J&K Election 2024 : जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में एक सीट ऐसी भी है जो पहले एससी सुरक्षित हुआ करती थी लेकिन अब ये सामान्य सीट हो गई है। ये सीट है आर एस पुरा। बासमती किसानों के गृह के रूप में जाना जाने वाला आर एस पुरा-जम्मू दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस का पुराना गढ़ रहा है। लेकिन इस बार यहां नया समीकरण है, क्योंकि कभी अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित यह सीट अब सामान्य वर्ग के लिए खुली है।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में फैली यह सीट जम्मू के राजनीतिक परिदृश्य में एक विशेष स्थान रखती है। बीते जमाने में इसने विधानसभा में कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ भेजी हैं, और अब परिसीमन के बाद इसकी नई सीमाओं के साथ प्रतिष्ठाएं और भी अधिक बढ़ गईं हैं।
कड़ा मुकाबला
इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस के दो बार के विधायक और पूर्व मंत्री रमन भल्ला और भाजपा उम्मीदवार डॉ. नरिंदर सिंह रैना के बीच कड़ी टक्कर है। भल्ला को कांग्रेस के लिए सीट वापस पाने के लिए कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा, यह सीट पूर्व मंत्री और प्रोग्रेसिव अलायंस डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीएपी) के उम्मीदवार चौधरी घारू राम और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नरेंद्र शर्मा सहित 14 उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर के कारण भी ध्यान आकर्षित कर रही है।
जातीय समीकरण
1996 से 2014 तक अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित इस निर्वाचन क्षेत्र में जातिगत और क्षेत्रीय पहचान से ही मुकाबला तय होगा।
जम्मू की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक, आर एस पुरा-जम्मू दक्षिण का एक शानदार इतिहास रहा है, जिसमें दिग्गज कांग्रेस नेता डॉ करण सिंह और पीडीपी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद जैसे राजनीतिक दिग्गज शामिल हैं, जिन्होंने 1967 में यह सीट जीती थी।
भल्ला और रैना
इस चुनावी मौसम में इस सीट पर उम्मीदवार क्षेत्रीय और जातिगत आधार पर विभाजित जटिल मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस, भाजपा, डीपीएपी और पीडीपी के बीच चार-कोणीय मुकाबला है, लेकिन असली लड़ाई भल्ला और रैना के बीच है।
2002 और 2008 में गांधी नगर विधानसभा सीट जीतने वाले पूर्व दो बार के मंत्री रमन भल्ला 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान अपने मजबूत प्रदर्शन के आधार पर जीत की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के प्रत्याशी से ज्यादा वोट हासिल किए थे। इस चुनाव में भल्ला के लिए राजनीतिक अस्तित्व की भी लड़ाई है। 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ 2014 के विधानसभा चुनावों में दो हार के बाद उनका राजनीतिक भाग्य इस चुनाव पर टिका है।
दूसरी तरफ, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव नरिंदर सिंह रैना भाजपा के स्थायी समर्थन आधार पर भरोसा कर रहे हैं। पार्टी के विकास एजेंडे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को लेकर प्रचार कर रहे रैना सिख समुदाय से हैं, जिनकी इस निर्वाचन क्षेत्र में अच्छी खासी आबादी है।