Elections In 2025: 2024 के दौरान लोकसभा चुनाव के साथ ही देश के आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव कराए गए। लोकसभा चुनाव में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन न कर पाने के बाद भाजपा ने हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाते हुए इंडिया गठबंधन को बैकफुट पर धकेल दिया। अब सबकी निगाहें 2025 पर लगी हुई है। 2025 की शुरुआत से पहले ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तपिश बढ़ चुकी है। जल्द ही विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान के साथ ही चुनावी पारा चरम पर पहुंच जाएगा।
2025 में ही महाराष्ट्र में बीएमसी समेत अन्य निकायों के चुनाव होने हैं जबकि इस साल का समापन बिहार के विधानसभा चुनाव की सियासी जंग के साथ होने वाला है। दिल्ली और बिहार की सियासी जंग सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए काफी अहम मानी जा रही है। दिल्ली में भाजपा और आप के बीच जबकि बिहार में एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।
दिल्ली के चुनाव के साथ होगी शुरुआत
2025 का आगाज दिल्ली के विधानसभा चुनाव के साथ होने वाला है। इस विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा, आप और कांग्रेस के साथ ही ओवैसी और बसपा की ताकत का भी पता लगेगा। दिल्ली में भाजपा पिछले 27 वर्षों का वनवास खत्म करने की कोशिश में जुटी हुई है।
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी की ओर से लगातार चौथी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस दिल्ली के पिछले दोनों विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी मगर इस बार पार्टी की ओर से अपनी पुरानी ताकत दिखाने की कोशिश की जा रही है।
इस बार केजरीवाल की राह आसान नहीं
दिल्ली में अगर केजरीवाल की अगुवाई में आप चौका लगाने में कामयाब रही तो यह भाजपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा। वैसे इस बार केजरीवाल के लिए लड़ाई आसान नहीं मानी जा रही है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था मगर इसके बावजूद भाजपा राज्य की सातों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। अब विधानसभा चुनाव में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन न हो पाने के कारण भाजपा को वोटो के बंटवारे का फायदा मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है।
भाजपा और कांग्रेस के लिए क्यों अहम है चुनाव
दिल्ली की सत्ता 1998 में भाजपा के हाथ से निकल गई थी और उसके बाद लगातार 15 वर्षों तक शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार काबिज रही। इसके बाद पिछले 11 साल से अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आप अपनी ताकत दिखाती रही है। ऐसे में दिल्ली का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ ही कांग्रेस के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है। आप ने सबसे पहले दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित करके चुनावी बढ़त हासिल कर ली है।
कांग्रेस ने भी तमाम सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और इस मामले में भाजपा पिछड़ी हुई दिख रही है। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि जल्द ही पार्टी की ओर से भी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया जाएगा। पार्टी पहले ही इस संबंध में पूरा होमवर्क कर चुकी है।
बिहार के चुनाव के साथ होगा समापन
2025 के दौरान दिल्ली के साथ ही बिहार के विधानसभा चुनाव पर भी सबकी निगाहें होंगी। 2025 की शुरुआत दिल्ली के चुनाव के साथ होगी तो इस नए साल का समापन बिहार के विधानसभा चुनाव के साथ होगा। बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए के चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी की जा रही है।
दूसरी ओर राजद नेता तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्षी महागठबंधन ने भी चुनावी सक्रियता बढ़ा दी है। बिहार में भाजपा अभी भी अपने दम पर चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं दिख रही है और इसी कारण पार्टी ने नीतीश कुमार का सहारा ले रखा है। एनडीए गठबंधन में चिराग पासवान की लोजपा, जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलपी भी शामिल हैं।
बिहार में इस बार क्यों बदला दिखेगा नजारा
दूसरी ओर बिहार में राजद का कांग्रेस और वाम दलों के साथ गठबंधन है। बिहार में तेजस्वी यादव की अगुवाई में राजद की ओर से नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है मगर यह प्रयास कितना असर दिखा पाएगा,यह अभी कहना मुश्किल है। लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी गठबंधन उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सका था। ऐसे में विपक्षी महागठबंधन के लिए विधानसभा चुनाव की सियासी जंग आसान नहीं मानी जा रही है।
बिहार का विधानसभा चुनाव इस बार इसलिए भी बदला हुआ दिखेगा क्योंकि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अगवाई में जनसुराज पार्टी ने भी राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। प्रशांत किशोर के अलावा एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी की ओर से भी सीमांचल और अन्य मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने की तैयारी है। इस कारण बिहार के सियासी घमासान में कड़ा मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।
महाराष्ट्र के निकाय चुनाव पर भी सबकी निगाहें
इस नए साल के दौरान ही महाराष्ट्र में निकाय चुनाव भी होने वाले हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी ताकत दिखाने के बाद भाजपा बीएमसी और अन्य महानगरों के निकाय चुनाव में अकेला अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। बीएमसी को देश का सबसे अमीर कॉरपोरेशन माना जाता रहा है। ऐसे में अन्य दलों की ओर से इस चुनाव में भाजपा को कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
भाजपा के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना की ओर से भी अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरने की संभावना जताई जा रही है।
महाराष्ट्र में निकाय चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने सियासी बिसात बिछाने की शुरुआत कर दी है। यदि भाजपा और उद्धव सेना की ओर से अकेले चुनाव लड़ा जाता है तो अन्य सहयोगी दलों की प्रतिक्रिया भी देखने लायक होगी।