
East Khasi Hills Caves Tourism
East Khasi Hills Caves Tourism
East Khasi Hills Caves Tourism: मेघालय जिसे ‘बादलों का घर’ भी कहा जाता है अपनी नदियों, झरनों, जंगलों और रहस्यमयी गुफाओं के लिए मशहूर है। खासकर पूर्वी खासी हिल्स की गुफाएँ लोगों को बहुत आकर्षित करती हैं। ये गुफाएँ सिर्फ घूमने और रोमांच का ही नहीं बल्कि विज्ञान और प्रकृति के नजरिए से भी बेहद खास हैं। यहाँ की भूमिगत दुनिया में पत्थरों की सुंदर आकृतियाँ, लंबी-चौड़ी गलियाँ और खास तरह के जीव-जंतु मिलते हैं जो इन्हें और भी अनोखा बनाते हैं। भारत में यूनेस्को विश्व धरोहर की संभावित सूची (टेंटेटिव लिस्ट) में हाल ही में 7 नए स्थल शामिल हुए हैं जिनमें महाराष्ट्र के पंचगनी और महाबलेश्वर के डेक्कन ट्रैप्स समेत मेघालय की पूर्वी खासी हिल्स भी शामिल है। आइये जानते है पूर्वी खासी हिल्स के बारे में विस्तार से ।
गुफाओं का भूगर्भीय महत्व

पूर्वी खासी हिल्स की गुफाएँ मुख्यत चूना-पत्थर की चट्टानों में बनी हैं। लाखों सालों तक बारिश का पानी इन चट्टानों को घुलाता और फिर जमा करता रहा, जिससे गुफाएँ बनती गईं। इसी वजह से यहाँ छत से लटकती सुंदर आकृतियाँ (स्तलक्टाइट) और जमीन से उठती आकृतियाँ (स्टेलाग्माइट) दिखाई देती हैं। मावम्लुह गुफा इनमें सबसे खास है। इसे दुनिया भर में वैज्ञानिकों ने मान्यता दी है क्योंकि यहीं से ‘मेघालयन युग’ की पहचान हुई है, जो धरती के इतिहास का एक नया समय माना जाता है।
प्रमुख गुफाएँ (पूर्वी खासी हिल्स के उदाहरण)

Mawsmai Cave (माव्समाई) – माव्समाई गुफा चेरापूंजी के पास एक आसान और लोकप्रिय गुफा है। यह कुछ सौ मीटर लंबी है और इसमें रोशनी की व्यवस्था की गई है, ताकि पर्यटक आसानी से अंदर देख सकें। यहाँ छोटे-छोटे हॉल, पानी से बने छिद्र और सुंदर पत्थरों की आकृतियाँ (स्तलक्टाइट और स्तेलाग्माइट) देखने को मिलती हैं। पहली बार गुफा देखने आने वालों के लिए यह जगह बहुत खास है।
Mawmluh / Krem Mawmluh (मावम्लुह) – मावम्लुह गुफा लंबी और जटिल है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका वैज्ञानिक महत्व है। इसी गुफा से ‘मेघालयन युग’ नाम का नया कालखंड पहचाना गया, जिसे धरती के इतिहास में जोड़ा गया। इस कारण मावम्लुह गुफा और उसके आसपास का क्षेत्र अब विश्व धरोहर की तरह माना जाता है।
क्रेम पुरी, क्रेम फ़िललुत और अन्य ‘क्रेम’ गुफाएँ – खासी भाषा में ‘क्रेम’ का मतलब गुफा होता है। पूर्वी खासी हिल्स और पास के इलाकों में कई ‘क्रेम’ गुफाएँ हैं। इनमें से कुछ गुफाएँ बहुत लंबी और जटिल हैं। इन गुफाओं का नक्शा बनाने और खोज करने का काम लगातार जारी है। इनमें क्रेम पुरी और क्रेम फ़िललुत काफी प्रसिद्ध हैं और गुफा खोजने वालों को बहुत आकर्षित करती हैं।
पर्यटन और साहसिक गतिविधियाँ
पूर्वी खासी हिल्स की गुफाएँ ट्रेकिंग, गुफा अन्वेषण (स्पेलियोलॉजी), फोटोग्राफी और प्रकृति को समझने के लिए बेहतरीन जगह हैं। माव्समाई जैसी गुफाएँ आम परिवार और पर्यटकों के लिए सुरक्षित हैं क्योंकि यहाँ रोशनी और चलने के लिए रास्ते बने हुए हैं। लेकिन कुछ गुफाएँ बहुत लंबी और जटिल होती हैं, जहाँ जाने के लिए विशेषज्ञ गाइड और खास उपकरणों की जरूरत पड़ती है। इनमें अंधेरा, संकरी जगहें और ऊँचाई का सामना करना पड़ सकता है। स्थानीय पर्यटन विभाग और गाइड यहाँ रोमांचक यात्राएँ कराते हैं, लेकिन पर्यटकों को हमेशा सावधानी और तैयारी के साथ ही जाना चाहिए।
गुफाओं की जैव विविधता
मेघालय की गुफाएँ जीव-जंतुओं की दुनिया में भी बहुत खास हैं। यहाँ छोटे-छोटे सूक्ष्म जीव, दुर्लभ कीड़े, सरीसृप और कई नई प्रजातियाँ पाई जाती हैं। गुफाओं में रोशनी कम, तापमान स्थिर और खाने के साधन सीमित होते हैं इसलिए यहाँ के जीव खास तरह से अनुकूलित हो जाते हैं। माव्समाई गुफा में एक सूक्ष्म घोंघे (माइक्रो-स्नेल) की खोज हुई जिसने वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा। वहीं ट्रोग्लोफाइल मछली जैसी अनोखी प्रजातियाँ भी यहाँ मिली हैं, जो बताती हैं कि इन गुफाओं में जैव विविधता कितनी समृद्ध और महत्वपूर्ण है।
पर्यटन से जुड़े जोखिम और संरक्षण

पूर्वी खासी हिल्स की गुफाओं में पर्यटन के साथ कुछ खतरे भी जुड़े हैं। इनमें ज्यादा भीड़ का दबाव, कचरा फैलना, रास्तों की खराब देखभाल, बिना गाइड के खतरनाक ट्रेकिंग और बिना अनुमति गुफाओं में जाना शामिल है। इन समस्याओं को रोकने के लिए प्रशासन ने नए नियम बनाए हैं। अब ट्रेकिंग के लिए स्थानीय गाइड रखना जरूरी है, ताकि यात्रियों की सुरक्षा हो और नियमों का पालन हो सके। साथ ही, गुफाओं के भूवैज्ञानिक और जैविक संरक्षण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इन उपायों से सुरक्षित और टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।
सांस्कृतिक और सामुदायिक संरक्षण
पूर्वी खासी हिल्स की गुफाओं की देखभाल में स्थानीय खासी समुदाय की बड़ी भूमिका है। ये गुफाएँ उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ी हैं और पवित्र मानी जाती हैं। इसलिए बिना अनुमति गुफाओं में जाना गलत माना जाता है। स्थानीय गाइड न सिर्फ सुरक्षा का ध्यान रखते हैं, बल्कि वे यात्रियों को गुफाओं से जुड़ी कहानियाँ, इतिहास और प्रकृति की जानकारी भी देते हैं, जिससे यात्रा और खास हो जाती है। सरकार और पर्यटन विभाग भी स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करते हुए इन गुफाओं और उनके प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिए काम कर रहे हैं।
घूमने का सही समय
मेघालय में ज्यादा बारिश होती है खासकर जून से अगस्त के बीच। इस समय गुफाओं के रास्ते बहुत फिसलन और खतरनाक हो जाते हैं इसलिए यह मौसम गुफा घूमने के लिए ठीक नहीं है। अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि तब मौसम सूखा और स्थिर रहता है। गुफा यात्रा पर जाने से पहले स्थानीय मौसम और रास्तों की जानकारी लेना जरूरी है ताकि यात्रा सुरक्षित और आसान हो सके।
यूनेस्को की संभावित विश्व धरोहर सूची में स्थान
सितंबर 2025 में भारत के 7 नए स्थल यूनेस्को की संभावित विश्व धरोहर सूची में शामिल किए गए हैं। इनमें महाराष्ट्र के पंचगनी और महाबलेश्वर के डेक्कन ट्रैप्स, आंध्र प्रदेश की तिरुमला पहाड़ियां, मेघालय की पूर्वी खासी हिल्स की गुफाएँ, नागालैंड का नागा हिल ओफियोलाइट, केरल का वरकला, आंध्र प्रदेश का एर्रा मट्टी डिब्बालु और कर्नाटक का सेंट मैरी आइलैंड क्लस्टर शामिल हैं। इनकी गिनती के साथ अब भारत के पास कुल 69 संभावित विश्व धरोहर स्थल हैं जिनमें 49 सांस्कृतिक, 17 प्राकृतिक और 3 मिश्रित स्थल हैं।
वहाँ कैसे पहुँचे
पूर्वी खासी हिल्स की गुफाओं तक पहुँचने के लिए कई रास्ते हैं। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा शिलांग एयरपोर्ट है जो शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। दूसरा बड़ा हवाई अड्डा गुवाहाटी में है जहाँ से शिलांग करीब 3 – 4 घंटे की दूरी पर है। रेल से आने वालों के लिए गुवाहाटी सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। शिलांग से सोहरा (चेरापूंजी) करीब 55 – 60 किलोमीटर दूर है जिसे सड़क से 2 – 2.5 घंटे में तय किया जा सकता है। सोहरा से माव्समाई और मावम्लुह गुफाएँ सिर्फ 5 – 10 किलोमीटर के भीतर हैं। यहाँ टैक्सी, साझा गाड़ियाँ और टूर ऑपरेटर आसानी से मिल जाते हैं। साहसिक गुफाओं में जाने के लिए हमेशा स्थानीय गाइड के साथ ही जाना सुरक्षित होता है।