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    Home » Gudimallam Temple History: जानिए क्या है आंध्र प्रदेश में स्थित गुडीमल्लम लिंगम मंदिर का इतिहास और विशेषता, क्या हैं पौराणिक कथाएं
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    Gudimallam Temple History: जानिए क्या है आंध्र प्रदेश में स्थित गुडीमल्लम लिंगम मंदिर का इतिहास और विशेषता, क्या हैं पौराणिक कथाएं

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 29, 2025No Comments5 Mins Read
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    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh: भारत देश के आंध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले में तिरुपति के करीब श्री कालहस्ती मंडल में स्थित गुडीमल्लम एक छोटा सा गांव है जहां एक विशेष शिव मूर्ति देखने को मिलती है। स्वर्णमुखी नदी के तट पर स्थित इस प्राचीन विश्व प्रसिद्ध मंदिर का इतिहास करीब 2600 साल पुराना माना जाता है। यहां के परशुरामेश्वर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित गुडीमल्लम लिंगम अपनी खास विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म में लिंगम को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।

    गुडीमल्लम के इस मंदिर को भारत का पहला शिवालय कहा जाता है जहां एक ही पत्थर या शीला की भव्य प्रतिमा में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश समाहित हैं। घने, गहरे भूरे रंग के स्थानीय पत्थर से बना यह लिंग करीब 5 फीट से अधिक ऊंचा है जिसमें ब्रह्मा यक्ष रूप में, भगवान विष्णु परशुराम रूप और भगवान शिव पुरुष लिंग के आकार में देखे जा सकते हैं। इस त्रिमूर्ति लिंगम में सबसे नीचे ब्रह्मा बीच में विष्णु और सबसे ऊपर शिव हैं।

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    हिंदुओं के लिए यह स्थान आध्यात्म और धार्मिक दृष्टि से बहुत खास है। इस मंदिर की भव्यता गर्भगृह और गोपुरम की संरचना को देखने में मिलती है जो क्रमशः शिव लिंगम और गज पुषी के आकार में बना हुआ है। मंदिर में मूलविराट रूप पृथ्वी के ऊपरी तल से छः कदम नीचे गुडिपंड के रूप में और काल क्रमयेन गुडिमंड के रूप में विख्यात है। मंदिर में लिंग के सामने भगवान शिव की मूर्ति एक अप्सरा पर खड़ा हुआ दिखाई देता है जिसमें भगवान शिव दाहिने हाथ में मृग और बाएं हाथ में एक कमण्डलु लिए हुए हैं और बाएं कंधे पर एक कुल्हाड़ी है। वहीं उनके शरीर के कई हिस्से जैसे कान में झुमके, गले में हार, कमर में कमरबंद, हाथों में कई कंगन और बाजूबंद से सुसज्जित हैं।

    ऐसा माना जाता है कि यह शिवलिंग ईसा युग से पहले की है। इतिहास की माने तो इस मंदिर को सातवाहन, पल्लव, चोल और विजयनगर जैसे साम्राज्य के कई राजवंशों ने योगदान दिया है।

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    ऐसी मान्यता है कि हर 60 साल में एक बार स्वर्णमुखी नदी का पानी मुख्य देवता के चरण को स्पर्श करता है। ऐसा भी कहा जाता है कि सूर्य के उत्तरायण से दक्षिणायन होने के दौरान सूर्य की किरणें इस लिंग के चरणों पर पड़ती हैं और ऐसा लगता है मानो मंदिर के मुख्य देवता का आशीर्वाद ले रहा हो। इस मंदिर परिसर में श्री आनंदवल्ली , श्री वल्ली देवसेना सुब्रमण्य स्वामी और सूर्य भगवान के मंदिर भी मौजूद हैं।

    इस जगह का पौराणिक महत्व :

    इस स्थान से एक पौराणिक कथा जुड़ी है जिसके अनुसार एक बार परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि को अपनी पत्नी रेणुका पर उनके प्रति बेवफाई का संदेह था इसलिए उन्होंने अपने पुत्र परशुराम को अपनी मां का सिर धड़ से अलग करने का आदेश दिया। परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन तो किया , बदले में इनाम की जगह उन्होंने ऋषि जमदग्नि से अपनी मां को वापस जीवित मांगा। उनकी मां वापस जीवित तो हो गई लेकिन परशुराम अपनी मां की हत्या के अपराध से उबरने के लिए अन्य ऋषियों की सलाह से गुडिमल्लम में तपस्या शुरू कर शिव की पूजा करने लगे। वे अपने घर के निकट स्थित तालाब के पास उगने वाले दिव्य पुष्प से प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करने लगे। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें आनंदित रहने का वरदान भी दिया।

    तालाब में उन फूलों की रक्षा के लिए भगवान ब्रह्मा एक चित्रसेन नामक पहरेदार बनकर रह रहे थे। एक दिन परशुराम के शिकार से आने में देरी होता देख चित्रसेन ने तालाब से वो दिव्य पुष्प तोड़कर शिवलिंग की पूजा कर दी। बाद में जब परशुराम लौटकर आए और उन फूलों को गायब देखा तो क्रोध में चित्रसेन से युद्ध करना शुरू किया। इतने में भगवान शिव ने वहां प्रकट होकर दोनों को एकसाथ विलीन होने का वरदान दे डाला। तब से यह पवित्र स्थान गुडीपल्लम और फिर बाद में गुडीमल्लम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस तरह परशुरामेश्वर मंदिर की स्थापना हुई, जिसमें ब्रह्मा चित्रसेन के रूप में, विष्णु परशुराम के रूप में और शिव लिंगम के रूप में गुडीमल्लम शिव लिंगम में विराजमान हैं।

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आने से भक्तों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। खासतौर पर विवाह में देरी और बिना संतान वाले दंपत्ति भी भगवान से आशीर्वाद लेने इस मंदिर में आते हैं। ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मंदिर में खास पूजा अर्चना भी की जाती है।

    कैसे पहुंचें ?

    हवाई मार्ग से गुडीमल्लम गांव पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा तिरुपति हवाई अड्डा है। तिरुपति से यह गांव लगभग 30 किमी की दूरी पर है। बस या टैक्सी के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं।

    रेलमार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन रेनिगुंटा स्टेशन और श्री कालहस्ती स्टेशन है। देश के सभी प्रमुख शहरों से यहां के लिए ट्रेन आती हैं। यहां से स्थानीय वाहन, बस या टैक्सी के जरिए गुडीमल्लम गांव पहुंचा जा सकता है।

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    Gudimallam Temple in Andhra Pradesh (Image Credit-Social Media)

    सड़क मार्ग से यह स्थान आंध्रप्रदेश के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। तिरुपति दर्शन करने के उपरांत श्रीकालहस्ती के दर्शन के साथ इस स्थान के दर्शन का प्लान बनाया जा सकता है।

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