Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • केशव मौर्य का ‘त्रिवेणी’ ब्रह्मास्त्र, 2027 में यूपी की सत्ता वापसी का बनेगा ‘गुप्त मंत्र’
    • Allegation Politics : बिजली उपकेंद्रों तक और स्वास्थ सुविधाएं स्ट्रेचर पर! अखिलेश ने भाजपा पर कसा तंज
    • ‘लड़की छेड़त रहे…’, राबड़ी देवी के सम्राट चौधरी पर तीखे बोल ने बिहार में मचाया तहलका, सियासत गरमाई
    • “प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं…” दिल्ली में आयोजित OBC सम्मेलन में खड़गे का धमाका – ‘संघ व भाजपा’ को बताया जहर!
    • Beautiful Train Routes: खिड़की के बाहर दिखते हैं झरने, समंदर और बर्फीली वादियां- इन ट्रेन रूट्स पर सफर के साथ उठाएं पर्यटन का भी लुत्फ
    • जगदीप धनखड़ के पास थे ‘दो’ विकल्प? उपराष्ट्रपति ने चुन लिया ‘इस्तीफा’, अब नए VP की तैयारी शुरू
    • वाह! भाजपा नेता भाभी की पीठ से पहुंचे चोली तक, ब्लाउज की लंबाई और दुपट्टा सरकने पर गजब ‘सियासत’
    • Sanwariya Seth Temple History: सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास, क्या है महत्व इस मंदिर का आइए जानें
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Lord Rama in Thailand: इस विदेशी धरती पर भी मौजूद है एक अयोध्या, गरुड़ हैं जहां का राष्ट्रीय चिन्ह
    Tourism

    Lord Rama in Thailand: इस विदेशी धरती पर भी मौजूद है एक अयोध्या, गरुड़ हैं जहां का राष्ट्रीय चिन्ह

    By February 19, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Ayutthaya Ki Kahani (Pic- Social Media)

    Ayutthaya Ki Kahani (Pic- Social Media)

    Ayodhya In Thailand: सनातन संस्कृति यूं ही सबसे ज्यादा समृद्ध और विराट परम्परा नहीं मानी जाती है क्योंकि इसकी जड़ें पूरी धरती पर मजबूती से फैली हुईं हैं। इसका एक जीता जागता उदाहरण विदेशी धरती पर मौजूद अयोध्या के रूप में देखने को मिलता है। अयुत्या सिर्फ थाईलैंड के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म से जुड़े लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है। इसका नाम, धार्मिक परंपराएं और वास्तुकला भारतीय सभ्यता के प्रभाव को दर्शाते हैं।

    आज भी अयुत्या (Ayutthaya) के खंडहर थाईलैंड के गौरवशाली अतीत की गवाही देते हैं और इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट (UNESCO World Heritage Site) के रूप में संरक्षित किया गया है। यह एक ऐसा बौद्ध देश है, जो हिंदू धर्म में आस्था रखता है। इस देश के राजाओं को राम कहा जाता है। इसके साथ ही इस देश की राष्ट्रीय पुस्तक भी रामायण (Ramayana) है।

    बहुत से लोगों को यह लगता है कि केवल भारत में ही भगवान राम की पूजा की जाती है, लेकिन अयुत्या एशिया का एक और ऐसा बौद्ध देश है, जहां राम को आराध्य माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के पास एक शहर जिसे अयुत्या कहा जाता है।

    अयुत्या का इतिहास (Ayutthaya History In Hindi)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    अयुत्या थाईलैंड का एक ऐतिहासिक शहर है, जो बैंकॉक से लगभग 80 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह शहर 14वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और 18वीं शताब्दी तक थाईलैंड की राजधानी रहा।अयुत्या की स्थापना 1350 ईस्वी में राजा रामथिबोड़ी प्रथम ने की थी।

    यह शहर लगभग 400 वर्षों तक सियाम (अब थाईलैंड) की राजधानी रहा और इस दौरान यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था। 1767 में बर्मा (अब म्यांमार) के आक्रमण के कारण यह शहर नष्ट हो गया, और बाद में बैंकॉक को नई राजधानी बनाया गया

    थाईलैंड में अयोध्या के नाम से मशहूर है ये शहर (Thailand’s Ayodhya)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    अयुत्या को थाईलैंड का अयोध्या (Thailand Ka Ayodhya) माना जाता है। अयुत्या नाम संस्कृत शब्द अयोध्या से लिया गया है, जो भगवान राम की जन्मभूमि, अयोध्या (भारत) से मिलता-जुलता है। यह दर्शाता है कि थाई संस्कृति पर भारतीय धर्म और परंपराओं का गहरा प्रभाव रहा है।

    इस शहर में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों के ही मंदिर हैं। वहां लोगों में ऐसी मान्यता है कि यही श्रीराम की राजधानी थी। अयुत्या में कई मंदिर हैं, जिनमें हिंदू और बौद्ध दोनों धार्मिक प्रभाव दिखाई देते हैं। यहां वट महाथात मंदिर से मंदिरों में हिंदू स्थापत्य कला का प्रभाव देखा जा सकता है।

    मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    अयुत्या में कई मंदिरों में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, इंद्र, और गणेश की मूर्तियाँ पाई जाती हैं। वट महाथात मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ मिली हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि यह स्थान केवल बौद्ध धर्म ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म से भी गहराई से जुड़ा था। वट फ्रा सी संफेत मंदिर में हिंदू और बौद्ध स्थापत्य कला का मिश्रण देखा जा सकता है।

    अयुत्या में इंद्र और शिव की पूजा

    थाईलैंड में इंद्र को “फ्रा इन“ कहा जाता है और उन्हें स्वर्ग का राजा माना जाता है, जो हिंदू मान्यता से मेल खाता है। कई मंदिरों में शिवलिंग और नंदी बैल की मूर्तियाँ भी देखी जा सकती हैं, जो हिंदू धर्म के प्रभाव को दर्शाती हैं।

    गणेश की विशेष मान्यता

    अयुत्या में भगवान गणेश की पूजा भी प्रचलित है। व्यापारियों और कलाकारों के बीच गणेश को शुभ माना जाता है, और थाईलैंड में उनकी कई मूर्तियाँ स्थापित हैं।

    थाईलैंड का राष्‍ट्रीय ग्रंथ (National Book Of Thailand)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    हिन्दू संस्कृति में रचे बसे थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रंथ कोई और नहीं बल्कि रामायण है। थाईलैंड में इसे राम कियेन के नाम से जाना जाता है, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। वहीं, यहां का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न गरुड़ है। हिंदू पौराणिक कथाओं में गरुड़ को भगवान विष्णु की सवारी माना जाता है।

    थाईलैंड कभी मूल रूप से हिंदू राष्ट्र हुआ करता था। थाई राज परिवारों पर सदियों तक हिंदू धर्म का प्रभाव था। वहां के निवासी थाईलैंड के राजा को भगवान विष्णु का अवतार माना करते थे। आज भी थाईलैंड का चक्री राजवंश खुद को राम कहता है। बता दें कि चक्री वंश के मौजूदा राजा को राम ‘दशम’ कहकर पुकारा जाता है

    इस तरह हुई नाम के साथ राम शब्द जोड़ने की प्रथा की शुरुआत

    थाईलैंड में चक्री वंश के सभी राजाओं का नाम “राम“ रखा जाता है, जो भगवान राम से प्रेरित है। कथाओं के अनुसार, राजा वजिरावुध ने खुद को राम ‘सिक्स्थ’ कहा था। इसके साथ ही चक्री वंश के राजाओं में नाम के साथ अंक जुड़ने लगा। ऐसा माना जाता है कि जब राजा रामाथिबोड़ी प्रथम ने अयुत्या की स्थापना की, तो उन्होंने इसे अयोध्या के आदर्शों पर ही बसाया।

    थाई संस्कृति में राजा को विष्णु का अवतार माना जाता था, जो हिंदू धर्म की अवधारणा से मेल खाता है। थाईलैंड में चक्री वंश के लोग अपने नाम के साथ लंबे समय से राजा राम की उपाधि का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। हालांकि, राजा राम दशम के नाम से इस बात का अंदाजा लगाया जाता है कि चक्री वंश के लोग दस पीढ़ी पहले अपने नाम के साथ राम का इस्तेमाल नहीं करते थे। ऐसा भी माना जाता है कि अपने नाम के साथ राम और एक अंक जोड़ने की ये प्रथा यूरोप की संस्‍कृति से ली गई है।

    इस बारे में बताया जाता है इस वंश के छठे राजा वजिरावुध ने इंग्लैंड से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। पढ़ाई के दौरान उन्हें ब्रिटेन के शासकों के नाम के पीछे पंचम, द्वितीय जैसे अंक लगाने की प्रथा का पता चला। कहा जाता है इसी के बाद से राम के साथ अंक जोड़ने की प्रथा की शुरुआत हुई।

    राम दशम हैं थाईलैंड के राजा

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    वर्तमान में थाईलैंड के राजा को ‘राम दशम’ की उपाधि से जाना जाता है। उन्हें थाईलैंड में लोग ‘फुटबॉल प्रिंस’ (Football Prince) भी कहते हैं। 13 अक्टूबर 2016 को अपने पिता, राजा भूमिबोल अदुल्यादेज़ की मृत्यु के बाद थाईलैंड के राजा बने। “राम दशम“ नाम उनके राजवंश के नाम के अनुसार रखा गया है, जो कि चक्री वंश से संबंधित है। यह वंश हिंदू धर्म की रामायण पर आधारित है, और इस परंपरा के अनुसार प्रत्येक नए राजा का नाम भगवान राम के विभिन्न अवतारों पर आधारित होता है।

    राजा राम दशम का शासन थाईलैंड के इतिहास में महत्वपूर्ण है और वह अपने शासनकाल में कई सुधारों और परिवर्तन करने का प्रयास कर रहे हैं। अयुत्या न केवल नाम से बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी हिंदू परंपराओं से जुड़ा हुआ है। यह शहर भारतीय और थाई संस्कृति के संगम का प्रतीक है, जहाँ रामायण, विष्णु, शिव, इंद्र और गणेश की मान्यताएँ जीवंत रूप में देखी जा सकती हैं।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमैं पीएम मोदी की बहुत इज्जत करता हूं, लेकिन…”: ट्रम्प
    Next Article हमास को ट्रंप की आखिरी चेतावनी, इजरायली बंधकों को एक साथ छोड़ने को तैयार

    Related Posts

    Beautiful Train Routes: खिड़की के बाहर दिखते हैं झरने, समंदर और बर्फीली वादियां- इन ट्रेन रूट्स पर सफर के साथ उठाएं पर्यटन का भी लुत्फ

    July 25, 2025

    Sanwariya Seth Temple History: सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास, क्या है महत्व इस मंदिर का आइए जानें

    July 25, 2025

    Tanjavur Maratha Palace History: तमिलनाडु की यात्रा में तंजावुर मराठा पैलेस नहीं देखा तो क्या देखा

    July 24, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.