Milkipur By Election 2024 : राम नाम का सहारा भारतीय जनता पार्टी के राजनीति� का मुख्य एजेंडा रहा है। रथ यात्रा से राम मंदिर तक भाजपा ने राम का नाम नहीं छोड़ा, लेकिन राम मंदिर बनने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा। भाजपा अयोध्या यानि फैजाबाद की लोकसभा सीट हार गई। अब भाजपा की निगाह अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का रास्ता अब साफ हो गया है। कहा जा रहा है कि सारे आकलन को फेल करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने कुंदरकी विधानसभा का उपचुनाव जीत लिया, यहां का समीकरण भारतीय जनता पार्टी के अनुरूप नहीं था कुछ ऐसी ही स्थिति मिल्कीपुर विधानसभा सीट की भी है, यहां का भी समीकरण भारतीय जनता पार्टी के अनुरूप नहीं है।
उत्तर प्रदेश उपचुनाव में 7 सीटों पर जीत मिलने के बाद भाजपा का मनोबल मजबूत स्थिति में है, ऐसे में कहा जा रहा है कि भाजपा अपनी इसी रणनीति पर आगे भी काम करेगी। सपा को “बटोगे तो कटोगे” और “एक है तो सेफ है” जैसे नारों की काट फिर नए तरीके से खोजनी होगी। यह चुनाव सिर्फ सीट जीतने तक के लिए सीमित नहीं होगा, यह चुनाव भाजपा के साख का चुनाव है और यहां पर असली जीत रणनीति की होगी।
कब होगा मिल्कीपुर में उपचुनाव?
2022 में मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे अवधेश प्रसाद ने लोकसभा चुनाव के दौरान 13 जून, 2024 को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद से यह सीट खाली हो गई। अवधेश प्रसाद अब फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। भाजपा नेता गोरखनाथ बाबा की याचिका हाईकोर्ट में लंबित होने की वजह से निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की 9 सीटों के उपचुनाव के साथ मिल्कीपुर के उपचुनाव की घोषणा नहीं की थी। अब हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट के अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ला के अनुसार, कोर्ट ने पूर्व विधायक की वापसी प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर याचिका को खारिज कर दिया। इसी के साथ मिल्कीपुर की खाली विधानसभा सीट पर उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया।
नियमों के अनुसार यदि कोई विधानसभा सीट खाली होती है तो 6 महीने के भीतर चुनाव करवाना अनिवार्य होता है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट के मामले में 4 दिसंबर को 6 महीने की मियाद पूरी हो रही है। अब लखनऊ हाई कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी मिलते ही चुनाव आयोग तारीख तय करेगा। माना जा रहा है कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनाव के तारीख की भी घोषणा हो सकती है।
क्या कहता है मिल्कीपुर का इतिहास?
मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में पहली बार वजूद में आई। इसके बाद यहां से कांग्रेस, जनसंघ, सीपीआई, भाजपा, बसपा और सपा ने जीत हासिल की। सबसे ज्यादा यहां से सपा ने 4 बार चुनाव जीता, सपा के अलावा लेफ्ट भी यहां से चार बार चुनाव जीतने में सफल रही। 2008 में परिसीमन के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट एससी के लिए रिजर्व हो गई। लोकसभा 2024 में अयोध्या यानि फैजाबाद से चुनाव जीत कर चर्चा में आने वाले अवधेश प्रसाद ने 2012 में मिल्कीपुर विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीता था। इसके बाद वह 2017 का चुनाव हार गए थे और 2022 में दोबारा अवधेश प्रसाद को जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव में जिस तरह मिल्कीपुर में सपा को बढ़त मिली, उसने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। मिल्कीपुर में बीजेपी को 87879 और सपा को 95612 वोट मिले थे। करीब 8000 वोटो की बढ़त सपा को मिली थी। इसके अलावा मिल्कीपुर का इतिहास कहता है कि उपचुनाव में लगातार सपा को जीत मिलती रही है। अब भाजपा भी अयोध्या की हार का हिसाब बराबर करना चाहेगी।
मिल्कीपुर विधानसभा का समीकरण
जानकारी के अनुसार, मिल्कीपुर विधानसभा में करीब 3 लाख 40 हज़ार 820 मतदाता हैं, जिनमें से 1,82,430 पुरुष और 1,58,381 महिला मतदाता हैं। यदि बात जातीय समीकरण की करें तो यहां पासी, यादव और ब्राह्मण मतदाता सबसे अहम हैं। खबरों के अनुसार, यहां सबसे ज्यादा करीब 65000 यादव मतदाता हैं। 60000 पासी, 50000 ब्राह्मण, 35000 मुस्लिम, 25000 ठाकुर, 50000 दलित, 8000 मौर्य, 1500 चौरसिया, 8000 पाल और करीब 12000 वैश्य मतदाता हैं। इसके अलावा 30000 अन्य जातियों का भी मत है। जानकारों का मानना है कि समाजवादी पार्टी यहां पर यादव, मुस्लिम और पासी समीकरण के सहारे जीत दर्ज करती है। वहीं, बीजेपी सवर्ण, वैश्य और दलित वोटों को अपने साथ लेकर चलती है। 2017 में बीजेपी को अन्य जातियों का भी सहयोग मिला, जिसके कारण भाजपा के बाबा गोरखनाथ ने चुनाव जीत लिया था।
सीएम योगी ने खुद संभाली है कमान
बीते कुछ समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन बार अयोध्या के दौरे पर जा चुके हैं, उपचुनाव के मतदान के दिन भी वह अयोध्या में मौजूद थे। मिल्कीपुर में वह दो सभाएं भी कर चुके हैं अयोध्या में रेप केस का मामला सामने आने के बाद भी सीएम योगी ने सक्रियता दिखाई थी।
अब बड़ा सवाल यह है कि मिल्कीपुर के समीकरण में भारतीय जनता पार्टी कैसे सेंध लग पाएगी? क्या “एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे” का नारा मिल्कीपुर में काम आएगा? क्या कुंदरकी की तरह मिल्कीपुर में भी समीकरण का आकलन बदल जाएगा? या अन्य जातियों का वोट लेने के लिए भाजपा को अपने सहयोगी दलों का सहारा लेना पड़ेगा?