Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • ट्रैवल यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा ​और अन्य ​पाकिस्तान के लिए कथित जासूसी में गिरफ्तार
    • रूस ने यूक्रेन में एक यात्री बस पर रूस ने ड्रोन अटैक कर दिया, बस में हुए धमाके में कम से कम 9 लोगों के मारे जाने की खबर
    • मर चुकी मां के गर्भ में पल रहा भ्रूण, 3 महीने बाद लेगा जन्म! दुनिया में छिड़ गई बहस
    • कभी थरूर के लिए कहा था- 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड, आज बीजेपी का सबसे प्रिय शख्स
    • मोदी चले नेहरू की राह पर? शशि थरूर से पहले भी एक PM ने विदेश में मनवाया था भारत का लोहा!
    • Bihar Election 2025: बिहार में कांग्रेस का ‘रील कैप्टन’ कौन? राहुल या कोई और? अपने ही भ्रमजाल में फंसी कांग्रेस
    • PM शरीफ ने माना भारत के ऑपरेशन सिंदूर से नूरखान एयरबेस समेत कई ठिकाने हुए तबाह
    • औरंगजेब पर लाखों खर्च: क्या सच में एक साधारण मकबरे पर पर मेहरबान भारत सरकार, आइए जाने कब्र की सियासत
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Gujarat Ka Rahasyamayi Shahar: पानी में डूबा हुआ शहर जुनाराज, आइए जाने इसकी कहानी
    Tourism

    Gujarat Ka Rahasyamayi Shahar: पानी में डूबा हुआ शहर जुनाराज, आइए जाने इसकी कहानी

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 11, 2025No Comments9 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Gujarat Rahasyamayi Shahar Junaraj Rajpipla: भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर पत्थर, हर नदी और हर टीला किसी न किसी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या प्राकृतिक रहस्य को समेटे हुए है। गुजरात राज्य का राजपीपला इलाका भी कुछ ऐसा ही है। यहाँ की धरती ने इतिहास के कई चरण देखे हैं, जिनमें एक महत्वपूर्ण और रहस्यमयी अध्याय है – जुनाराज। यह एक ऐसा नगर है जो अब पानी के नीचे छिपा हुआ है। आज यह नर्मदा नदी के किनारे स्थित सरदार सरोवर बाँध की जलराशि में समाया हुआ है।लेकिन इसके इतिहास, संस्कृति और सभ्यता की कहानी अब भी लोगों के मन में जीवित है।

    भारत के जंगलों में कई इतनी ख़ूबसूरत जगहें मौजूद हैं जिनकी मिसाल पूरी दुनिया में ढ़ूंढ़ने से नहीं मिल सकती। उनमें से एक है नीलकंठेशवर महादेव, दरअसल यह शिव मंदिर है जो पूरी तरह पानी में डूबा हुआ है और पानी में तैरता हुआ लगता है।

    ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, राजपीपला रियासत का उद्भव

    भारत का इतिहास केवल बड़े साम्राज्यों, युद्धों और राजाओं की वीरगाथाओं से ही नहीं भरा है, बल्कि छोटे-छोटे रियासतों और उनके छिपे हुए वैभव से भी सुसज्जित है। ऐसा ही एक नगर था — जुनाराज, जो कभी राजपीपला रियासत की राजधानी हुआ करता था।

    घने जंगलों, ऊंचे पहाड़ों और शांत नदियों के बीच बसा यह शहर आज करजन नदी पर बने बाँध के कारण जलमग्न हो चुका है, लेकिन इसकी कहानी आज भी इतिहासप्रेमियों और खोजी यात्रियों के मन में जीवित है।

    राजपीपला राज्य की स्थापना

    राजपीपला का इतिहास चौदहवीं शताब्दी से प्रारंभ होता है, जब मध्य भारत के उज्जैन (मालवा) क्षेत्र के परमार राजपूत वंश के एक राजकुमार चौकराना ने अपनी रियासत छोड़ दी और पश्चिम दिशा की ओर जंगलों और पर्वतीय क्षेत्र की ओर बढ़ चले। उन्होंने गुजरात के एक सुदूरवर्ती गाँव नंदीपुर को अपनी नई राजधानी बनाया, जिसे अब नानदोड़ के नाम से जाना जाता है।

    राजकुमार चौकराना का संबंध महान राजा भोज के वंश से था, जिनकी ख्याति न्यायप्रियता और विद्वत्ता के लिए दूर-दूर तक फैली थी। चौकराना ने अपने लिए जो सिंहासन बनवाया, वह राजा भोज की परंपरा का अनुसरण करता था—इस पर बत्तीस परियों की छवियाँ अंकित थीं। यह कला और विरासत के सम्मिलन का एक अनुपम उदाहरण था।

    जुनाराज की स्थापना और रणनीतिक स्थिति

    कुछ ही वर्षों में सुरक्षा की दृष्टि से राजधानी को स्थानांतरित कर सतपुड़ा पर्वत श्रंखला के बीच स्थित एक दुर्गम स्थान पर जुनाराज की स्थापना की गई। यह नगर समुद्र तल से लगभग 2500 फ़ुट की ऊँचाई पर स्थित था और घने जंगलों, ऊँचे पहाड़ों तथा गहरी घाटियों से घिरा हुआ था। यही कारण था कि यह स्थान आक्रमणकारियों से सुरक्षित माना जाता था।

    यह क्षेत्र वर्तमान गुजरात के नर्मदा ज़िले में स्थित है और अहमदाबाद से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर है। आज भी जुनाराज तक पहुँचने के लिए करजन नदी पर नाव की यात्रा, फिर चार किलोमीटर पैदल जंगल यात्रा और पुनः नाव की सवारी करनी होती है।

    गोहिल वंश का आगमन

    राजकुमार चौकराना की पुत्री का विवाह ठाकुर मोखदाजी रानोजी (1309–1347) से हुआ था, जो गोहिल राजपूत वंश के शासक थे। मोखदाजी घोघा रियासत के प्रमुख थे और उनकी राजधानी पिरमबेट (खंभात की खाड़ी में) थी। मोखदाजी के पुत्र कुमार श्री समरसिंहजी को अपने नाना चौकराना की संतान न होने के कारण उत्तराधिकारी घोषित किया गया।

    1340 के आसपास समरसिंहजी ने अर्जुनसिंहजी नाम धारण कर लिया और वह राजपीपला रियासत के पहले गोहिल शासक बने। इस प्रकार परमार और गोहिल वंशों का संगम हुआ और राजपीपला की नींव मजबूत हुई।

    मुग़ल हमले और गोमेल सिंहजी

    15वीं शताब्दी के प्रारंभ में, 1403 ई. में गुजरात के सुल्तान मुहम्मद शाह-1 ने राजपीपला पर हमला किया। परिणामस्वरूप, राजा गोमेल सिंहजी को राजधानी जुनाराज को छोड़कर सतपुड़ा के गहरे जंगलों में शरण लेनी पड़ी।

    महाराणा भैरवसिंहजी और महाराणा उदयसिंह की शरण

    1567 ई. में जब सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ को फतह कर लिया, तो मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह ने जुनाराज में शरण ली। उस समय गोहिल वंश के 11वें शासक महाराणा भैरवसिंहजी का शासन था। इससे स्पष्ट होता है कि जुनाराज की रणनीतिक स्थिति कितनी सुदृढ़ थी कि राजस्थान के राजाओं ने भी इसे शरणस्थली के रूप में चुना।

    औरंगज़ेब से टकराव और राजधानी का परिवर्तन

    गोहिल वंश के 26वें शासक महाराणा वेरीसलजी-1 ने 1705 में गद्दी संभाली। उन्होंने मुग़ल साम्राज्य की शक्ति क्षीण होती देख स्वतंत्रता की घोषणा कर दी और दक्षिण-पश्चिम गुजरात की ओर कूच कर दिया। औरंगज़ेब ने उन्हें रोकने के लिए सेना भेजी, लेकिन महाराणा वेरीसलजी ने मराठा सेनापति धामाजी जाधव के सहयोग से रतनपुर युद्ध में मुग़ल सेना को परास्त कर दिया।

    इसके बाद 1730 ई. में राजधानी को जुनाराज से स्थानांतरित कर राजपीपला नगर में लाया गया। यह स्थान अधिक सुलभ और प्रशासनिक दृष्टिकोण से उपयुक्त माना गया।

    आधुनिक राजपीपला और अंतिम महाराणा

    राजपीपला के अंतिम शासक महाराणा विजय सिंहजी थे, जिन्होंने इस रियासत को एक आधुनिक और विकसित क्षेत्र में परिवर्तित किया। उन्होंने सड़कों, शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासन में सुधार किये। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद राजपीपला को पहले बॉम्बे स्टेट में और बाद में गुजरात राज्य में सम्मिलित कर लिया गया।

    करजन बांध और डूबता इतिहास

    स्वतंत्रता के कुछ दशकों बाद करजन नदी पर एक बांध का निर्माण किया गया, जिसका उद्देश्य सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और ऊर्जा उत्पादन था। इस परियोजना के तहत जब विशाल जलाशय बना, तो जुनाराज शहर पूरी तरह जलमग्न हो गया।

    जुनाराज के निवासी जो वर्षों से वहाँ रहते आ रहे थे, उन्हें विस्थापित कर अन्य स्थानों पर बसाया गया। अब जुनाराज का अस्तित्व केवल एक झील के बीचों-बीच स्थित एक भव्य मंदिर तक सीमित है, जो आज भी वहाँ की सांस्कृतिक विरासत और इतिहास की गवाही देता है।

    जुनाराज का उदय

    जुनाराज एक समृद्ध नगर था, जो आज के राजपीपला के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित था। यह नगर उँचाई पर बसे सुंदर किलों, महलों, और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध था। यह नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित था और व्यापार, कृषि और धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था।

    भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानिक विवरण

    जुनाराज का भूगोल अत्यंत रमणीय था। यह विंध्याचल की पहाड़ियों की तलहटी में, नर्मदा नदी की एक उपनदी के किनारे स्थित था। चारों ओर हरियाली, जल स्रोत, और चट्टानी संरचनाएं इसे एक प्राकृतिक किले की तरह बनाती थीं।

    प्राकृतिक संसाधन

    इस क्षेत्र में वनस्पति और जल की भरपूर मात्रा थी। जंगलों में बहुमूल्य लकड़ियाँ और औषधियाँ पाई जाती थीं। क्षेत्रीय जनजातियाँ (मुख्यतः भील और डुंगरिया) इन संसाधनों पर आधारित जीवन जीती थीं।

    धार्मिक केंद्र

    नगर में कई प्राचीन मंदिर थे, जिनमें शिव, विष्णु और स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा होती थी। यह क्षेत्र आदिवासी और वैदिक परंपराओं का संगम था।

    समाज और संस्कृति

    जुनाराज में एक विविधतापूर्ण संस्कृति पनपी थी, जिसमें राजपूत, आदिवासी, और गुजराती समाज के लोग सम्मिलित थे। यहाँ के मेले, पर्व, और पारंपरिक संगीत-नृत्य इसकी संस्कृति को जीवंत बनाते थे।

    पर्यटन और रहस्य

    आज जुनाराज एक रहस्यमयी पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। घने जंगलों के बीच, नावों की यात्रा और ऐतिहासिक खंडहरों की झलक — यह सब रोमांचप्रिय पर्यटकों के लिए अद्भुत अनुभव बनाता है।

    हालांकि मंदिर और कुछ दीवारों को छोड़कर यहाँ अब कुछ नहीं बचा है।लेकिन स्थानीय लोग आज भी इसकी वीर गाथाओं और खोए हुए वैभव की कहानियाँ सुनाते हैं.

    डूबने की कहानी: सरदार सरोवर बाँध परियोजना,परियोजना की शुरुआत

    1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद नर्मदा नदी के जल को नियंत्रित करने और सिंचाई-जल-विद्युत परियोजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए सरदार सरोवर बाँध की योजना बनाई गई। यह बाँध गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान को जल आपूर्ति देने के उद्देश्य से निर्मित किया गया।

    डूब क्षेत्र में जुनाराज की स्थिति

    जुनाराज का क्षेत्र इस परियोजना के जलाशय क्षेत्र में आ गया। जैसे ही बाँध की ऊँचाई बढ़ी, वैसे ही जुनाराज की ऐतिहासिक भूमि धीरे-धीरे जलमग्न हो गई। यह नगर, जो एक समय राजनीतिक और सांस्कृतिक शक्ति का केंद्र था, अब जल के नीचे दब चुका है।

    डूब का प्रभाव, भौतिक विनाश

    इस ऐतिहासिक नगर की कई संरचनाएँ जैसे मंदिर, प्राचीन किले, महल और मकान अब जलमग्न हो चुके हैं। यह भारत के उन नगरों में से एक है, जो आधुनिक विकास की भेंट चढ़ गया।

    जनजातियों का विस्थापन

    यह क्षेत्र मुख्यतः आदिवासी जनसंख्या से भरा हुआ था। बाँध के निर्माण के कारण हजारों लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा। वे या तो अन्य गांवों में बसाए गए या शहरों की ओर पलायन कर गए।

    सांस्कृतिक नुकसान

    जुनाराज के साथ ही वहाँ की परंपराएँ, रीति-रिवाज, और जीवनशैली भी लुप्त हो गई। लोककथाएँ, स्थापत्यकला और धार्मिक अनुष्ठान अब स्मृतियों में सिमटकर रह गए हैं।

    वर्तमान स्थिति: क्या बचा है, जल के नीचे बसी विरासत

    आज भी जब बाँध का जलस्तर कम होता है, तो कभी-कभी जुनाराज की कुछ संरचनाएँ बाहर आ जाती हैं। मंदिरों के शिखर और पत्थरों की दीवारें दिखाई देने लगती हैं। यह एक विडंबना है – एक खोया हुआ शहर जो कभी-कभी पानी से बाहर झाँकता है, मानो अपनी कहानी कहने को।

    जुनाराज से जुड़ी लोककथाएँ और रहस्य,गुप्त सुरंगें और खजाना

    स्थानीय जनमान्यताओं के अनुसार, जुनाराज में कई गुप्त सुरंगें थीं, जो अन्य नगरों और किलों से जुड़ी थीं। कुछ लोगों का मानना है कि इस नगर में गोहिल राजाओं का गुप्त खजाना भी जल के नीचे दबा है।

    रात में रोशनी दिखने की कथाएँ

    कुछ ग्रामीणों का दावा है कि रात के समय कभी-कभी पानी के अंदर से रोशनी दिखाई देती है – जैसे किसी पुराने मंदिर में दीप जल रहा हो। ये बातें भले ही प्रमाणित न हों, पर जुनाराज की रहस्यमयी छवि को और रोमांचक बना देती हैं।

    भावनात्मक पक्ष: एक सभ्यता की चुप्पी

    जुनाराज मात्र एक नगर नहीं था, यह एक जीवंत सभ्यता थी। यहाँ की गलियाँ, मंदिरों की घंटियाँ और पर्वों की ध्वनियाँ आज भी क्षेत्रीय बुजुर्गों की यादों में गूँजती हैं। यह नगर एक ऐसा अध्याय है जो आधुनिकता के नाम पर मिटा दिया गया, पर जिसे इतिहास कभी नहीं भूल सकता।

    जुनाराज केवल एक डूबा हुआ शहर नहीं है, बल्कि यह उस संघर्ष, संस्कृति और विरासत का प्रतीक है जो कभी राजपीपला रियासत की पहचान थी। जल में समा जाने के बाद भी, इसकी आत्मा आज भी जीवित है—इतिहास में, मंदिरों में, जंगलों की फुसफुसाहटों में और उन लोगों की स्मृतियों में जो कभी वहाँ बसे थे।

    इतिहास में कई नगर खो गए। लेकिन जुनाराज की तरह जल में डूबकर भी स्वाभिमान और गौरव को जीवित रखने वाले बहुत कम होते हैं। आने वा

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleSatya Hindi News Bulletin। 10 अप्रैल, दिनभर की ख़बरें
    Next Article Bihar Politics: कांग्रेस ने दिया तेजस्वी को बड़ा झटका, पटना में सचिन पायलट बोले-अभी CM का चेहरा फाइनल नहीं
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    औरंगजेब पर लाखों खर्च: क्या सच में एक साधारण मकबरे पर पर मेहरबान भारत सरकार, आइए जाने कब्र की सियासत

    May 17, 2025

    Top 5 Destination in India: भारत में जिप लाइनिंग के 5 रोमांचक स्थल, प्रकृति की गोद में रोमांच का अनुभव

    May 16, 2025

    Hathila Baba Dargah History: कौन थे हठीले शाह ? जिनकी दरगाह हैं सांप्रदायिक समरसता का प्रतीक, यहां के ऐतिहासिक रौजा मेला पर क्यों लगा है प्रतिबंध?

    May 16, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025

    सरकार की वादा-खिलाफी से जूझते सतपुड़ा के विस्थापित आदिवासी

    May 14, 2025

    दीपचंद सौर: बुंदेलखंड, वृद्ध दंपत्ति और पांच कुओं की कहानी

    May 3, 2025

    पलायन का दुश्चक्र: बुंदेलखंड की खाली स्लेट की कहानी

    April 30, 2025

    शाहबाद के जंगल में पंप्ड हायड्रो प्रोजेक्ट तोड़ सकता है चीता परियोजना की रीढ़?

    April 15, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    रूस ने यूक्रेन में एक यात्री बस पर रूस ने ड्रोन अटैक कर दिया, बस में हुए धमाके में कम से कम 9 लोगों के मारे जाने की खबर

    May 17, 2025

    मर चुकी मां के गर्भ में पल रहा भ्रूण, 3 महीने बाद लेगा जन्म! दुनिया में छिड़ गई बहस

    May 17, 2025

    PM शरीफ ने माना भारत के ऑपरेशन सिंदूर से नूरखान एयरबेस समेत कई ठिकाने हुए तबाह

    May 17, 2025
    एजुकेशन

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025

    NEET UG 2025 एडमिट कार्ड जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड

    April 30, 2025

    योगी सरकार की फ्री कोचिंग में पढ़कर 13 बच्चों ने पास की UPSC की परीक्षा

    April 22, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.