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    Duniya Ki Sabse Gehri Gufa: आइये जानते है पृथ्वी के अंदर पनपते जीवों की अनोखी दुनिया, क्रूबेरा गुफा के बारे में

    Janta YojanaBy Janta YojanaMarch 29, 2025No Comments9 Mins Read
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    Duniya Ki Sabse Gehri Gufa Krubera Cave

    Duniya Ki Sabse Gehri Gufa Krubera Cave

    Duniya Ki Sabse Gehri Gufa: प्रकृति ने हमारी पृथ्वी को अनेकों चमत्कारी और रहस्यमयी संरचनाओं से सजाया है, जिनमें से एक है क्रूबेरा गुफा (Krubera Cave) जो अपनी अपार गहराई और जटिल संरचना के कारण वैज्ञानिकों और अन्वेषकों के लिए आश्चर्य का विषय बनी हुई है। जॉर्जिया के अबखाजिया क्षेत्र में स्थित यह गुफा दुनिया की दूसरी सबसे गहरी गुफा मानी जाती है, जिसकी गहराई 2,197 मीटर (7,208 फीट) तक मापी गई है। इसकी संरचना न केवल भूवैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पृथ्वी के अंदर छिपे कई रहस्यों को उजागर करने का एक अद्वितीय द्वार भी है। क्रूबेरा गुफा की चुनौतीपूर्ण स्थितियां और अज्ञात गहराइयां इसे खोजकर्ताओं और गुफा वैज्ञानिकों के लिए रोमांच और अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र बनाती हैं।

    क्रूबेरा गुफा का परिचय (Introduction to Krubera Cave)

    वेर्योव्किना गुफा(Veryovkina Cave), जिसे विश्व की सबसे गहरी गुफा माना जाता है, अबखाज़िया (Abkhazia) में स्थित है। इसकी गहराई 7,252 फीट (2,212 मीटर) है। जबकि वेर्योव्किना गुफा(Veryovkina Cave) के बाद विश्व की दूसरी सबसे गहरी गुफा क्रूबेरा-वोरोन्या गुफा (Krubera-Voronja Cave) है, जिसकी गहराई 7,208 फीट (2,197 मीटर) है। यह दोनों गुफा अबखाज़िया के काकेशस पर्वत में स्थित है। क्रूबेरा गुफा को पहले विश्व की सबसे गहरी गुफा माना जाता था, लेकिन बाद में वेर्योव्किना गुफा(Veryovkina Cave) की खोज के बाद इसका स्थान दूसरे नंबर पर आ गया।

    क्रूबेरा गुफा, जिसे वोरोन्या गुफा के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया की सबसे गहरी ज्ञात गुफा है। यह जॉर्जिया के अब्खाज़िया क्षेत्र(Abkhazia region of Georgia) में स्थित है और भूगर्भ विज्ञान तथा गुफा अन्वेषण के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह गुफा अरबिका मासिफ, पश्चिमी काकेशस पर्वतमाला में स्थित है और समुद्र तल से इसकी ऊँचाई लगभग 2,256 मीटर है। अब तक की खोजों के अनुसार इसकी गहराई 2,197 मीटर तक पहुँच चुकी है, जो इसे पृथ्वी की सबसे गहरी गुफाओं में स्थान दिलाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 16 किलोमीटर मापी गई है।

    इस गुफा की खोज 1960 में हुई थी, लेकिन इसका गहन अन्वेषण 2001 से 2017 के बीच किया गया। 2004 में यूक्रेनी स्पेलिओलॉजिकल टीम ने पहली बार इसे 2,000 मीटर से अधिक गहराई तक खोजा। गुफा का नाम प्रसिद्ध रूसी भूगर्भशास्त्री अलेक्जेंडर कुर्बेर के नाम पर रखा गया है, जबकि इसे “वोरोन्या गुफा” (Cave of Crows) इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके प्रवेश द्वार के पास बड़ी संख्या में कौए देखे गए थे।

    क्रूबेरा गुफा की संरचना अत्यधिक जटिल और खतरनाक है। इसमें संकीर्ण सुरंगें, गहरे कुएँ और भूमिगत जल स्रोत पाए जाते हैं, जो इसे अन्वेषण के लिए चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। अत्यधिक ठंड और संकरी चट्टानों के कारण यहाँ उतरना बेहद कठिन होता है। वैज्ञानिकों ने इस गुफा में विभिन्न प्रकार के माइक्रोबियल जीवन और गुफा जीवों की दुर्लभ प्रजातियों की खोज की है, जो पृथ्वी के नीचे के पारिस्थितिकी तंत्र के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं। क्रूबेरा गुफा का अन्वेषण पृथ्वी की आंतरिक संरचना, जल विज्ञान और गुफा पारिस्थितिकी को समझने में मदद करता है।

    क्रूबेरा गुफा की भूवैज्ञानिक विशेषताएँ(Geological features of Krubera Cave)

    चट्टानों की संरचना और निर्माण – क्रूबेरा गुफा मुख्य रूप से चूना पत्थर (Limestone) से बनी हुई है। चूना पत्थर एक तलछटी (sedimentary) चट्टान है, जो मुख्य रूप से कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) से बनी होती है। यह गुफा काकेशस क्षेत्र में लाखों वर्षों से चल रही भूगर्भीय प्रक्रियाओं के कारण बनी है। चूना पत्थर जल के प्रभाव से धीरे-धीरे घुलकर करस्ट (karst) परिदृश्य बनाता है, जिससे गुफाओं, सुरंगों और भूमिगत जल स्रोतों का निर्माण होता है।

    करस्ट स्थलाकृति (Karst Topography) – क्रूबेरा गुफा एक करस्ट गुफा (Karst Cave) है, जिसका निर्माण जल के संक्षारण (erosion) और घुलनशीलता (solubility) के कारण हुआ है। करस्ट प्रक्रियाओं के कारण इसमें कई गहरी सुरंगें, संकीर्ण मार्ग, जलकुंड और गड्ढे बने हैं। इस गुफा के अंदर भूमिगत जल धाराएँ भी पाई जाती हैं, जो जल को गहराई में ले जाने और गुफा को और अधिक गहरा करने में सहायक होती हैं।

    जल विज्ञान और भूमिगत जल स्रोत – क्रूबेरा गुफा में कई भूमिगत जल स्रोत (Underground Water Sources) पाए जाते हैं। यह जल मुख्य रूप से वर्षा के पानी और हिमनदों (glaciers) से आता है, जो चूना पत्थर की दरारों और सुरंगों से होकर गुफा के भीतर प्रवेश करता है। गुफा में कई स्थानों पर पानी के छोटे झरने और गहरे जलाशय मौजूद हैं। इसके अलावा, गुफा के भीतर जल स्तर मौसम और बाहरी पर्यावरणीय परिवर्तनों के आधार पर बदलता रहता है।

    गहराई और भूगर्भीय संरचना – क्रूबेरा गुफा की कुल गहराई 2,197 मीटर तक खोजी जा चुकी है, जो इसे दुनिया की सबसे गहरी गुफा बनाती है। इसकी गहराई में कई ऊर्ध्वाधर (Vertical) और क्षैतिज (Horizontal) सुरंगें हैं, जो अलग-अलग भूवैज्ञानिक युगों में बनी हैं। गुफा की दीवारों पर पाए जाने वाले खनिजों और संरचनात्मक विशेषताओं से संकेत मिलता है कि यह लाखों वर्षों में धीरे-धीरे विकसित हुई है।

    तापमान और जलवायु परिस्थितियाँ – गुफा के अंदर तापमान आमतौर पर 0°C से 5°C के बीच रहता है, जो इसे अत्यधिक ठंडी गुफाओं में से एक बनाता है। जैसे-जैसे गुफा की गहराई बढ़ती है, वैसे-वैसे वहाँ आर्द्रता (Humidity) भी अधिक हो जाती है। गुफा में वायुप्रवाह सीमित होने के कारण यहाँ का वातावरण स्थिर रहता है, जिससे इसमें मौजूद चट्टानों और खनिजों का अपक्षय (weathering) धीमी गति से होता है।

    भूवैज्ञानिक समय और विकास – वैज्ञानिकों का मानना है कि क्रूबेरा गुफा का निर्माण मध्य से लेकर आधुनिक निओजीन युग (Miocene to Quaternary Period) के बीच हुआ होगा, जो लगभग 5 से 25 मिलियन वर्ष पहले की अवधि को दर्शाता है। इस दौरान काकेशस पर्वतमाला का उत्थान हुआ और साथ ही जलवायु परिवर्तन तथा भूगर्भीय हलचलों के कारण चट्टानों में दरारें और गुफाओं का निर्माण हुआ।

    खनिज और चट्टानों की विविधता – क्रूबेरा गुफा की दीवारों पर विभिन्न प्रकार के खनिज (Minerals) पाए जाते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से कैल्साइट (Calcite), डोलोमाइट (Dolomite), और क्वार्ट्ज़ (Quartz) शामिल हैं। ये खनिज गुफा के जल स्रोतों और चट्टानों के बीच होने वाली रासायनिक क्रियाओं के परिणामस्वरूप बने हैं।

    गुफा में पाए जाने वाले जीव(Creatures found in the cave)

    क्रूबेरा गुफा में जीवों की अनूठी दुनिया बसती है, जहाँ कठोर जलवायु और अंधेरे वातावरण के बावजूद कई प्रकार के जीव पनपते हैं। यह गुफा दुनिया की सबसे गहरी ज्ञात गुफा है, और यहाँ पाए जाने वाले जीव विशेष रूप से गुफा के पर्यावरण के अनुसार अनुकूलित होते हैं। इस गुफा में पाए जाने वाले जीवों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है । ट्रोग्लोबाइट (Troglobites), ट्रोग्लोफाइल (Troglophiles), और ट्रोग्लोक्सीन (Trogloxenes)।

    ट्रोग्लोबाइट जीव वे होते हैं, जो पूरी तरह से गुफा के अंधेरे वातावरण में रहने के लिए अनुकूलित होते हैं। इनमें प्रमुख रूप से गुफा के गोहर (Springtails), गुफा के कवचधारी कीट (Beetles), और गुफा के झींगुर (Cave Crickets) शामिल हैं। इन जीवों की विशेषता यह होती है कि इनमें देखने की क्षमता बहुत कम या बिल्कुल नहीं होती, और ये अपनी संवेदनशील एंटेना या अन्य इंद्रियों के माध्यम से अंधेरे में दिशा का पता लगाते हैं। ये जीव मुख्य रूप से जैविक अवशेषों, कवकों और सूक्ष्मजीवों पर निर्भर होते हैं।

    इसके अलावा, ट्रोग्लोफाइल जीव वे होते हैं, जो गुफा के अंदर और बाहर दोनों जगह रह सकते हैं। इनमें गुफा के मकड़े (Cave Spiders) और मिलिपीड (Millipedes) प्रमुख हैं। ये जीव गुफा में शिकार करते हैं या मृत कार्बनिक पदार्थों को खाते हैं। इनका जीवन गुफा के वातावरण से काफी हद तक प्रभावित होता है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर ये बाहरी दुनिया में भी जा सकते हैं।

    ट्रोग्लोक्सीन जीव वे होते हैं, जो अस्थायी रूप से गुफा में आते हैं लेकिन स्थायी रूप से वहाँ नहीं रहते। क्रूबेरा गुफा के ऊपरी भागों में कभी-कभी चमगादड़ (Bats) देखे जाते हैं, जो दिन में गुफा में आराम करते हैं और रात में भोजन की तलाश में बाहर निकलते हैं। इनके मल (गुआनो) से गुफा के अन्य छोटे जीवों को भोजन मिलता है, जिससे गुफा का पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है। इसके अलावा, कुछ छोटे कृंतक (Rodents) भी भोजन की तलाश में गुफा में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन वे यहाँ लंबे समय तक नहीं रुकते।

    इन सभी जीवों के अलावा, क्रूबेरा गुफा में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव भी पाए जाते हैं। इनमें बैक्टीरिया और कवक (Bacteria and Fungi) प्रमुख हैं, जो जैविक अवशेषों को विघटित करने का कार्य करते हैं और गुफा के पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में मदद करते हैं। गुफा के गहरे हिस्सों में कुछ विशेष प्रकार के मेथेन-उत्पादक बैक्टीरिया (Methanogens) पाए गए हैं, जो ऑक्सीजन की अत्यंत कम मात्रा में भी जीवित रह सकते हैं। कुल मिलाकर, क्रूबेरा गुफा में पाए जाने वाले जीव कठोर परिस्थितियों के बावजूद जीवन की अनुकूलन क्षमता को दर्शाते हैं।

    क्रूबेरा गुफा का भूवैज्ञानिक महत्त्व(Geological significance of Krubera Cave)

    क्रूबेरा गुफा न केवल अपनी गहराई के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह वैज्ञानिकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण शोध स्थल है। क्रूबेरा गुफा भूगर्भशास्त्र और जलविज्ञान के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। इसकी गहराई, जल प्रवाह प्रणाली, और करस्ट संरचनाएँ वैज्ञानिकों को पृथ्वी की आंतरिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करती हैं। इसके अलावा, यह गुफा उन प्रक्रियाओं का भी उदाहरण है, जो चट्टानों और जल के बीच होने वाली दीर्घकालिक अंतःक्रियाओं से गुफाओं के निर्माण और विस्तार में योगदान देती हैं।

    गुफा अभियान और चुनौतियाँ(Cave expedition and challenges)

    क्रूबेरा गुफा में अभियान करना अत्यंत कठिन और जोखिमभरा कार्य है। इसकी अत्यधिक गहराई और जटिल भूगर्भीय संरचना के कारण यहाँ प्रवेश करने वाले वैज्ञानिकों और अन्वेषकों को विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। अभियान के दौरान उन्हें अत्यधिक ठंड, संकरी सुरंगों, जलभराव और ऑक्सीजन की कमी जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

    यहाँ तक कि इस गुफा में कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ केवल अत्यधिक प्रशिक्षित गुफा गोताखोर ही पहुँच सकते हैं। गुफा में प्रवेश करने के लिए कई बार महीनों तक अन्वेषण करना पड़ता है और इसमें कई चरणों में कार्य करना होता है।

    पर्यटकों और गुफा प्रेमियों के लिए आकर्षण(An attraction for tourists)

    हालाँकि क्रूबेरा गुफा कोई आम पर्यटन स्थल नहीं है, लेकिन गुफा अन्वेषण में रुचि रखने वाले साहसी लोग विशेष अनुमति लेकर यहाँ अन्वेषण कर सकते हैं। यह स्थान विशेष रूप से वैज्ञानिक अभियानों और गुफा अन्वेषण करने वाले विशेषज्ञों के लिए उपयुक्त है।

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