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    Home » History of Bikaner: बीकानेर, रेगिस्तान के बीच राजस्थान का दिल
    Tourism

    History of Bikaner: बीकानेर, रेगिस्तान के बीच राजस्थान का दिल

    By December 5, 2024No Comments7 Mins Read
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    History of Bikaner

    History of Bikaner: भारत के राजस्थान राज्य में थार रेगिस्तान के बीच स्थित बीकानेर को ‘राजस्थान का दिल’ कहा जाता है। बीकानेर में दुनिया के अच्छे किस्म के ऊंट पाए जाते हैं । इसलिए इसे ‘ऊंटों का देश’ भी कहते हैं। बीकानेर शहर पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है और यहां के थार रेगिस्तान में रेत के बने सुनहरे टीले पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं।

    बीकानेर शहर का नमकीन अपने स्वाद के लिए देश दुनिया में मशहूर है। सन् 1877 के दौरान महाराजा डूंगर के शासनकाल में यहां मशहूर बीकानेर भुजिया बनाना शुरू किया गया था।

    बीकानेर शहर की स्थापना सन् 1488 में हुई थी और राजपूत वंश के राव बीका जी ने इस शहर का विकास करवाया। महाभारत ग्रन्थ में भी इस शहर का जिक्र है, जो उस समय जांगल देश के नाम से प्रचलित था। इस शहर में कई प्राचीन मंदिर,लाल बलुआ पत्थर से बने किले, महल और हड़प्पा संस्कृति के अवशेष देखने को मिल जाएंगे।

    यहां घूमने के लिए कई प्रसिद्ध जगह है जिनमें प्रमुख है

    1 – जूनागढ़ का किला�

    जूनागढ़ के राजा राय सिंह ने सन् 1594 में इस किले का निर्माण कराया था। राजपूत, मुगल और गुजराती स्थापत्य शैली में निर्मित यह भव्य किला एक शानदार संरचना है। यह किला पहले चिंतामणि किला के नाम से मशहूर था । बाद में 20 वीं शताब्दी में इस किले का नाम जूनागढ़ या पुराना किला पड़ गया।

    इस किले के अंदर बने कई महल जैसे करण महल, अनूप महल, चंद्र महल और फूल महल, किले की गैलरी, लॉन, प्रांगण, मंडप और खिड़कियां पर्यटकों को आकर्षित करती नज़र आती है। इस किले से चारों ओर बीकानेर शहर का नज़ारा देख सकते हैं।

    2 – करणी माता मंदिर

    बीकानेर से लगभग 30 किमी दूर करीब 600 साल पुराने मुगल शैली में बने इस करणी माता मंदिर को ‘नारी माता मंदिर’ या ‘चूहा मंदिर’ के नाम से भी लोग जानते हैं।

    देवी दुर्गा का अवतार माने जाने वाली इस करणी माता मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में हजारों की तादाद में काले चूहे रहते हैं जिनकी पूजा की जाती है और इन चूहों द्वारा खाया जाने वाला खाना प्रसाद के रूप में खाया जाता है, जिसे लोग यहां पवित्र मानते हैं। इन पवित्र चूहों के दर्शन करने दुनिया के कई कोने से लोग आते हैं।

    3 – गजनेर पैलेस और वन्यजीव अभयारण्य�

    झील के किनारे स्थित इस लोकप्रिय पैलेस का निर्माण पूर्व शासक महाराजा गंगा सिंह जी ने करवाया था।

    उस दौरान इस पैलेस को शिकार और छुट्टियों में रहने के लिए किया जाता था। इस महल के भीतर स्तंभ, झरोखे और परदे मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं।

    यहां बोटिंग, रेगिस्तानी सफारी जैसे कई मनोरंजक गतिविधियों के अलावा कई प्रकार के खेल जैसे बिलियर्ड्स, लॉन टेनिस, साइकिलिंग का भी आनंद ले सकते हैं। इस हरे भरे वातावरण में पक्षियों को देखने और वन्यजीव सफारी का मज़ा भी पर्यटक ले सकते हैं। सैलानी ऊंट और जीप सफारी से यहां के वन्यजीवों को देख सकते हैं।

    4 – लालगढ़ पैलेस

    लालगढ़ पैलेस का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह के शासन काल में हुआ था। यूरोपीय वास्तुकला शैली में बना यह महल एक हेरिटेज होटल के रूप में परिवर्तित किया जा चुका है। इस महल में एक संग्रहालय भी है जिसे सादुल सिंह संग्रहालय के नाम से जाना जाता है और पर्यटक यहां हड़प्पा संस्कृति और कुषाण और गुप्त युग से संबंधित कलाकृतियों को देख सकते हैं।

    इस संग्रहालय में शाही राज घराने से जुड़ी वस्तुओं, तस्वीरों और कलाकृतियों के प्रदर्शित व्यापक संग्रह को निकट से देख सकते हैं।

    5 – रामपुरिया हवेली

    अपनी हवेलियों के लिए मशहूर बीकानेर शहर में इस हवेली का निर्माण 19वीं सदी में एक रामपुरिया नामक व्यापारी ने कराया था।

    इस हवेली में राजपूत और विक्टोरियन वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है।लाल बलुआ पत्थर से बनी इस हवेली के भीतर आप पुराने ज़माने के जटिल नक्काशी, प्राचीन लकड़ी के दरवाज़े, जालीदार झरोखे, खूबसूरत भित्तिचित्र और सजे हुए बालकनी करीब से देख सकते हैं।

    6 – लक्ष्मी निवास पैलेस

    बीकानेर का लक्ष्मी निवास पैलेस यहां के महाराजा गंगा सिंह का निवास स्थान था जिसके वास्तुकार ब्रिटेन के सर सैमुअल स्विंटन जैकब थे।

    अब यह भव्य महल एक हेरिटेज होटल का रूप ले चुका है जहां पर्यटक महल की स्थापत्य कला की सुंदरता के साथ इसमें बने संग्रहालय में इसके समृद्ध इतिहास के बारे में भी जान सकते हैं।

    7 – कैमल सफारी�

    थार रेगिस्तान के खूबसूरत सुनहरे रेत के टीलों के बीच ऊंट सफारी बीकानेर में पर्यटकों का खास आकर्षण रहता है।

    सैलानी यहां सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान रेत कम गर्म होने से सफारी का लुत्फ़ उठा सकते हैं। इस जगह जाड़ों और गर्मी में तापमान अपने चरम पर रहता है। शाम में राजस्थानी नृत्य संगीत के साथ यहां के भोजन का आनंद भी लिया जा सकता है।

    8 – राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र

    यह संस्थान विभिन्न नस्ल के ऊंटों के अनुसंधान और विकास के लिए मशहूर है।

    ऊंट राजस्थान की संस्कृति और अर्थव्यवस्था से जुड़ा है जिसकी जानकारी पर्यटक यहां ले सकते हैं। इस जगह ऊंटनी के दूध से बने मिल्कशेक, लस्सी, आइस्क्रीम का आनंद भी ले सकते हैं।

    9 – बीकानेर शाही स्मारक

    यह जगह बीकानेर के शाही परिवार के सदस्यों का अंतिम विश्राम स्थल है। यहां अलंकृत मकबरे जो देवी कुंड सागर के नाम से जाने जाते हैं श्रद्धांजलि देने और खास नक्काशी देखने वाले जगहों में से एक है।

    10 – कोटे गेट

    रात में बीकानेर की रौनक माने जाने वाले जगहों में कोटे गेट का खास महत्व है।

    यह जगह पुराने शहर का प्रवेश द्वार है और इसके आसपास बाज़ार से पर्यटक स्थानीय कारीगरों के बने समानों के दुकान से खरीदारी कर और लोकल खान पान का आनंद ले सकते हैं।

    11 – भंडासर जैन मंदिर

    15वीं शताब्दी में बना यह जैन मंदिर 5वें जैन तीर्थंकर सुमतिनाथ को समर्पित है।

    इस मंदिर के भीतर की जटिल नक्काशी, भित्तिचित्र और कांच का कार्य पर्यटकों को आश्चर्यचकित कर देता है।

    12 – शिव बाड़ी मंदिर

    भगवान शिव को समर्पित इस शिव बाड़ी मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में किया गया था।

    यहां भक्तों को शांत वातावरण के साथ उत्कृष्ट वास्तुकला का नमूना भी देखने को मिलता है।

    13 – रतन बिहारी मंदिर�

    भगवान कृष्ण को समर्पित बीकानेर का यह रतन बिहारी मंदिर पर्यटकों को शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

    इस मंदिर के भीतर सुंदर भित्तिचित्रों और जटिल नक्काशी देखने का अवसर मिलता है।

    14 – सूरसागर झील :

    यह मानव निर्मित झील पर्यटकों के लिए पिकनिक के साथ पक्षी दर्शन, नौका विहार और सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए पसंदीदा जगह है।

    सर्दियों के मौसम में यहां भारी तादाद में प्रवासी पक्षी आते हैं जिसे देखने दूर दूर से लोग आते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए रेगिस्तान के बीच यह एक खास जगह है।

    15 – रॉयल बीकानेर गोल्फ कोर्स�

    बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा बनवाया गया 18-होल वाला यह गोल्फ कोर्स आम जनता के घूमने के लिए खोला गया है। इस शाही गोल्फ कोर्स में आस-पास के खूबसूरत नज़ारे का मज़ा लिया जा सकता है।

    कैसे पहुंचें ?

    हवाई मार्ग से बीकानेर पहुंचने के लिए जोधपुर हवाई अड्डा सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। यहां से बीकानेर लगभग 251 किमी की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से बस या टैक्सी से आप यहां पहुंच सकते हैं।

    रेल मार्ग से बीकानेर जंक्शन और लालगढ़ रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। इनके बीच की दूरी लगभग 6 किमी है। यह दोनों स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं ।

    सड़क मार्ग से बीकानेर पहुंचने के लिए भारत के प्रमुख बड़े नगरों जैसे दिल्ली, आगरा, जोधपुर, अजमेर, अहमदाबाद, जयपुर, कोटा, उदयपुर आदि से प्रतिदिन बस सेवा है उसके माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं। टैक्सी या अपने निजी साधन से भी बीकानेर पहुंचा जा सकता है।

    बीकानेर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का होता है। गर्मियों में ज्यादा गर्म होने से यहां का आनंद नहीं लिया जा सकता। सर्दियों के इस मौसम में इसका आनंद लेना न भूलें।

    ( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)

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