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    Home » Jyotirmay Singh Mahato Wikipedia: ज्योतिर्मय सिंह महतो का जन्म 2 मई, 1985 को पतराडीह, पुरुलिया, पश्चिम बंगाल
    राजनीति

    Jyotirmay Singh Mahato Wikipedia: ज्योतिर्मय सिंह महतो का जन्म 2 मई, 1985 को पतराडीह, पुरुलिया, पश्चिम बंगाल

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 2, 2025No Comments5 Mins Read
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    Politician Jyotirmay Singh Mahato Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    Politician Jyotirmay Singh Mahato Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    Politician Jyotirmay Singh Mahato Biography: भारतीय राजनीति में उभरते जुझारू युवा चेहरों में से एक हैं ज्योतिर्मय सिंह महतो। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के ग्रामीण क्षेत्र पतराडीह से निकलकर उन्होंने भारतीय संसद में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में वे लगातार दो बार 2019 और 2024 लोकसभा के लिए चुने गए हैं। उनके जीवन की यात्रा, समाजिक सरोकार, राजनीतिक प्रतिबद्धता और संगठनात्मक कौशल ने उन्हें पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई में एक सशक्त स्तंभ बना दिया है।

    जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

    ज्योतिर्मय सिंह महतो का जन्म 2 मई 1985 को पतराडीह, पुरुलिया, पश्चिम बंगाल में हुआ था। वे एक साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता स्वर्गीय अनंतराम महतो एक सामान्य किसान थे, जबकि उनकी माता श्रीमती अंबिका महतो गृहिणी हैं। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े ज्योतिर्मय ने प्रारंभिक जीवन में ही यह अनुभव कर लिया था कि सामाजिक सेवा ही उनके जीवन का लक्ष्य होगा।

    शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

    ज्योतिर्मय सिंह महतो ने अपनी स्कूली शिक्षा पुरुलिया जिले के एक स्थानीय विद्यालय से पूरी की। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पश्चिम बंगाल के प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्ययन किया। अपने छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए थे। यह जुड़ाव आगे चलकर उनके राजनीतिक जीवन की नींव बना।

    राजनीति में प्रवेश

    राजनीति में उनका प्रवेश विचारधारा से प्रेरित था, अवसर से नहीं। वे भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रवादी विचारधारा से गहराई से प्रभावित रहे हैं। 2010 के दशक में उन्होंने भाजपा की युवा शाखा, भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के ज़रिए संगठित राजनीति में सक्रिय भागीदारी शुरू की। उन्होंने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी की जड़ें मजबूत करने का कार्य किया और जनता के बीच विश्वास अर्जित किया।

    इनकी संसदीय भूमिकाएं और योगदान

    राजनीतिक सफर में आगे बढ़ते हुए ज्योतिर्मय सिंह महतो ने संसद में सक्रिय भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें कई बार समितियों का सदस्य नियुक्त किया गया।

    • 13 सितम्बर 2019 से कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रहे।
    • 09 अक्टूबर 2019 से अधीनस्थ विधान संबंधी समिति के सदस्य रहे।
    • युवा मामले और खेल मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य।
    • इन समितियों में रहते हुए उन्होंने युवाओं, खेल संस्कृति और प्रशासनिक पारदर्शिता से जुड़े मुद्दों को उठाया।

    पार्टी में संगठनात्मक भूमिका

    ज्योतिर्मय सिंह महतो को जून 2020 में भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने उन्हें राज्य महासचिव नियुक्त किया। यह एक बड़ा संगठनात्मक पद था और इससे महतो की सांगठनिक क्षमताओं को मान्यता मिली। उन्होंने इस भूमिका में रहकर विधानसभा चुनावों के लिए कार्यकर्ताओं को संगठित किया और ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा का जनाधार बढ़ाया।

    2019 के लोकसभा चुनाव में पहली जीत

    2019 के आम चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में आक्रामक रणनीति अपनाई। पुरुलिया सीट से ज्योतिर्मय सिंह महतो को टिकट दिया गया। यह निर्णय कुछ हद तक जोखिम भरा माना गया था क्योंकि क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस का मजबूत वर्चस्व था। लेकिन महतो की जमीनी पकड़, युवा छवि और ईमानदार छवि ने उन्हें सफलता दिलाई। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को हराकर 17वीं लोकसभा में प्रवेश किया।

    2024 का आम चुनाव दूसरी जीत

    2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने एक बार फिर पुरुलिया से चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की। यह जीत उनके बढ़ते राजनीतिक प्रभाव और जनसमर्थन का प्रमाण थी। इसके बाद उन्हें 26 सितम्बर 2024 को गृह मामलों की समिति का सदस्य नियुक्त किया गया, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था से संबंधित एक अत्यंत महत्वपूर्ण संसदीय समिति है।

    राजनीतिक छवि और लोकप्रियता

    महतो की छवि एक ईमानदार, जमीनी और कर्मठ राजनेता की है। वे न केवल संसद में बल्कि अपने क्षेत्र में भी सक्रिय रहते हैं। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में कई विकास योजनाओं की शुरुआत की, जिनमें सड़क निर्माण, जल आपूर्ति परियोजनाएं और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के प्रयास शामिल हैं।

    समाजिक सरोकार

    राजनीतिक भूमिकाओं के अलावा महतो सामाजिक कार्यों में भी रुचि रखते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे मुद्दों पर उन्होंने कई जनजागरूकता कार्यक्रम चलाए हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने गरीबों के बीच राशन वितरण, मास्क और दवाओं की आपूर्ति के लिए विशेष अभियान चलाया। युवाओं की प्रेरणा बन चुके महतो की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाला एक व्यक्ति भी यदि संकल्पित हो तो राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह बना सकता है। वे युवाओं को राजनीति में भागीदारी के लिए प्रेरित करते हैं और खुद एक रोल मॉडल के रूप में उभरे हैं।

    चुनौतियां और भविष्य की राह

    महतो के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे पश्चिम बंगाल जैसे राजनीतिक रूप से जटिल राज्य में भाजपा को एक स्थायी और प्रभावशाली ताकत के रूप में स्थापित कर सकें। इसके लिए उन्हें पार्टी संगठन को मजबूत करना, स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना और जनसंपर्क बनाए रखना होगा।

    ज्योतिर्मय सिंह महतो भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से हैं जो विचारधारा, संगठन और जनता के बीच सामंजस्य बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। उनकी राजनीति सत्ता की नहीं, सेवा की है। आने वाले वर्षों में वे न केवल पश्चिम बंगाल, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण चेहरा साबित होंगे।

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