Jharkhand Election 2024 : झारखंड इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में चुनाव लड़ रहे 528 उम्मीदवारों में से 522 के स्वयं दिए गए हलफनामों का विश्लेषण किया है। इन हलफनामों से पता चलता है कि 148 यानी 28 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इनमें से गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या 122 यानी 23 फीसदी है।
किस पार्टी के कितने प्रत्याशी
आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारो के बारे में पार्टीवार देखने पर पता चलता है कि भाजपा से विश्लेषण किए गए 32 उम्मीदवारों में से 14 (44 फीसदी), बसपा से विश्लेषण किए गए 24 उम्मीदवारों में से 8 (33 फीसदी), झामुमो से विश्लेषण किए गए 20 उम्मीदवारों में से 5 (25 फीसदी), कांग्रेस से विश्लेषण किए गए 12 उम्मीदवारों में से 5 (42 फीसदी), आजसू पार्टी से विश्लेषण किए गए 6 उम्मीदवारों में से 4 (67 फ़ीसदी) और राजद से विश्लेषण किए गए 2 उम्मीदवारों में से 2 (100 फीसदी) ने अपने हलफनामों में अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
गंभीर आपराधिक मामलों की बात करें तो प्रमुख दलों में, भाजपा से विश्लेषण किए गए 32 उम्मीदवारों में से 12 (38 फीसदी), बसपा से विश्लेषण किए गए 24 उम्मीदवारों में से 5 (21 फीसदी), झामुमो से विश्लेषण किए गए 20 उम्मीदवारों में से 5 (25 फीसदी), कांग्रेस से विश्लेषण किए गए 12 उम्मीदवारों में से 4 (33 फीसदी), आजसू पार्टी से विश्लेषण किए गए 6 उम्मीदवारों में से 4 (67 फीसदी) और राजद से विश्लेषण किए गए 2 उम्मीदवारों में से 2 (100 फीसदी) ने अपने हलफनामों में अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
कैसे कैसे अपराध
– 12 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले घोषित किए हैं। 12 उम्मीदवारों में से 1 उम्मीदवार ने बलात्कार (आईपीसी धारा-376) से संबंधित आरोप घोषित किए हैं।
– 3 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ हत्या (आईपीसी धारा-302) से संबंधित मामले घोषित किए हैं।
– 34 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा 307 और बीएनएस धारा 109) से संबंधित मामले घोषित किए हैं।
रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र
झारखण्ड के 38 निर्वाचन क्षेत्रों में से 28 (74 फीसदी) रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र हैं। रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र वे होते हैं जहां चुनाव लड़ने वाले तीन या अधिक उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
किसकी कितनी हैसियत?
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के बीच संपत्ति का हिस्सा इस प्रकार है :
संपत्ति का मूल्य (रुपये में) ——————— उम्मीदवारों की संख्या -� � उम्मीदवारों का प्रतिशत
5 करोड़ रुपये और उससे अधिक ————– 38 —————————– 7 फीसदी
2 करोड़ रुपये से 5 करोड़ रुपये ————— 42 —————————– 8 फीसदी
50 लाख रुपये से 2 करोड़ रुपये ————— 130 ————————– 25 फीसदी
10 लाख रुपये से 50 लाख रुपये ————- 176 ————————– 4 फीसदी
10 लाख रुपये से कम ————————– 136 ————————– 26 फीसदी
करोड़पति उम्मीदवार
– 522 उम्मीदवारों में से 127 (24 फीसदी) करोड़पति हैं।
– पार्टीवार करोड़पति उम्मीदवारों की बात करेंम तो प्रमुख दलों में भाजपा के 32 उम्मीदवारों में से 23 (72 फीसदी), झामुमो के 20 उम्मीदवारों में से 18 (90 फीसदी), कांग्रेस के 12 उम्मीदवारों में से 10 (83 फीसदी), आजसू पार्टी के 6 उम्मीदवारों में से 5 (83 फीसदी), बसपा के 24 उम्मीदवारों में से 4 (17 फीसदी) और राजद के 2 उम्मीदवारों में से 2 (100 फीसदी) ने 1 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्ति घोषित की है।
– औसत संपत्ति देखने तो हर उम्मीदवार की औसत संपत्ति 2.53 करोड़ रुपये है।
– पार्टीवार औसत संपत्ति में 2 राजद उम्मीदवारों के लिए प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति 24.18 करोड़ रुपये है, विश्लेषण किए गए 6 आजसू उम्मीदवारों की संपत्ति 9.20 करोड़ रुपये है, 20 झामुमो उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 7.48 करोड़ रुपये है, 32 भाजपा उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 5.05 करोड़ रुपये है, 12 कांग्रेस उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3.10 करोड़ रुपये है और 24 बसपा उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 67 लाख रुपये है।
– टॉप तीन अमीर उम्मीदवारों में ये हैं – पाकुर निर्वाचन क्षेत्र में सपा के अकील अख्तर, जिनकी हलफनामे के मुताबिक कुल संपत्ति 402 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसके बाद हैं गिरिडीह की धनवार सीट से निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय। इन्होने अपनी संपत्ति 137 करोड़ से ज्यादा की बताई है। तीसरी नंबर पर हैं धनवार सीट से ही आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रत्याशी मोहम्मद दानिश, जिन्होंने अपनी संपत्ति 32 करोड़ से ज्यादा की घोषित की है।
गरीब प्रत्याशी
एक प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति शून्य बताई है। झारखंड पीपुल्स पार्टी के एक उम्मीदवार एलियन हंसदा, महेशपुर (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, जिन्होंने शून्य संपत्ति घोषित की है। वहीं सबसे कम संपत्ति वाले तीन उम्मीदवार हैं – रांची की सिल्ली सीट से निर्दलीय प्रत्याशी राजेश्वर महतो जिन्होंने अपनी संपत्ति 100 रुपये बताई है, इनके पास कोई अचल संपत्ति नहीं है। इसके बाद हैं जीतेंद्र ओरांव जो रांची की खिजरी (एसटी) से निर्दलीय प्रत्याशी हैं। इन्होने अपनी संपत्ति 2,500 रुपये बताई है और इनके पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है। तीसरे नंबर पर हैं धनबाद जिले की झरिया सीट से एसयूसीआई (सी) के प्रत्याशी अनिल बाउरी जिन्होंने 10,000 रुपये की संपत्ति घोषित की है और इनके पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है।
कुछ और जानकारियां
– उम्मीदवारों का शैक्षणिक विवरण : 247(47 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता 5वीं और 12वीं कक्षा के बीच घोषित की है, जबकि 234 (45 फीसदी) उम्मीदवारों ने स्नातक या उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता घोषित की है। 6 उम्मीदवार डिप्लोमा धारक हैं। 34 उम्मीदवारों ने खुद को केवल साक्षर और एक उम्मीदवार ने अपने को निरक्षर घोषित किया है।
– उम्र का विवरण : 220 (42 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी आयु 25 से 40 वर्ष के बीच घोषित की है, जबकि 238 (46 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी आयु 41 से 60 वर्ष के बीच घोषित की है। 64 (12 फीसदी) उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अपनी आयु 61 से 80 वर्ष के बीच घोषित की है।
– कितनी महिला उम्मीदवार : चुनाव के दूसरे चरण में 55 (11 फीसदी) महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं।
एडीआर के अनुसार, झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामलों वाले लगभग 28 फीसदी उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है। झारखंड चुनाव के दूसरे चरण में चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख दलों ने 25 फीसदी से 100 फीसदी ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, जिन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 के अपने निर्देशों में इन अनिवार्य दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऐसे चयन के कारणों में संबंधित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियाँ और योग्यता शामिल होनी चाहिए। 2024 में हाल ही में हुए दो राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान, यह देखा गया कि राजनीतिक दलों ने व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छा सामाजिक कार्य, मामले राजनीति से प्रेरित होने आदि जैसे निराधार और बेबुनियाद कारण बताए। दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए ये ठोस कारण नहीं हैं। यह डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि राजनीतिक दलों की चुनावी प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।