Lucknow JPNIC Building History (Image Credit-Social Media)
Lucknow JPNIC Building History:�भारत के लखनऊ में जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय केंद्र को एक समकालीन सार्वजनिक वास्तुकला बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था जो वर्तमान और पिछले इतिहास दोनों का वर्णन करता है। यह केंद्र एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में कार्य करता है जो इसके चारों ओर शहरी विकास को प्रेरित करता है। इस केंद्र में 4,000 लोगों तक के लिए सम्मेलन और अंतर्राष्ट्रीय खेल सुविधाएं उपलब्ध हैं। आइये जानते हैं जेपीएनआईसी का क्या है इतिहास और कब इसे बनाया गया।
जेपीएनआईसी का इतिहास�
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर समाजवादी नेता की जयंती मनाने के लिए उनके प्रवेश को स्पष्ट रूप से रोकने के लिए लखनऊ के जेपी नारायण केंद्र के मुख्य द्वार के सामने टिन की चादरें लगाने का आरोप लगाया जिसके बाद से जेपीएनआईसी बिल्डिंग चर्चा में आ गयी है। लेकिन क्या आप इसके इतिहास के बारे में जानते हैं?
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने उन्हें परिसर में प्रवेश करने से रोकने के लिए लखनऊ के जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) के मुख्य द्वार के सामने टिन की चादरें लगा दी हैं। उन्होंने समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की जयंती मनाने के लिए गुरुवार रात जेपीएनआईसी का दौरा किया था। जिसके बाद से ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) एक बहुउद्देश्यीय सम्मेलन केंद्र है। आपको बता दें इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य साल 2013 से शुरू हुआ था वहीँ 6 साल तक ये काम अधूरा ही रहा। इसके बाद 83 करोड़ रुपये का बजट पास हुआ और इसका काम पूरा होना शुरू हुआ। ये केंद्र 18.6 एकड़ में फैला है इसमें 2,000 सीटों वाला एक कन्वेंशन हॉल, 107 कमरों वाला एक लग्जरी होटल, एक जिम, स्पा, सैलून, रेस्तरां, एक ओलंपिक आकार का स्विमिंग पूल, 591 वाहनों के लिए सात मंजिलों वाला कार पार्क और समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के जीवन और विचारधाराओं को समर्पित एक संग्रहालय सहित कई चीज़ें मौजूद हैं।
सुविधाओं से लैस ये बिल्डिंग फिलहाल विवादों में आ गयी है। आपको बता दें ये लखनऊ के गोमती नगर में स्थित है और ताज होटल के ठीक बगल में स्थित है। वहीँ इस बिल्डिंग को बनाने का उद्देश्य लखनऊ में पर्यटन को बढ़ावा देना था। यहाँ कई तरह के सम्मेलन और कार्यक्रम आयोजित किये जाने से विश्व स्तरीय स्थल उपलब्ध होने की उम्मीद की जा रही थी। वहीँ जब समाजवादी पार्टी सत्ता में थी तब लखनऊ विकास प्राधिकरण को इस परियोजना के लिए 865 करोड़ रुपये का बजट मिला था। बाद में इसे 2015 में संशोधित कर 923 करोड़ रुपये कर दिया गया।