रिवरफ्रंट और JPNIC बिल्डिंग: Photo- Social Media
Lucknow News: राजधानी लखनऊ में विकास के मानक गढ़ने में समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कोई जवाब नहीं। लखनऊ में मेट्रो की सवारी का सुख भी तभी मिला। भाजपा राज में भी मेट्रो वहीं तक आती-जाती है जहां तक समाजवादी सरकार के समय चलती थी। ऐसे ही लखनऊ का रिवरफ्रन्ट है जो रोज ही युवाओं के साथ बच्चों और दम्पत्तियों को भी लुभाता है। इन दिनों इस रिवर फ्रन्ट पर और भी रौनक है। वजह है भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की संस्था नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से आयोजित पुस्तक मेला। इसमें पुस्तक प्रेमियों की भीड़ उमड़ती है। 9 से 17 नवम्बर 2024 तक चलने वाले इस पुस्तक मेला में तमाम प्रकाशनों के स्टाल लगे है। साथ ही इसमें कई कार्यक्रम भी होते है। यह बातें समाजवादी पार्टी की ओर से जारी बयान में प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कही हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार की JPNIC बिल्डिंग को लेकर मंशा पर भी सवाल उठाए हैं।�
पुस्तक मेले में पहुंचे राजेंद्र चौधरी, गिनाए सपा के काम
बीते दिन सपा एके राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी भी अपने साथियों के साथ पुस्तक मेला पहुंचे। यहाँ उनकी मुलाकात नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन प्रो. मिलिन्द सुधाकरन मराठे से हुई। प्रो. मिलिन्द अपने बुक स्टाल तक स्वयं उन्हें ले गए। इस दौरान राजेंद्र चौधरी ने उन्हें बताया कि जिस रिवर फ्रन्ट पर वे पुस्तक मेला लगा रहे हैं उसका निर्माण अखिलेश यादव ने किया था। आज वह शहर का सबसे खूबसूरत कोना है। प्रो. मिलिन्द ने भी इस स्थान की सराहना की और कहा कि पुस्तक मेले के लिए इससे उपयुक्त स्थान और नहीं मिला। उन्होने कहा कि अखिलेश यादव को अन्य प्रदेशों में भी लोग जानते हैं। वे वहां भी लोकप्रिय हैं।
भाजपा ने शुरू कराई रिवरफ्रंट की बदनामी
सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा के लोग भूले नहीं होंगे कि गोमती नदी की सफाई कर रिवरफ्रन्ट के निर्माण पर जहां अखिलेश यादव को हर तरफ प्रशंसा मिली है। वहीँ, भाजपा सरकार ने 2027 में सत्ता में आते ही इस रिवरफ्रन्ट की बदनामी शुरू कर दी। तरह-तरह के बयानों में कथित घपलों की चर्चाएं भाजपा नेतृत्व ने शुरू की। उन्होंने जाँच की बात भी की पर अब तक किसी भी जांच में निकला कुछ नहीं। तभी तो कहते हैं झूठ के पांव नहीं होते हैं।
JPNIC का उठाया मुद्दा, बताई खासियत
सोमवार को जारी बयान में सपा ने कहा कि भाजपा बदले की भावना से अच्छे कामों को भी कैसे बर्बाद करती है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण तो रिवरफ्रन्ट पर आयोजित मेले के ठीक सामने दिख रहा जेपीएनआईसी है। लोकनायक जय प्रकाश नारायण देश की विभूतियों में गिने जाते हैं। लोकतंत्र के लिए 1975 की लड़ाई के वे महानायक बनकर उभरे थे। उनकी विरासत को संजोने और समाजवादी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में इस शानदार बिल्डिंग का निर्माण किया था। सपा की तरफ से बताया गया कि जेपीएनआईसी अन्तराष्ट्रीय मानकों पर बनी राजधानी की सबसे ऊंची बिल्डिंग है। इसमें एक बड़ा कांन्फ्रेन्स हाल, 200 कमरे, 12 सौ की क्षमता की पार्किग, स्विमिंग पूल, कैफे की सुविधा के साथ इसकी छत पर हैलीपैड भी है जहां हेलीकाप्टर उतर सकते हैं। इसकी विशेषता समाजवादी संग्रहालय भी है जहां लोकनायक की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका प्रदर्शित है।
रखरखाव पर ध्यान नहीं देने से खँडहर बन रही बिल्डिंग
सपा ने आरोप लगाया है कि लोकनायक की स्मृति में बने इस भव्य स्थल पर भाजपा सरकार की नजरें प्रारम्भ से ही टेढ़ी रही हैं। इसके रखरखाव पर कोई ध्यान न दिए जाने से भवन खंडहर बन रहा है और परिसर में झाड़ियां उग आई हैं। सपा प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा के पूर्वजों का स्वतंत्रता आन्दोलन से कोई रिश्ता नहीं रहा। इसलिए उन्हें लोकनायक की स्मृति से भी चिढ़ है। इसका एक शर्मनाक उदाहरण तब सामने आया जब इस भवन के निर्माता अखिलेश यादव को ही 11 अक्टूबर 2023 को जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से रोकने के लिए पुलिस बल का प्रदर्शन किया गया था। तब अखिलेश यादव गेट फांदकर अंदर गए और उन्होंने जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। लोगों को तब स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेपी की हजारीबाग जेल से दीवार फांदकर फरारी की याद आ गई। इस वर्ष 2024 में फिर भाजपा सरकार ने अपनी कुत्सित मनोवृत्ती का प्रदर्शन करते हुए अखिलेश यादव को जेपीएनआईसी में जाने से रोकने का पूरा प्रयास किया।