
West Bengal Emerges as Global Tourist Hub with Durga Puja, New Hub for Foreign Tourists
West Bengal Emerges as Global Tourist Hub: पश्चिम बंगाल सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और आधुनिकता का जीवंत संगम है। यहां की हवा में संगीत और गलियों में इतिहास और रहस्य से जुड़े अनगिनत किस्से गूंजते हैं।जबकि यहां के लोकप्रिय त्योहारों और परंपराओं में जीवन का उत्सव झलकता है। बंगाल की पहचान उसकी खूबसूरत संस्कृति में बसती है, जहां दुर्गा पूजा जैसे भव्य धार्मिक आयोजन, शांतिनिकेतन की बौद्धिक विरासत, बाउल संगीत की आत्मिक धुनें और रवींद्रनाथ टैगोर की रचनात्मक छाप हर कदम पर महसूस होती है।
आज के दौर में बंगाल अपनी परंपराओं को संभालते हुए आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। पारंपरिक साड़ी और धोती-कुर्ते के साथ-साथ समकालीन फैशन, मछली-चावल की खुशबू के साथ अंतरराष्ट्रीय स्वाद, और शास्त्रीय संगीत के साथ आधुनिक कला मंच ये सब कुछ यहां एक साथ देखने को मिलता है। यही वजह है कि विदेशी पर्यटक आज बंगाल को केवल घूमने की जगह नहीं, बल्कि जीने और महसूस करने वाली संस्कृति के रूप में देख रहे हैं। भारत में विदेशी पर्यटन की बात आते ही अब तक जिन राज्यों के नाम सबसे पहले लिए जाते थे, उनमें राजस्थान, गोवा, केरल और उत्तर प्रदेश शामिल रहे हैं। लेकिन समय बदल रहा है। हाल के वर्षों में पश्चिम बंगाल ने विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के मामले में चौंकाने वाली बढ़त दर्ज की है। सांस्कृतिक विरासत, सुरक्षित माहौल, बेहतर कनेक्टिविटी और वैश्विक पहचान की बदौलत बंगाल आज विदेशी सैलानियों की पहली पसंद बनकर उभरा है।
बदलती तस्वीर, उभरता बंगाल
बरसों तक भारत का पर्यटन मानचित्र कुछ चुनिंदा राज्यों तक सीमित माना जाता था। राजस्थान अपने किलों-महलों के लिए, गोवा समुद्र तट और नाइटलाइफ के लिए, केरल बैकवॉटर और आयुर्वेद के लिए तथा उत्तर प्रदेश ताजमहल के लिए जाना जाता रहा। लेकिन अब पश्चिम बंगाल ने इस सोच को बदल दिया है।
पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि एक समय बंगाल भारत आने वाले हर सात में से एक विदेशी पर्यटक की मेजबानी कर रहा था। यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह राज्य लंबे समय तक ‘अंडररेटेड’ पर्यटन स्थल माना जाता रहा।
आंकड़ों में बंगाल की मजबूती
2000 के दशक के मध्य में ही पश्चिम बंगाल विदेशी टूरिस्ट आगमन के मामले में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल हो गया था। उस दौर में बंगाल में करीब 21 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे थे और यह महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर रहा। राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े पर्यटन राज्यों की हिस्सेदारी इससे काफी कम रही, जबकि केरल की हिस्सेदारी और भी सीमित थी। ये आंकड़े इस बात का संकेत थे कि बंगाल सिर्फ एक क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी पर्यटन का बड़ा केंद्र बन रहा है।
बांग्लादेश से सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक
पश्चिम बंगाल की भौगोलिक स्थिति इसकी सबसे बड़ी ताकत है। बांग्लादेश से सटी सीमा होने के कारण यहां बड़ी संख्या में पड़ोसी देश के नागरिक आते हैं।
सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, बंगाल आने वाले विदेशी पर्यटकों में सबसे बड़ा हिस्सा बांग्लादेश का है। ये लोग सिर्फ घूमने ही नहीं, बल्कि इलाज, शिक्षा, व्यापार और रिश्तेदारी के कारण भी आते हैं। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, इटली और अन्य यूरोपीय देशों से भी बंगाल में विदेशी पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कोलकाता का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और जमीनी कनेक्टिविटी भी पर्यटन में आई तेजी की एक बड़ी वजह है।
कोविड के बाद शानदार वापसी
कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में पर्यटन को गहरा झटका दिया। 2020-21 के दौरान बंगाल भी इससे अछूता नहीं रहा। एक समय ऐसा भी आया जब साल भर में केवल कुछ हजार विदेशी पर्यटक ही राज्य में पहुंचे।
लेकिन 2022 के बाद तस्वीर तेजी से बदली। 2023-24 में विदेशी पर्यटकों की संख्या में अचानक उछाल देखने को मिला और 2024 तक बंगाल फिर से देश के शीर्ष विदेशी पर्यटन राज्यों में शामिल हो गया। पर्यटन विशेषज्ञ मानते हैं कि, असली सफलता कोविड से पहले के वर्षों और 2024 के आंकड़ों की तुलना में दिखती है, जहां बंगाल ने अपेक्षा से कहीं बेहतर ग्रोथ दर्ज की।
दुर्गा पूजा बना ग्लोबल ब्रांड
बंगाल की इस सफलता के पीछे सबसे अहम वजह कोलकाता की दुर्गा पूजा है। 2021 में UNESCO द्वारा दुर्गा पूजा को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा मिलने के बाद इसका अंतरराष्ट्रीय आकर्षण कई गुना बढ़ गया।
अब विदेशी पर्यटक दुर्गा पूजा को केवल धार्मिक त्योहार के रूप में नहीं देखते। वे इसे कला, डिज़ाइन, सामाजिक सहभागिता और सामूहिक रचनात्मकता के अनोखे उत्सव के तौर पर अनुभव करना चाहते हैं।
पंडालों की थीम, मूर्तियों की कलात्मकता और पूरे शहर का उत्सवी माहौल विदेशी सैलानियों के लिए किसी ओपन-एयर म्यूज़ियम से कम नहीं होता।
भारत का सबसे सुरक्षित शहर – कोलकाता
विदेशी पर्यटकों के लिए सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा होता है। इस मामले में कोलकाता ने मजबूत भरोसा बनाया है। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, कोलकाता लगातार कई वर्षों तक भारत का सबसे सुरक्षित महानगर रहा है, जहां प्रति लाख आबादी पर गंभीर अपराधों की संख्या सबसे कम दर्ज हुई।
इसके साथ ही पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों के लिए बेहतर सुविधाओं के कारण कोलकाता को नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट में भी देश में शीर्ष स्थान मिला है। ये सभी बातें विदेशी सैलानियों को यहां आने के लिए प्रेरित करती हैं।
होटल और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश
विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या का सीधा असर होटल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर पर पड़ा है। आने वाले 2 से 3 वर्षों में बंगाल में 20 से अधिक नए लग्ज़री होटल खुलने की संभावना है।
बड़े होटल ग्रुप और इंटरनेशनल ब्रांड कोलकाता, दार्जिलिंग, सुंदरबन और दीघा जैसे इलाकों में निवेश बढ़ा रहे हैं। होटल ऑक्यूपेंसी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। जो राज्य के पर्यटन भविष्य के लिए बहुत ही सकारात्मक संकेत बन कर सामने आई है।
सिर्फ कोलकाता नहीं, पूरा बंगाल है पर्यटकों की पसंद
बंगाल की खासियत यह है कि यहां हर तरह का पर्यटन मौजूद है। दार्जिलिंग और कालिम्पोंग की पहाड़ियां, सुंदरबन का मैंग्रोव जंगल, शांतिनिकेतन की सांस्कृतिक विरासत, दीघा और मंदरमणि के समुद्र तट ये सभी विदेशी पर्यटकों को अलग-अलग अनुभव देते हैं।
यही विविधता बंगाल को एक कंप्लीट टूरिज़्म पैकेज पर बनाती है। पश्चिम बंगाल की सफलता कोई संयोग नहीं, बल्कि संस्कृति, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और स्मार्ट टूरिज़्म प्रमोशन का नतीजा है। आज बंगाल सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भारत का नया सांस्कृतिक चेहरा बन चुका है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना और जागरूकता के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई संख्या और तथ्य सरकारी रिपोर्ट्स और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित हैं, लेकिन समय और परिस्थितियों के अनुसार इनमें बदलाव संभव है।


