
Jaisalmer Fort History and Tour Guide
Jaisalmer Fort History and Tour Guide
Jaisalmer Fort History and Tour Guide: थार रेगिस्तान की सुनहरी रेत के बीच त्रिकुटा पहाड़ी पर खड़ा जैसलमेर किला एक ऐसी धरोहर है, जो भारत के इतिहास और संस्कृति की गाथा कहता है। इसे सोनार किला भी कहते हैं, क्योंकि सूरज की रोशनी में इसके पीले बलुआ पत्थर सोने की तरह चमकते हैं। 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत शासक रावल जैसल ने इस किले का निर्माण करवाया था और तब से यह राजस्थान की शान बना हुआ है। यह भारत का एकमात्र जीवंत किला है, जहाँ आज भी लोग रहते हैं, दुकानें चलती हैं और जीवन की रौनक बरकरार है।
यह किला न केवल अपनी भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक गाथाओं के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके साथ जुड़ी रहस्यमयी कहानियाँ भी इसे खास बनाती हैं। इनमें सबसे मशहूर है गुप्त खजाने की कथा, जो सदियों से लोगों के बीच जिज्ञासा और रोमांच का विषय बनी हुई है। आइए, इस किले के इतिहास, वास्तुकला, संस्कृति और उस रहस्यमयी खजाने की कहानी को करीब से जानें।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

जैसलमेर किला सिल्क रूट पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, जो भारत को मध्य एशिया, फारस और यूरोप से जोड़ता था। 12वीं शताब्दी में रावल जैसल ने इस किले को बनवाया, जो भाटी राजपूतों का गढ़ बना। किले ने कई युद्धों और शाही गाथाओं को देखा। 1299 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस पर हमला किया, जिसके दौरान भाटी राजपूतों ने जौहर किया। इस दुखद घटना में महिलाओं ने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए आत्मदाह किया और पुरुष युद्ध में शहीद हो गए।
16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर के साथ भाटी राजाओं ने संधि की, जिससे किले में शांति और समृद्धि का दौर आया। इस समय कई भव्य हवेलियाँ और जैन मंदिर बने। 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान भी भाटी राजाओं ने किले पर नियंत्रण बनाए रखा। 1974 में सत्यजीत रे की फिल्म सोनार किला ने इसे विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। आज यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
वास्तुकला की अनूठी शैली
जैसलमेर किला अपनी वास्तुकला के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह किला पीले बलुआ पत्थर से बना है, जो सूर्यास्त के समय सुनहरी चमक देता है। किला 1500 फीट लंबा और 750 फीट चौड़ा है, जो त्रिकुटा पहाड़ी पर 250 फीट की ऊँचाई पर बना है। इसकी तीन परतों वाली मजबूत दीवारें और 99 बुर्ज इसे दुश्मनों से सुरक्षित रखते थे। किले में चार मुख्य द्वार हैं – गणेश पोल, अक्षय पोल, सूरज पोल और हवा पोल। ये दर्जिलद्वार नक्काशीदार मेहराबों और जटिल डिजाइनों से सजे हैं, जो राजपूताना शैली की भव्यता को दर्शाते हैं।

किले के भीतर सात जैन मंदिर हैं, जो 12वीं से 15वीं शताब्दी के बीच बने। ये मंदिर दिलवाड़ा शैली की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना हैं। इनमें ऋषभदेव, शंभवदेव और पार्श्वनाथ जैसे तीर्थंकरों की मूर्तियाँ हैं। मंदिरों की दीवारों पर बारीक नक्काशी देखने लायक है। इसके अलावा, किले में हरराज का मालिया, रंग महल, मोती महल और गज विलास जैसे शाही महल हैं। ये महल राजपूतों के वैभव और शाही जीवनशैली की झलक देते हैं।
किले की संकरी गलियाँ, नक्काशीदार झरोखे और हवेलियाँ इसे एक जीवंत शहर का रूप देते हैं। पटवों की हवेली, नाथमल की हवेली और सलीम सिंह की हवेली अपनी जटिल नक्काशी और अनूठे डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं। किले का हर कोना इतिहास और कला का संगम है, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
रहस्यमयी खजाने की कहानी
जैसलमेर किले की सबसे रोमांचक कहानी है इसके गुप्त खजाने की। कथाओं के अनुसार, 14वीं शताब्दी में भाटी राजा रावल विजय सिंह ने सिल्क रूट के व्यापार और युद्धों से प्राप्त अकूत धन को किले के एक गुप्त तहखाने में छिपाया था। इस खजाने में सोने के सिक्के, चाँदी के आभूषण, हीरे और माणिक शामिल थे। खजाने का स्थान इतना गुप्त था कि केवल राजा और उनके सबसे विश्वासपात्र सलाहकार को इसका पता था।
1299 में अलाउद्दीन खिलजी के हमले के दौरान खजाने को और सुरक्षित करने के लिए एक गुप्त सुरंग बनाई गई, जो किले से रेगिस्तान के किसी अनजान हिस्से तक जाती थी। इस सुरंग का प्रवेश द्वार इतनी चतुराई से बनाया गया था कि यह आम नजरों से छिपा रहता था। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, खजाने की रक्षा के लिए एक तांत्रिक ने तहखाने पर एक शक्तिशाली मंत्र डाला था। इस मंत्र का प्रभाव इतना प्रबल था कि कोई भी बाहरी व्यक्ति खजाने तक पहुँचने की कोशिश करता, तो उसे भयानक परिणाम भुगतने पड़ते।

कहा जाता है कि कई खजाने की खोज में गए लोग रहस्यमयी ढंग से गायब हो गए। कुछ लोग पागलपन का शिकार हो गए, तो कुछ ने अजीब सी आवाजें और चमकती रोशनी देखने की बात कही। 19वीं शताब्दी में एक अंग्रेज अधिकारी ने खजाने की खोज की कोशिश की थी। उसने किले की दीवारों को खोदा और सुरंग का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन एक रात वह अचानक गायब हो गया। उसका सामान किले की गलियों में बिखरा मिला, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। तब से लोग मानते हैं कि खजाना एक श्राप से सुरक्षित है।
20वीं शताब्दी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने किले के संरक्षण के दौरान कुछ गुप्त कक्षों की खोज की, लेकिन खजाना नहीं मिला। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि यह खजाना केवल एक किंवदंती है, लेकिन स्थानीय लोग और कुछ इतिहास प्रेमी आज भी विश्वास करते हैं कि यह कहीं किले की गहराइयों में या रेगिस्तान की रेत में छिपा है। कुछ साल पहले एक स्थानीय गाइड ने दावा किया कि उसने रात में किले की एक गली में रहस्यमयी रोशनी देखी, जो तहखाने की ओर जाती थी। उसने रात में अजीब सी फुसफुसाहटें भी सुनीं। इन कहानियों ने खजाने के रहस्य को और गहरा कर दिया।
सांस्कृतिक और पर्यटन महत्व
जैसलमेर किला पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। यह सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। पैलेस संग्रहालय का प्रवेश शुल्क 50 रुपये है, लेकिन किले में प्रवेश निःशुल्क है। फरवरी में आयोजित डेजर्ट फेस्टिवल यहाँ का प्रमुख आकर्षण है, जिसमें ऊँट दौड़, लोक नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। किले के भीतर दुकानें, होटल और रेस्तराँ हैं, जहाँ पर्यटक राजस्थानी व्यंजनों जैसे दाल-बाफला, केर-सांगरी और लाल मास का स्वाद ले सकते हैं।
किले के भीतर की हवेलियाँ और जैन मंदिर पर्यटकों को राजस्थान की समृद्ध संस्कृति से जोड़ते हैं। खजाने की कहानी पर्यटकों में रोमांच भर देती है। कई लोग किले की गलियों में भटकते हैं, यह सोचकर कि शायद उन्हें कोई सुराग मिल जाए। स्थानीय गाइड इस कहानी को इतने रोचक ढंग से सुनाते हैं कि पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। किले के निवासी भी इस कहानी को सच मानते हैं और रात में किले की शांति को रहस्यमयी बताते हैं।
आसपास के दर्शनीय स्थल
जैसलमेर किला घूमने के साथ-साथ आसपास के कई स्थान आपकी यात्रा को और रोमांचक बनाते हैं:
पटवों की हवेली: नक्काशीदार झरोखों और जटिल डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध।
कुलधरा गाँव: 18 किलोमीटर दूर एक परित्यक्त गाँव, जिसे भूतिया माना जाता है।
सैम सैंड ड्यून्स: 42 किलोमीटर दूर रेगिस्तानी सफारी और सूर्यास्त के लिए आदर्श।
बड़ा बाग: शाही छतरियों और मकबरों वाला उद्यान।
लौद्रवा जैन मंदिर: प्राचीन जैन मंदिर, जो तीर्थंकरों को समर्पित है।
घूमने का सबसे अच्छा समय

जैसलमेर घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियाँ (अक्टूबर से मार्च) हैं, जब तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। गर्मियाँ गर्म और असहज हो सकती हैं, क्योंकि तापमान 40 डिग्री से अधिक हो जाता है। मानसून में बारिश कम होती है, लेकिन किले की दीवारों को नुकसान का खतरा रहता है।
कैसे पहुँचें
जैसलमेर सड़क, रेल और वायु मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर में है, जो 285 किलोमीटर दूर है। जैसलमेर रेलवे स्टेशन दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से ट्रेनों द्वारा जुड़ा है। सड़क मार्ग से जयपुर, जोधपुर और बीकानेर से बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं। किले तक शहर से पैदल या ऑटो-रिक्शा से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
किले की वर्तमान स्थिति
हाल के वर्षों में भारी बारिश के कारण किले की कुछ दीवारें क्षतिग्रस्त हुई हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और स्थानीय प्रशासन इसके संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। पर्यटकों से अनुरोध है कि वे किले की संरचना का सम्मान करें और नियमों का पालन करें। किले का जीवंत होना इसे और खास बनाता है, क्योंकि यहाँ के लोग, दुकानें और घर इसे एक जीवंत शहर का रूप देते हैं।
किले की अनूठी विशेषताएँ
जैसलमेर किला कई कारणों से अनूठा है:
जीवंत किला: यह भारत का एकमात्र किला है, जहाँ लोग आज भी रहते हैं।
सुनहरी चमक: पीले बलुआ पत्थर सूर्यास्त में सोने की तरह चमकते हैं।
जैन मंदिर: 12वीं से 15वीं शताब्दी के मंदिर वास्तुकला का शानदार नमूना हैं।
रहस्यमयी कहानी: गुप्त खजाने की कथा किले को रोमांचक बनाती है।
सांस्कृतिक वैभव: डेजर्ट फेस्टिवल और हवेलियाँ राजस्थानी संस्कृति को जीवंत करती हैं।
यात्रा के लिए सुझाव
- किले की संकरी गलियों में घूमने के लिए आरामदायक जूते पहनें।
- सूर्यास्त के समय किला देखें, जब यह सुनहरी चमक के साथ और रहस्यमयी लगता है।
- स्थानीय गाइड की मदद लें, जो किले की कहानियों को रोचक ढंग से सुनाएगा।
- राजस्थानी व्यंजन जैसे गट्टे की सब्जी और लाल मास का स्वाद लें।
- किले की दुकानों से हस्तशिल्प, आभूषण और रंगीन कपड़े खरीदें।
- रात में किले की सैर से बचें, क्योंकि गलियाँ अंधेरे में असुरक्षित हो सकती हैं।
जैसलमेर किला केवल एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं है, बल्कि एक जीवंत शहर है, जो इतिहास, संस्कृति और रहस्य का संगम है। इसकी सुनहरी दीवारें, जैन मंदिर, हवेलियाँ और गुप्त खजाने की कहानी इसे अनूठा बनाती हैं। यह किला राजस्थान की शान और भारत की धरोहर का प्रतीक है। चाहे आप इतिहास प्रेमी हों, संस्कृति के शौकीन हों या रोमांच की तलाश में हों, जैसलमेर किला आपको निराश नहीं करेगा। अपनी अगली यात्रा में इस सुनहरे किले की सैर करें और इसके इतिहास व रहस्यों को करीब से जानें। कौन जानता है, शायद आपको उस गुप्त खजाने का कोई सुराग मिल जाए।