
Historic Indian Markets (Image Credit-Social Media)
Historic Indian Markets
Historic Indian Markets: अनगिनत ऐतिहासिक किस्सों और कहानियों को अपने भीतर समेटे हुए भारतीय संस्कृति की पहचान सिर्फ़ उसके भव्य किले, मंदिरों और महलों से नहीं है, बल्कि यहां के प्राचीन बाजार भी उतने ही खास हैं। इन बाजारों की गलियों में चलते ही ऐसा लगता है मानो समय थम गया हो और वापस उसी दौर में हम खुद को महसूस कर रहे हों। यहां आज भी सदियों पुरानी परंपराए सांस ले रही हैं। यहां सिर्फ़ खरीदारी नहीं होती, बल्कि हर दुकान, हर गली और हर शिल्प में इतिहास और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। जो हमें अतीत से जोड़ने में जादुई माध्यम बनती है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ पुराने और मशहूर भारतीय बाजारों के बारे में जो आज भी स्थानीय लोगों और सैलानियों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं-
डल झील का फ्लोटिंग मार्केट- पानी पर बसा अनोखा बाज़ार
अगर कभी आप कश्मीर जाएं तो डल झील का फ्लोटिंग मार्केट ज़रूर देखिए। यह भारत का इकलौता और दुनिया का गिनती के कुछ तैरते बाजारों में से एक है। यह परंपरा लगभग दो सौ साल पुरानी मानी जाती है।

सुबह-सुबह सूरज की पहली किरणों के साथ जब नावों पर सब्ज़ियां, फूल और फल सजाए जाते हैं, तो पूरा नज़ारा जादुई सा लगता है। पर्यटकों के लिए यह न सिर्फ खरीदारी का मौका होता है बल्कि कश्मीर की असली जीवनशैली और संस्कृति को नज़दीक से महसूस करने का अनुभव भी होता है।
मजनू का टिल्ला- दिल्ली का छोटा तिब्बत
दिल्ली का मजनू का टिल्ला एक ऐसा इलाका है जो इतिहास और संस्कृति से भरपूर है। यह बाजार 19वीं सदी से पहले का माना जाता है। यहां की कहानी एक सूफी संत से जुड़ी है, जिन्हें लोग ‘मजनू’ कहते थे। उनके नाम पर यह जगह ‘मजनू का टिल्ला’ कहलाने लगी। बाद में यहां तिब्बती समुदाय बस गया और इसने इसे एक अलग पहचान दी। यहां आपको तिब्बती झंडे, पेंटिंग, ऊनी कपड़े, ज्वेलरी और स्वादिष्ट तिब्बती व्यंजन मिलेंगे। यही वजह है कि विदेशी सैलानी यहां ज़रूर आते हैं और इसे दिल्ली का ‘लिटिल तिब्बत’ भी कहा जाता है।
जोहरी बाजार- जयपुर की रौनक
गुलाबी पत्थरों की नगरी जयपुर की पहचान सिर्फ हवामहल और अनोखे किलों से नहीं है, बल्कि इसका ऐतिहासिक जोहरी बाजार भी उतना ही खास है। यह बाजार 18वीं सदी में बसाया गया था और आज भी अपनी ऐतिहासिक खूबसूरती को संजोए हुए है।
यहां की गलियों में चलते हुए आपको सोने-चांदी के गहनों से लेकर पारंपरिक राजस्थानी पोशाक, जूतियां और सजावटी सामान तक सब मिलेगा। कहा जाता है कि यहां की कई दुकानों में पीढ़ियों से एक ही परिवार व्यापार कर रहा है। त्योहारों और शादी-ब्याह के समय यह बाजार देखने लायक हो जाता है।
चांदनी चौक- दिल्ली का दिल
दिल्ली की गलियों में बसा चांदनी चौक भारत के सबसे पुराने और भीड़भाड़ वाले बाजारों में से एक है। इसे 17वीं सदी में मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था और उनकी बेटी जहांआरा बेगम ने इसका नाम रखा।

यहां आज भी पुराने जमाने की खुशबू और रौनक महसूस की जा सकती है। मसाले, इत्र, आभूषण, कपड़े और स्ट्रीट फूड सब कुछ यहां मिलेगा। मशहूर पराठे वाली गली से लेकर करीम की बिरयानी तक, यहां के खाने का स्वाद हर किसी को मोह लेता है। चांदनी चौक सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि दिल्ली की जान माना जाता है।
चारमीनार बाजार- हैदराबाद की शान
हैदराबाद के चारमीनार के पास बसा यह बाजार अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर है। यहां की चमचमाती ‘लाख की चूड़ियां’ दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि इस बाजार की नींव करीब 400 साल पहले पड़ी थी और आज भी यह अपनी उसी पारंपरिक पहचान को बनाए हुए है। यहां आपको मशहूर हैदराबादी मोती से बने आभूषण, इत्र, पारंपरिक हैदराबादी पोशाकें और बिरयानी की खुशबू हर तरफ से खींचेगी। त्योहारों के वक्त यहां की चहल-पहल और भी बढ़ जाती है।
इमा मार्केट- महिलाओं से सजा बाजार
मणिपुर की राजधानी इंफाल का इमा मार्केट दुनिया में अपनी तरह का इकलौता बाजार है। इसे ‘मदर्स मार्केट’ कहा जाता है क्योंकि यहां केवल महिलाएं ही दुकानों का संचालन करती हैं। माना जाता है कि यह बाजार 500 साल से भी पुराना है।

कहा जाता है कि जब कभी युद्ध या कठिन समय में पुरुष घर से बाहर गए, तो महिलाओं ने इस बाजार को संभाला और धीरे-धीरे यह परंपरा स्थायी हो गई। आज यहां करीब 3000 दुकानें हैं, जहां आपको हस्तशिल्प, कपड़े, खाने-पीने की चीज़ें और नॉर्थ-ईस्ट की झलक हर कोने में दिखाई देगी। यह बाजार महिलाओं की ताक़त और आत्मनिर्भरता की जीवंत मिसाल है।
भारत के ये पुराने बाजार केवल खरीदारी की जगह नहीं हैं, बल्कि ये देश की सभ्यता और संस्कृति की जीवंत पहचान हैं। इन बाजारों में घूमना ऐसा है जैसे इतिहास की किताब के पन्नों को पलटने जैसा आभास देता है। यही कारण है कि ये सदियों पुराने बाज़ार आज भी उतने ही जीवंत हैं और आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासत से जोड़ने का काम कर रहे हैं।