Manoj Jarange Patil (photo: social media)
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव से दूरी बना ली है। उन्होंने साफ कर दिया है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के दौरान वे किसी भी पार्टी या उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों से चुनावी दौड़ से हट जाने को भी कहा है। पाटिल ने कहा कि मराठा समाज खुद तय करेगा कि उसे किस पार्टी या उम्मीदवार का समर्थन करना है।
पाटिल के विधानसभा चुनाव से दूरी बनाने के बाद इस बात पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं कि आखिरकार इसका सियासी फायदा किसी राजनीतिक दल को होने वाला है। सियासी जानकारों का मानना है कि राज्य में तीसरा मजबूत गठबंधन न बनने की स्थिति में महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने राहत की सांस ली है जबकि सत्तारूढ़ महायुती के लिए चुनावी जंग और मुश्किल हो सकती है।
मराठा समाज खुद करेगा समर्थन का फैसला
महाराष्ट्र के जालना जिले में अपने समर्थकों की बैठक के दौरान मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव से दूरी बनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि एक समाज के रूप में हम अभी चुनावी जीत हासिल नहीं कर सकते। ऐसे में मराठा समाज खुद इस बात का फैसला लेगा कि उसे किस पार्टी या उम्मीदवार को समर्थन देना है। पाटिल ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान 400 पार का नारा देख देने वालों का क्या हाल हुआ है,यह सभी ने देखा है। ऐसे में मराठा समाज के लोगों को अपनी लाइन खुद तय कर लेनी चाहिए।
सियासी दबाव से पाटिल का इनकार
पाटिल के इस बयान का बड़ा सियासी मतलब निकाला जा रहा है। जानकारों का करना है कि उन्होंने इशारों में अपनी बात साफ कर दी है। उन्होंने कहा कि हमने दलित और मुस्लिम समुदाय से उम्मीदवारों की सूची मांगी थी मगर वह सूची हमें नहीं मिल सकी। इसलिए हमने चुनाव में कोई भी उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया है। हमने यह फैसला किसी सियासी दबाव में नहीं लिया है। महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पाटिल के इस ऐलान को सही समय पर लिया गया फैसला बताया है।
एमवीए को फायदा मिलने की उम्मीद
महाराष्ट्र की सियासत में जरांगे के आरक्षण आंदोलन का काफी असर दिखा है। पिछले कुछ महीनों के दौरान मराठों को अलग आरक्षण देने की मांग को लेकर पाटिल ने कई बार भूख हड़ताल की है। इस संवेदनशील मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों का भी उन्हें समर्थन मिलता रहा है। अपने आंदोलन के दौरान वे शिंदे सरकार पर निशाना साधते रहे हैं।
सियासी जानकारों का कहना है कि चुनाव से उनके दूरी बनाने से विपक्षी महागठबंधन एमवीए को फायदा मिलने की उम्मीद है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी को मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में अब खुला मैदान मिल गया है। पश्चिम महाराष्ट्र में 70 और मराठवाड़ा में विधानसभा की 46 सीटें हैं।
जरांगे के उम्मीदवारों के होने की स्थिति में मराठा, दलित और मुस्लिम मतदाताओं में बंटवारे की आशंका जताई जा रही थी जिससे महायुति को फायदा मिल सकता था। अब उनके यूटर्न लेने से बड़ा सियासी असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।