Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • नर्मदा की गोद में बसा ओंकारेश्वर एक चमत्कार – जानिए ये धाम इतना पवित्र क्यों है?
    • बागेश्वर : उत्तराखंड का आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक संगम
    • चमोली जिला — देवभूमि का हृदय और प्राकृतिक वैभव का खजाना
    • Pithoragarh Mein Ghoomne ki Jagah: पिथौरागढ़ — हिमालय की गोद में बसा ‘लघु कश्मीर’
    • Unnao Mein Ghoomne Ki Jagah: गंगा–घाटों की आस्था, शहीद चंद्रशेखर आज़ाद पक्षी विहार और चमड़ा–जरदोज़ी उद्योग से जुड़ा आधुनिक पर्यटन
    • सर्दियों में Kolkata: घूमने की जगहें, खूबसूरती और स्ट्रीट फूड गाइड
    • जहां एक ही परिसर में होती है पूजा और नमाज़ – भोजशाला का इतिहास फिर क्यों आया चर्चा में
    • पीलीभीत : बांसुरी नगरी, टाइगर रिज़र्व और सरयू–शारदा तट से जुड़ा धार्मिक–पर्यावरणीय पर्यटन जनपद
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Jalaun Tourism : पंचनद संगम, बुंदेली लोक–संस्कृति और हस्तकला–कृषि से जुड़ा उभरता पर्यटन जनपद
    Tourism

    Jalaun Tourism : पंचनद संगम, बुंदेली लोक–संस्कृति और हस्तकला–कृषि से जुड़ा उभरता पर्यटन जनपद

    Janta YojanaBy Janta YojanaDecember 3, 2025No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Jalaun Tourism (Image Credit-Social Media)

    Jalaun Tourism

    Jalaun Tourism: जालौन ज़िले का मुख्यालय उरई है। ऐसा कहा जाता है कि ज़िले का वर्तमान नाम ऋषि जलवान / जलौऩ ऋषि के नाम पर पड़ा, जबकि प्राचीन–मध्यकालीन संदर्भों में यह क्षेत्र बुंदेलखंड, चंदेल–मराठा और ब्रिटिश शासन के महत्त्वपूर्ण ठिकाने के रूप में वर्णित मिलता है। यहाँ बुंदेली, ब्रज और कन्नौजी बोलियों का सुन्दर संगम दिखाई देता है, जो इसकी सांस्कृतिक पहचान को विशिष्ट बनाता है।

    यह जिला पाँच नदियों के संगम के कारण प्रसिद्ध है और इसे ‘पचनद’ के नाम से जाना जाता है। यमुना, चम्बल, सिंध, पहुज और क्वारी नदियों के मिलन–क्षेत्र ने जालौन को प्राचीन काल से ही व्यापार, संपर्क और तीर्थ–परंपरा का महत्त्वपूर्ण केंद्र बनाया है। शाम ढलने के साथ इन नदियों के तटों पर उभरता दृश्य, खासकर पचनद क्षेत्र में, आज भी प्रकृति–प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए अनूठा आकर्षण है।

    ऐतिहासिक रूप से जालौन मराठा–बुंदेला संघर्ष, ब्रिटिश–मराठा युद्धों और 1857 के विद्रोह की गतिविधियों से भी जुड़ा रहा है। कालपी, रामपुरा और जगमनपुर जैसे क्षेत्र कभी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण किलेबंद रियासतें थीं, जिनके अवशेष आज भी स्थानीय इतिहास की गवाही देते हैं।

    लोक–संस्कृति की दृष्टि से यहाँ बुंदेली लोक–गीतों और लोक–नृत्यों की परंपरा अत्यंत समृद्ध है। मौसमी लोक–गीत जैसे – वसंत ऋतु में होरी या फाग, बरसात के मौसम में मल्हार और कजरी का खूब प्रचलन है। गाँवों–कस्बों में आज भी अखाड़ा–संस्कृति, रामलीला, चौपाल–कथाएँ और पारंपरिक लोक–वाद्य (ढोलक, नगाड़ा, आल्हा–गायन) जालौन की सामूहिक स्मृति को जीवित रखते हैं।

    उरई के रसगुल्ले, कल्पी तहसील की हस्तकला और गुझिया तथा ‘गवद्दो का हलवा’ प्रसिद्ध है। कल्पी परंपरागत रूप से कागज़–उद्योग, लकड़ी–काष्ठ–शिल्प और सूक्ष्म–लघु उद्योगों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है; आज भी यहाँ कागज़, स्टेशनरी, अगरबत्ती–निर्माण और अन्य कुटीर–उद्योग स्थानीय अर्थव्यवस्था को आधार देते हैं।

    उरई में रामकुंड पार्क पर्यटन के लिहाज से काफ़ी महत्वपूर्ण है। इसे अब ‘झाँसी की रानी पार्क’ की तर्ज पर विकसित करने, हरित–पथ, ओपन–जिम, प्रकाश–व्यवस्था और सांध्य–वॉक जैसी सुविधाओं से सुसज्जित करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि यह नगर–पर्यटन और पारिवारिक अवकाश के लिए आकर्षक स्थान बन सके।

    जालौन जिले में कृषि अभी भी आजीविका का प्रमुख आधार है – गेहूँ, चना, सरसों, दालें और तिलहन के साथ–साथ सब्ज़ी–फसलों की खेती व्यापक रूप से होती है। बुंदेलखंड पैकेज और विभिन्न सिंचाई–परियोजनाओं के तहत नहर–जाल, तालाबों के पुनर्जीवन और माइक्रो–इरिगेशन जैसी योजनाएँ यहाँ के ग्रामीण–अर्थतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रही हैं। बुंदेली चट्टानी भू–भाग, नदियों के किनारे बसे गाँव और ऐतिहासिक कस्बे मिलकर जालौन को एक संभावित ‘रूरल + हेरिटेज टूरिज्म’ ज़ोन के रूप में स्थापित कर रहे हैं।

    पर्यटक स्थल

    रामपुरा किला

    – बुंदेला शासन और बाद के सामंत–काल की स्मृतियाँ समेटे यह प्राचीन किला कभी क्षेत्रीय सत्ता, युद्ध–रणनीति और प्रशासन का मजबूत केंद्र रहा। किले की प्राचीन दीवारें, बुर्ज और दरवाज़े आज भी इतिहास–प्रेमियों को आकर्षित करते हैं।

     जगमनपुर किला 

    – सिंध नदी के किनारे स्थित यह किला प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक–सामरिक महत्व दोनों को समेटे है। किले से आसपास की हरियाली और नदी–दृश्य का मनोहारी पैनोरमिक दृश्य दिखाई देता है।

    शारदा माता मंदिर धाम

    – क्षेत्र का प्रमुख शक्ति–पीठ, जहाँ नवरात्र, चैत्र–अष्टमी और विशेष तिथियों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं। मंदिर परिसर के मेले, भजन–कीर्तन और ग्रामीण–हाट जालौन की पारंपरिक संस्कृति से सीधे परिचय का अवसर देते हैं।

    कल्पी

    – यमुना तट पर बसा यह कस्बा इतिहास, लोक–कला और औद्योगिक परंपरा का संगम है। माना जाता है कि यह महर्षि वेदव्यास और अन्य ऋषियों की तप–स्थली रहा; ब्रिटिश काल में यह गंगा–यमुना दुआब के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में गिना जाता था। आज भी यहाँ के घाट, पुराने मंदिर, मस्जिदें और हाट–बाज़ार स्थानीय जीवन की धड़कन हैं।

    लंका मीनार

    – कल्पी में स्थित यह अनोखी मीनार रामायण की लंकिनगरी से प्रेरित स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है। इसकी बाहरी दीवारों पर रामायण–कथाओं से जुड़े दृश्य उकेरे गए हैं, जो इसे धार्मिक–सांस्कृतिक पर्यटन का अनूठा केंद्र बनाते हैं।

    वेद व्यास मंदिर

    – स्थानीय मान्यता के अनुसार यह मंदिर महर्षि वेदव्यास और उनकी साहित्य–साधना से जुड़ी स्मृतियों का प्रतिनिधित्व करता है। शांत वातावरण, नदी–निकटता और आस्था–परंपराएँ इसे ध्यान–साधना और आध्यात्मिक चिंतन के लिए प्रिय स्थल बनाती हैं।

     पचनद

    – पाँच नदियों के संगम के कारण इस क्षेत्र को ‘पचनद’ कहा जाता है। यहाँ यमुना, चम्बल, सिंध, पहुज और क्वारी नदियाँ मिलकर एक विशाल जल–परिदृश्य बनाती हैं। सर्दियों में पक्षियों की आवाजाही, नाव–विहार की संभावनाएँ और नदी–तट पर उभरती ग्रामीण–जीवन की झाँकी इसे इको–टूरिज़्म और फोटोग्राफी के लिए विशेष आकर्षण बनाती हैं।

     चौरासी गुंबद 

    – यह पुरातात्विक–धरोहर–सम्पन्न स्थल अपने विशिष्ट गुम्बद–आकृति वाले मकबरों और मध्यकालीन स्थापत्य–कला के नमूनों के लिए जाना जाता है। इतिहास–रुचि रखने वाले यात्रियों के लिए यह स्थान स्थानीय सुल्तानत–कालीन निर्माण–शैली को समझने का महत्वपूर्ण केंद्र है।

     सूर्य मंदिर

    – जालौन क्षेत्र में स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था–केंद्र है; मकर संक्रांति, चैत्र मास और विशेष पर्वों पर यहाँ होने वाले स्नान–पूजन से धार्मिक–पर्यटन को निरंतर बढ़ावा मिलता है।

    रामकुंड पार्क, उरई

    – नगर के मध्य स्थित यह पार्क स्थानीय लोगों के लिए सैर–सपाटे, बच्चों के मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रमुख स्थल है। निकट भविष्य में इसे थीम–आधारित लाइटिंग, ओपन–स्टेज और वॉक–ट्रेल के साथ आधुनिक शहरी–पार्क के रूप में विकसित करने की योजना है, जिससे यह जालौन शहर के लिए ‘अर्बन ग्रीन लंग’ की भूमिका निभा सके।

    पहुंच मार्ग

    वाया – यूपीएसएच 21, यूपीएसएच 70, यूपीएसएच 91, एनएच 27 और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे

    – बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के संचालन से जालौन की लखनऊ, कानपुर, चित्रकूट, झाँसी और दिल्ली–एनसीआर से सड़क कनेक्टिविटी और भी सुदृढ़ हुई है, जिससे धार्मिक–पर्यटन, उद्योग और लॉजिस्टिक्स तीनों क्षेत्रों में नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

    निकटतम हवाई अड्डा –

    चकेरी हवाई अड्डा, कानपुर (लगभग 115 किमी)

    रेल मार्ग –

    उरई रेलवे स्टेशन (लगभग 22 किमी) – झाँसी–कानपुर रेल–खंड पर स्थित महत्त्वपूर्ण स्टेशन, जहाँ से झाँसी, कानपुर, लखनऊ, दिल्ली एवं अन्य शहरों के लिए रेल–सेवाएँ उपलब्ध हैं।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमंदिर जाने से बदल सकती है आपकी किस्मत, रोजाना के सिर्फ कुछ सेकेंड और देखिए जीवन बदलने वाले लाभ
    Next Article पीलीभीत : बांसुरी नगरी, टाइगर रिज़र्व और सरयू–शारदा तट से जुड़ा धार्मिक–पर्यावरणीय पर्यटन जनपद
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    नर्मदा की गोद में बसा ओंकारेश्वर एक चमत्कार – जानिए ये धाम इतना पवित्र क्यों है?

    December 6, 2025

    बागेश्वर : उत्तराखंड का आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक संगम

    December 5, 2025

    चमोली जिला — देवभूमि का हृदय और प्राकृतिक वैभव का खजाना

    December 5, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने माहेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज के वार्षिक समारोह में किया शिरकत, गरीब बच्चों की शिक्षा पहल की खुले दिल से प्रशंसा की

    November 1, 2025

    Doon Defence Dreamers ने मचाया धमाल, NDA-II 2025 में 710+ छात्रों की ऐतिहासिक सफलता से बनाया नया रिकॉर्ड

    October 6, 2025

    बिहार नहीं, ये है देश का सबसे कम साक्षर राज्य – जानकर रह जाएंगे हैरान

    September 20, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.