
History Of Varkala
History Of Varkala
History Of Varkala: भारत की भूमि अनेक ऐतिहासिक स्थानों की गवाह है । यही कारण है कि भारत के कई स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। हाल ही में भारत के 7 नए स्थलों को यूनेस्को की संभावित सूची (Tentative List) में जगह मिली है। इनमें से एक नाम है केरल का वरकला। वरकला अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर के कारण खास माना जाता है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची और संभावित सूची
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल बनने की प्रक्रिया लंबी होती है। सबसे पहले किसी जगह को संभावित सूची (Tentative List) में डाला जाता है। इसके बाद ही वह जगह आगे नामांकन और मूल्यांकन के लिए चुनी जाती है। वरकला को भी हाल ही में (सितंबर 2025) इस सूची में शामिल किया गया है। वरकला की खासियत इसकी लाल लैटराइट चट्टानें, अनोखी समुद्री संरचना और सांस्कृतिक महत्व है। अब आगे विशेषज्ञ इसकी जाँच करेंगे और अगर सब कुछ ठीक रहा, तो वरकला को आने वाले समय में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिल सकता है।
वरकला का भौगोलिक परिचय

वरकला, केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित एक छोटा लेकिन बहुत सुंदर तटीय नगर है। यह अरब सागर के किनारे बसा है और अपनी खास चट्टानों के लिए मशहूर है। यहाँ के समुद्र तटों का सबसे अनोखा पहलू है कि यह भारत का एकमात्र समुद्र तट है जहाँ समुद्र किनारे ऊँची चट्टानें (Cliffs) पाई जाती हैं।यह अपनी ऊँची लाल चट्टानों (लगभग 80 फीट) और अनोखी समुद्री संरचना के लिए मशहूर है। इन चट्टानों को भूगर्भशास्त्री ‘वरकला फॉर्मेशन’ कहते हैं। वरकला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है, जहाँ स्वच्छ समुद्र, प्राकृतिक सुंदरता और मनमोहक सूर्यास्त लोगों को आकर्षित करते हैं। यहाँ का पापनाशम समुद्र तट धार्मिक रूप से खास माना जाता है, क्योंकि माना जाता है कि यहाँ स्नान करने से पाप मिट जाते हैं।इसके अलावा, यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, जनार्दनस्वामी मंदिर और औषधीय झरने भी इसे खास पहचान देते हैं।
वरकला का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
वरकला को प्राचीन समय से ही ‘बलि तीर्थ’ कहा जाता है। मान्यता है कि यहाँ भगवान विष्णु ने अपने भक्त राजा बलि को मोक्ष दिया था। इसी वजह से यह जगह धार्मिक रूप से बहुत पवित्र मानी जाती है। वरकला का जनार्दनस्वामी मंदिर, जो भगवान विष्णु को समर्पित है, श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण है। मंदिर के पास स्थित पापनाशम समुद्र तट भी खास माना जाता है जहाँ लोग पितृ-कार्य (श्राद्ध) और मोक्ष की कामना के लिए स्नान करते हैं।
वरकला के ऐतिहासिक स्थल

पापनासम बीच (Papanasam Beach) – पापनासम बीच धार्मिक महत्व के लिए मशहूर है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से पाप मिट जाते हैं। इसलिए इसे ‘पापनासम’ कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘पापों का नाश’।हर साल देश-विदेश से लोग यहाँ पितृ-कार्य, तर्पण और पिंडदान करने आते हैं।
जनार्दनस्वामी मंदिर – यह मंदिर बहुत प्राचीन है और लगभग 2000 साल पुराना माना जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और अपनी पारंपरिक केरल शैली की वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इसे ‘दक्षिण का काशी’ भी कहा जाता है और यहाँ श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।
शिवगिरि मठ – शिवगिरि मठ संत श्री नारायण गुरु से जुड़ा है, जो समाज सुधार और शिक्षा के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। यह मठ दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक केंद्र माना जाता है और यहाँ हर साल बड़ी संख्या में लोग दर्शन और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए आते हैं।
औषधीय जल स्रोत – वरकला की चट्टानों और समुद्र तट के पास प्राकृतिक झरने हैं। कहा जाता है कि इनका पानी औषधीय गुणों से भरा है और यह कई त्वचा रोगों में लाभकारी होता है।
वरकला की प्राकृतिक सुंदरता

वरकला बीच – वरकला की सबसे बड़ी पहचान इसकी ऊँची-नीची लाल चट्टानें हैं, जिन्हें ‘वरकला क्लिफ’ कहा जाता है। ये चट्टानें सीधे अरब सागर के किनारे बनी हैं और भूवैज्ञानिक इन्हें ‘वरकला संरचना’ कहते हैं। माना जाता है कि इनकी उम्र लगभग 20–25 लाख साल पुरानी है। ‘Geological Survey of India’ ने इन्हें राष्ट्रीय भू-धरोहर घोषित किया है। वरकला बीच भी अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है, जहाँ नारियल के पेड़, सुनहरी रेत और नीला अरब सागर एक अद्भुत नजारा पेश करते हैं। यही वजह है कि यह जगह प्राकृतिक सुंदरता और शांति पसंद करने वालों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है।
झरने और झीलें – वरकला में कई सुंदर प्राकृतिक झरने और खारे पानी की झीलें (Backwaters) हैं। ये न सिर्फ सैलानियों को आकर्षित करती हैं बल्कि स्थानीय पर्यावरण और जीवन का भी महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
सूर्यास्त और सूर्योदय – वरकला बीच का सूर्यास्त बेहद खूबसूरत होता है। शाम के समय जब सूरज ढलता है तो नारंगी आकाश और लहरों का मिलन एक मनमोहक नजारा पेश करता है। यही कारण है कि दुनिया भर से लोग यहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त देखने आते हैं।
वरकला का धार्मिक महत्व
वरकला का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। यहाँ पिंडदान और तर्पण की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है इसलिए इसे ‘दक्षिण भारत का गया’ भी कहा जाता है। पापनासम बीच पर लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं और विश्वास है कि यहाँ स्नान करने से पापों का नाश होता है। वरकला को कई बार ‘दक्षिण काशी’ या ‘दक्षिण का गया’ भी कहा जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान नारद ने यहाँ तपस्या की थी और उनके द्वारा डाली गई वृक्ष की छाल (वल्कल) यहाँ गिरी जिससे इस जगह का नाम ‘वरकला’ पड़ा। यही वजह है कि यह स्थल धार्मिक दृष्टि से विशेष माना जाता है।
संरक्षण की चुनौतियाँ
वरकला को सुरक्षित रखना आज एक बड़ी चुनौती बन गया है। यहाँ हर साल बढ़ता पर्यटन इसकी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण पर दबाव डाल रहा है। वरकला क्लिफ की चट्टानें धीरे-धीरे समुद्र के पानी से कट रही हैं जिसे ‘कोस्टल इरोजन’ कहा जाता है। यह वरकला की खास पहचान के लिए खतरा है। साथ ही समुद्री प्रदूषण, प्लास्टिक कचरा और अवैध निर्माण भी बड़ी समस्या बन गए हैं। धार्मिक पर्यटन के कारण यहाँ भारी भीड़ इकट्ठा होती है जिससे समुद्री जीव-जंतुओं, पौधों और स्थानीय पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है।
वरकला तक पहुँचने के मार्ग

हवाई मार्ग – वरकला जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (TRV) है। यह वरकला से करीब 40 किलोमीटर दूर है और यहाँ से टैक्सी या बस के जरिए आसानी से पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग – वरकला का अपना रेलवे स्टेशन है जिसे वरकला शिवगिरी रेलवे स्टेशन कहा जाता है। यह स्टेशन तिरुवनंतपुरम और कोल्लम से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है जिससे ट्रेन से यहाँ पहुँचना बहुत आसान हो जाता है।
सड़क मार्ग – केरल की सड़कें अच्छी और सुविधाजनक हैं। बस, टैक्सी या निजी वाहन से वरकला पहुँचना सरल है। सड़क मार्ग से यहाँ की यात्रा आरामदायक और सुखद अनुभव देती है।