के लिए भी बड़ा आकर्षण बन गया है। राज्य में कुछ महीने पूर्व ही शुरू हुई ‘विस्टाडोम ट्रेन सफारी’ ने यात्रियों को एक अनोखा अनुभव देने की दिशा में कदम बढ़ाया है। अगर आप भी जंगल की खूबसूरती को ट्रेन के भीतर से निहारना चाहते हैं, तो यह सफर आपके लिए खास होने वाला है। इस सफारी में आप ट्रेन की आरामदायक सीट पर बैठकर दुधवा टाइगर रिजर्व और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य की हरियाली, नदियों और वन्यजीवों का नजारा ले सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां जंगल सफारी के लिए विस्टाडोम कोच ट्रेन सेवा सेवा 17 मई 2025 से शुरू की गई है।
कहां से शुरू होती है विस्टाडोम सफारी
यह अनोखी ट्रेन यात्रा उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के बिछिया स्टेशन से शुरू होती है और लखीमपुर खीरी जिले के मैलानी स्टेशन तक जाती है। पूरा रूट लगभग 107 किलोमीटर लंबा है, जो जंगलों के बीच से होकर गुजरता है। रास्ते में दुधवा टाइगर रिजर्व और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य जैसे हरे-भरे इलाके आते हैं, जहां ट्रैक के दोनों ओर घने पेड़, झीलें और कभी-कभी वन्यजीवों की झलक देखने को मिलती है। इस रूट पर चलने वाली ट्रेन संख्या 52259/52260 है, जो खास तौर पर इस सफारी के लिए चलाई जा रही है। अगर आप पहली बार जा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आपको बिछिया स्टेशन से सफर शुरू करना होगा।
ट्रेन का समय और पूरा शेड्यूल
‘विस्टाडोम सफारी’ का टाइमटेबल बहुत सुव्यवस्थित रखा गया है ताकि पर्यटक दिन में जंगल के खूबसूरत नजारों का आनंद ले सकें। बिछिया से ट्रेन सुबह 11:45 बजे रवाना होती है और शाम 4:10 बजे मैलानी पहुंचती है। यानी करीब साढ़े चार घंटे तक आप जंगल के बीच से सफर करती हैं, जिसमें कुल 9 स्टेशन पड़ते हैं।
वापसी के लिए ट्रेन मैलानी से सुबह 6:05 बजे चलती है और लगभग 10:30 बजे बिछिया पहुंचती है। अगर आप दिनभर जंगल की ठंडी हवा, सूरज की सुनहरी किरणें और पेड़ों के बीच से गुजरती ट्रेन का रोमांच महसूस करना चाहते हैं, तो ये सफर आंखों बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहिए।
क्या है विस्टाडोम कोच की खासियत
विस्टाडोम ट्रेन सफारी की सबसे बड़ी खूबी है इसका कांच से बना कोच डिजाइन। ट्रेन की खिड़कियां बहुत बड़ी रखी गई हैं, ताकि हर सीट से बाहर का पूरा व्यू साफ दिखे। यहां तक कि ट्रेन की छत भी ग्लास से बनी है, जिससे आप ऊपर नीले आसमान, उड़ते पक्षियों और पेड़ों की ऊंची टहनियों को देख सकते हैं। यह कोच इस तरह डिजाइन किया गया है कि यात्रियों को जंगल के हर रंग को महसूस करने का मौका मिले। कहीं हरियाली, कहीं नदियों की खूबसूरती, कभी किसी हिरन, बाघ, ऊदबिलाव जैसे जीवों या दुर्लभ पक्षी की झलक। ट्रेन के अंदर आधुनिक सीटिंग अरेंजमेंट, आरामदायक चेयर और साफ-सुथरा वातावरण इसे एक लग्ज़री ट्रैवल एक्सपीरियंस बना देता है।
टिकट बुकिंग और किराया
अब बात करते हैं टिकट और किराए की। इस ट्रेन से जुड़ी सबसे अच्छी बात यह है कि इस सफारी का किराया बहुत ज्यादा नहीं है। एक यात्री को केवल ₹275 का टिकट खरीदना होता है। इतने कम दाम में इतना शानदार सफर मिलना परिवार या दोस्तों संग काफी बजट फ्रेंडली साबित होता है।
इस ट्रेन का टिकट आप UP Eco-Tourism Board की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर बुक कर सकते हैं। वेबसाइट पर सफारी के शेड्यूल, सीट उपलब्धता और रूट से जुड़ी जानकारी दी गई है। अगर आप ग्रुप में सफर कर रही हैं, तो हर यात्री के लिए टिकट अलग-अलग बुक करना होगा, क्योंकि सीटें सीमित होती हैं और जल्दी भर जाती हैं।
सफर के दौरान क्या ध्यान रखें
यह यात्रा भले ही शानदार है, लेकिन कुछ बातें जानना जरूरी है ताकि आपका अनुभव और बेहतर बन सके। जंगल के बीच ट्रेन चलने के कारण मोबाइल नेटवर्क कमजोर हो सकता है, इसलिए सफर शुरू करने से पहले जरूरी कॉल और डाउनलोड पूरे कर लें। ट्रेन में भोजन की स्थायी व्यवस्था नहीं होती, इसलिए पानी की बोतल और हल्का नाश्ता साथ रखें।
अगर आप पहली बार जा रही हैं, तो कोशिश करें कि खिड़की के पास वाली सीट बुक करें ताकि पूरा व्यू साफ दिखे। सुबह-सुबह निकलने पर मौसम थोड़ा ठंडा रहता है, इसलिए हल्के गर्म कपड़े पहनना बेहतर रहेगा। साथ ही, इको-टूरिज्म के नियमों का पालन करें। किसी भी तरह का कचरा या प्लास्टिक जंगल में न फेंकें।
क्यों है ये सफारी इतनी खास
भारत में ट्रेनों के जरिए जंगल सफारी का अनुभव बहुत कम जगहों पर मिलता है। उत्तर प्रदेश की यह ‘विस्टाडोम सफारी’ न सिर्फ राज्य के टूरिज्म को नया आयाम दे रही है, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन को भी बढ़ावा दे रही है। दुधवा और कतर्नियाघाट जैसे इको-सिस्टम्स में यह ट्रेन स्थानीय समुदायों को रोजगार का अवसर प्रदान करने के साथ ही पर्यटकों को जंगल से जुड़ने का शानदार भी मौका भी दे रही है।


