
Justice Yashwant Verma cash scandal (photo credit: social media)
Justice Yashwant Verma cash scandal (photo credit: social media)
Justice Yashwant Verma cash scandal: सुप्रीम कोर्ट ने कैश कांड मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस वर्मा ने जांच समिति की रिपोर्ट और तत्कालीन सीजेआई द्वारा उन्हें पद से हटाने की सिफारिश को चुनौती दी थी.
कैश कांड मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने जस्टिस वर्मा द्वारा दायर उस मामले में राहत नहीं दिया है, जिसमें उन्होंने जांच समिति की रिपोर्ट और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा उन्हें पद से हटाने की सिफारिश को चुनौती दी थी। कोर्ट ने ये कहते हुए जस्टिस वर्मा की याचिका खारिज कर दी कि जांच समिति ने तय प्रक्रियाओं के अनुसार ही पालन किया है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि जस्टिस वर्मा का आचरण भरोसा पैदा नहीं करता इसलिए उनकी याचिका पर विचार करना संभव नहीं है। पीठ ने कहा कि इन हाउस समिति का गठन और उसकी जांच अवैध नहीं है। CJI और उनकी इन-हाउस समिति ने प्रक्रियाओं का पालन किया। बस उन्होंने फोटो और वीडियो अपलोड नहीं किए. हमने इसे लेकर कहा भी था कि इसकी आवश्यकता नहीं है। लेकिन आपने उस वक़्त इसे चुनौती नहीं दी।
CJI की सिफारिश को बताया संवैधानिक
पीठ ने यह भी कहा कि तत्कालीन CJI संजीव खन्ना द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को भेजा गया पत्र भी संवैधानिक दायरे के अंतर्गत आता है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में कोई असंवैधानिकता नहीं पाई गई।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 14 मार्च की उस रात का है, जब लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई। घटना के समय वे घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके परिवार वालों ने तुरंत फायर ब्रिगेड को बुलाया। जब फायर ब्रिगेड की टीम आग बुझा रही थी, तब मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि घर के अंदर बड़ी मात्रा में नकदी देखी गई।
इस बीच 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कॉलेजियम की बैठक हुई। इस बैठक में जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में किए जाने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले की जांच सौंपी गई। इस जांच रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस वर्मा के तबादले पर निर्णय लिया जाना है।
हालांकि, मामले में एक नया ट्विस्ट उस वक़्त आया, जब दिल्ली फायर ब्रिगेड चीफ अतुल गर्ग ने दावा किया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर आग बुझाने के दौरान फायर फाइटर्स को कोई नकदी नहीं मिली। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा की याचिका खारिज कर दी है, तो इस मामले की कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।