Gujarat Tapi River : गुजरात भारत का एक बहुत ही खूबसूरत राज्य है और यहां पर कई सारे पर्यटक स्थल मौजूद है जहां लोगों की भीड़ देखने को मिलती है। सूरत यहां का एक प्रसिद्ध शहर है और इस समय यहां पर भारी बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। गुजरात में तापी नदी बहती है जो यहां बहने वाली मुख्य नदियों में से एक है। नर्मदा के अलावा यही एक ऐसी नदी है जो उलटी दिशा में बहती है। तापी नदी को ताप्ती और मुलताई के नाम से भी पहचाना जाता है। भारत की अन्य नदियों की तरह इसका इतिहास भी काफी पुराना है। चलिए आज हम आपको इस नदी के उद्गम स्थल और रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं।
कहां से निकलती है तापी नदी (Where does Tapi River Originate From?)
तापी नदी मध्य प्रदेश के दक्षिण मध्य में गाविलगढ़ की पहाड़ियों से निकलती है। यह महाराष्ट्र में सतपुड़ा रेंज और जलगांव के बीच पश्चिम दिशा में बहती है और फिर गुजरात में सूरत के मैदान की तरफ जाती है।
कैसे पड़ा नदी का नाम (How Did The River Get Its Name?)
तापी नदी की लंबाई 724 किलोमीटर है और यह 30000 वर्ग क्षेत्र में बहती है। पौराणिक कथा के मुताबिक इस नदी का नाम भगवान सूर्य और देवी छाया की पुत्री तापी के शब्द से लिया गया है। पश्चिम भारत की नदी बैतूल से बहती है और सूरत के मैदाने के बाद अंत में अरब सागर में जाकर मिल जाती है।
तापी नदी का महत्व (Importance of Tapi River)
तापी नदी प्राचीन काल से हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण मानी गई है। अन्य नदियों के मुकाबले इस नदी में हाई क्वालिटी के उपजाऊ मिट्टी है जो किसानों को फायदा पहुंचती है और इसका इस्तेमाल सिंचाई के उद्देश्य से किया जाता है।
तापी नदी से जुड़े तथ्य (Facts Related To Tapi River)
तापी नदी मध्य प्रदेश के बुरहानपुर और बैतूल के अलावा गुजरात में सूरज जिले को कर करती है। इस नदी की महिमा की जानकारी स्कंद पुराण में भी देखने को मिलती है। तापी नदी को भगवान शनि की बहन कहा जाता है। इसलिए जो लोग शनि से परेशान होते हैं वह इस नदी में स्नान करते हैं। तापी नदी का इस्तेमाल सूरत में सामानों के निर्यात के लिए बंदरगाह के रूप में किया जाता था।
तापी नदी गलाती है हड्डियां (Tapi River Melts Bones)
धार्मिक मान्यता है की तापी एकमात्र ऐसी नदी है जो हड्डियों को गला देता है। इस नदी की धारा में लोग पिंडदान तर्पण और दीपदान करने के लिए पहुंचते हैं। बताया जाता है कि नारद मुनि ने कोढ़ की बीमारी ठीक करने के लिए ताप्ती नदी का सहारा लिया था। यहां उन्होंने अपनी गलती का पक्ष आपकी है जिसके बाद उन्हें रोग से मुक्ति मिल गई थी। अकाल मृत्यु वाले व्यक्ति की हड्डियां अगर इस नदी में भारी जाए तो उसकी आत्मा को शांति मिल जाती है।