Maharashtra :�नई दिल्ली: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति की बड़ी जीत के बाद नई सरकार का गठन हो गया है। भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है जबकि शिंदे सेना के नेता एकनाथ शिंदे और एनसीपी नेता अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई गई है। महाराष्ट्र में अभी तक मुख्यमंत्री रहे एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम पद की शपथ तो जरूर ले ली है मगर शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उनका चेहरा बुझा हुआ नजर आया। उनके चेहरे पर मायूसी साफ तौर पर दिख रही थी। वे फडणवीस और पवार से कुछ दूरी पर मायूस अंदाज में अपनी कुर्सी पर बैठे हुए थे।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान शिंदे का भाव देखकर सियासी हल्कों उनके बॉडी लैंग्वेज की खूब चर्चा होती रही। उनके शपथ लेने के संबंध में भी आखिरी समय तक सस्पेंस बना रहा। शपथ ग्रहण समारोह से कुछ समय पहले ही शिंदे की पार्टी की ओर से उनके शपथ लेने के बारे में जानकारी दी गई। शिंदे मायूस जरूर नजर आए मगर उनकी पार्टी का कहना है कि वे नाराज नहीं है।
बड़ी मुश्किल से शपथ लेने को तैयार हुए शिंदे
महाराष्ट्र में महायुति की बड़ी जीत के बाद एनसीपी नेता अजित पवार ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल नहीं है मगर एकनाथ शिंदे ने बहुत कुछ आस पाल रखी थी। हालांकि दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के दौरान उन्हें इस बात का एहसास हो गया था कि भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाने वाली है। इसके बाद उन्होंने खूब सियासी दांव-पेंच दिखाए। दिल्ली से लौटने के बाद वे सीधे अपने गांव चले गए। हालांकि इसके पीछे बीमारी को कारण बताया गया।
बाद में मुंबई पहुंचने के बाद भी उन्होंने खूब सियासी लटके-झटके दिखाएं। शिंदे का यह अंदाज देखने के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस भी उनसे मुलाकात करने के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे।
जानकारों का कहना है कि इस मुलाकात के दौरान फडणवीस ने शिंदे को डिप्टी सीएम पद पर की शपथ लेने के लिए तैयार किया। शिंदे के सामने फडणवीस का उदाहरण भी था जिन्होंने पांच साल तक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहने के बाद उनकी सरकार में डिप्टी सीएम बनना स्वीकार किया था।
शपथ ग्रहण के दौरान बुझा हुआ था चेहरा
हालांकि आज शपथ ग्रहण के दिन भी सुबह से इस बात का सस्पेंस बना रहा कि शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे या नहीं। इस तरह की खबरें भी सामने आईं कि शिंदे ने गृह मंत्रालय लेने की शर्त भाजपा के सामने रख दी है। शपथ लेने से पहले शिंदे ने अपनी पार्टी के कई नेताओं के साथ चर्चा की। इस दौरान पार्टी नेताओं ने शिंदे को शपथ लेने के लिए तैयार करने का प्रयास किया। आखिरकार शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के लिए तैयार हो गए।
मुंबई के आजाद मैदान में आज आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शिंदे ने डिप्टी सीएम पद की शपथ तो जरूर ली मगर उनके हाव भाव से यह साफ हो गया कि वे अंदर से खुश नहीं है। उनके चेहरे पर मायूसी साफ तौर पर झलक रही थी।
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार बिल्कुल अगल-बगल बैठे हुए थे और उनके चेहरे पर मुस्कान झलक रही थी जबकि शिंदे की कुर्सी थोड़ी दूर लगी हुई थी और उनका चेहरा पूरी तरह बुझा हुआ नजर आ रहा था। शिंदे की बॉडी लैंग्वेज से साफ हो गया कि वे खुद को डिप्टी सीएम बनाए जाने से अंदर से खुश नहीं है।
गृह मंत्रालय के लिए बनाएंगे दबाव
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान शिंदे की बॉडी लैंग्वेज महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। जानकारों का कहना है कि शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के लिए तैयार तो हो गए मगर उन्हें इस बात की नाराजगी है कि भाजपा की ओर से उन्हें गृह मंत्रालय क्यों नहीं दिया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि शिंदे गृह मंत्रालय को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते।
इस सिलसिले में वे जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे और गृह मंत्रालय के लिए अपनी दावेदारी ठोकेंगे। हालांकि भाजपा शिंदे को गृह मंत्रालय देने के लिए तैयार नहीं दिख रही है मगर अब सबकी निगाहें शिंदे और अमित शाह की मुलाकात पर लगी हुई हैं।
फडणवीस-पवार की ट्यूनिंग नहीं हो रही हजम
नई सरकार में एनसीपी नेता अजित पवार की देवेंद्र फडणवीस के साथ बेहतर ट्यूनिंग नजर आ रही है जबकि एकनाथ शिंदे अलग-अलग पड़ते नजर आ रहे हैं। फडणवीस के साथ पवार की पहले ही अच्छी ट्यूनिंग रही है और उन्होंने पहले ही इस बात का ऐलान कर दिया था कि वे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने को तैयार हैं। भाजपा की ओर से भी अजित पवार के साथ ट्यूनिंग को काफी महत्व दिया जा रहा है क्योंकि पवार के साथ रहने पर शिंदे कभी बीजेपी या फडणवीस पर दबाव नहीं बना पाएंगे।
नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के रिश्तों की यह सहजता भी शिंदे को असहज बनाए हुए हैं। वैसे महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में 132 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद भाजपा भी किसी का दबाव मानने को तैयार नहीं दिख रही है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि शिंदे और भाजपा के रिश्ते आने वाले दिनों में कैसे रहते हैं। हालांकि शिंदे की पार्टी के नेता लगातार यह बयान दे रहे हैं कि नई सरकार में अपनी भूमिका को लेकर शिंदे तनिक भी नाराज नहीं है।