History Of�Ramkund�Banswara: हमारी धरती पर रामायण काल से जुड़े अनगिनत ऐसे प्रमाण विद्यमान हैं जिनका अस्तित्व आज भी हम सबके बीच मौजूद है। जिसमें से एक ऐसा ही प्रमाण राजस्थान स्थित बांसवाड़ा में देखने को मिलता है। आइए जानते हैं भगवान राम से जुड़ी बांसवाड़ा में मौजूद ऐसी ही एक अद्भुत और रहस्यमयी गुफा के बारे में।भगवान राम से जुड़े होने कि वजह से ही इस गुफा में स्थित तालाब को ’राम कुंड’ नाम से जाना जाता है।
राम कुंड को लेकर लोकप्रिय है यह मान्यता
बांसवाड़ा को भगवान राम से जुड़े एक पौराणिक किस्से के लिए भी जाना जाता है। बताया जाता है कि रामायण काल में अपने वनवास के दौरान भगवान राम चौदह साल के वनवास के दौरान माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ बांसवाड़ा पधारे थे और उसी दौरान यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसके बाद वे पहाड़ी के नीचे स्थित इस गुफा में पहुंचे, जहां नीचे एक ताज़ा पानी का कुंड भी था। जहां प्यास बुझाने के लिए भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने इस गुफा में प्रवेश किया और पानी पीकर कुछ समय इसी शांति भरी गुफा में बिताया।
आज भी इस कथानक के अनुसार रामकुंड पहुंचने के बाद सीढ़ियां उतरने पर गुफा में यह शिवलिंग दिखाई पड़ता है। जिसकी नियमित पूजा-अर्चना की परंपरा अनगिनत वर्षों से होती चली आ रही है। इस दिव्य शिवलिंग के सामने भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा के भी दर्शन होते हैं। इस स्थान को लेकर यह भी मान्यता है कि वनवास के दौरान यहां से गुजरते समय माता सीता को प्यास लगी। चारों ओर पहाड़ी क्षेत्र और जंगल था।
आसपास पानी की एक बूंद भी मौजूद नहीं थी। तब भगवान राम ने प्यास बुझाने के लिए तीर चलाया, इससे पहाड़ का एक हिस्सा कट गया और पानी की धारा फूटने के साथ ही नीचे की ओर कुंड बन गया, जिसे रामकुंड कहा जाता है। जहां आज भी पहाड़ की चट्टानों से पानी टपकता है, जो धारा के रूप में परिवर्तित होकर कुंड के भीतर चला जाता है। इसी जल से कुंड में पानी भरता है। बरसात के दिनों में यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। आज भी आप अब इस गुफा के दर्शन करेंगे तो एक अलग ही सुकून और शांति का अनुभव करेंगे।
अपनी कई अनबुझी खूबियों के नाते बेहद चर्चित है यह गुफा
राजस्थान के बांसवाड़ा स्थित राम कुंड गुफा अपने धार्मिक महत्व के साथ ही साथ कई अनबूझी खूबियों के नाते भी लोगों के बीच बेहद चर्चित मानी जाती है।
चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी इतनी गहरी गुफा के अंदर मौजूद ये प्राकृतिक ताज़े मीठे पानी से लबालब भरा रहने वाला तालाब हर मौसम में बर्फ के सामान ठंडा ही मिलता है। मई और जून जैसे भीषण गर्मी के मौसम में भी इस कुंड का पानी एकदम साफ़ और शुद्ध रहने के साथ छूने पर बिल्कुल बर्फ के समान शीतल महसूस होता है।
गुफा में जाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
राम कुंड एक गहरी गुफा में है, इस गुफा के भीतर काफी अँधेरा रहता है । इसलिए साथ में रौशनी के लिए टॉर्च आदि ले जाना जरूरी रहता है। इसके साथ ही इस गुफा का तापमान काफी ठंडा भी रहता है। आप इसके भीतर जाने से पहले इस तरह के कपड़े पहने ताकि आपको अत्यधिक ठंड से दिक्कत न महसूस हो। इसके अलावा तेज़ बारिश के समय इस गुफा में जाने से बचना चाहिए क्योंकि गुफा में कई बार जल भराव के साथ ही तेज़ बारिश के समय पत्थर गिरने की भी घटनाएं प्रायः होती देखी गईं हैं।
एक गहरी गुफा में स्थित राम कुंड ऊपरी जमीन से करीब 400 मीटर की दूरी पर स्थित है, इसलिए आपको 400 मीटर की यह दूरी चलकर ही तय करनी पड़ेगी। अधिकतर रास्ते में सीढियाँ भी आपको मिल जायेंगी। साथ ही कुछ जगह कच्चा रास्ता भी बना हुआ है। राम कुंड मार्ग पर पहले एक शिवजी का मंदिर भी मौजूद है। जहाँ दर्शन करने के उपरांत ही पर्यटन राम कुंड की ओर बढ़ते हैं।