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    Home » MP Famous Sagar Jheel: खूबसूरती का बेजोड़ नमूना है सागर, प्रकृति, पौराणिकता और पर्यटन का अद्वितीय संगम
    Tourism

    MP Famous Sagar Jheel: खूबसूरती का बेजोड़ नमूना है सागर, प्रकृति, पौराणिकता और पर्यटन का अद्वितीय संगम

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 8, 2025No Comments7 Mins Read
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    MP Famous Tourist Place Sagar Jheel (Photo – Social Media) 

    MP Famous Tourist Place Sagar Jheel (Photo – Social Media) 

    MP Famous Sagar Jheel: सागर का इतिहास 17वीं शताब्दी से जुड़ा है, जब यह क्षेत्र बुंदेला शासकों के अधीन था। यह क्षेत्र गोंड राजाओं का गढ़ भी रहा, जिन्होंने यहां अपनी संस्कृति और वास्तुकला की अमिट छाप छोड़ी। 1818 में यह ब्रिटिश शासन में आ गया और फिर इसे सागर और नरसिंहपुर के जिलों में बाँटा गया। ब्रिटिश काल में ही यहाँ डॉ. हरिसिंह गौर जैसे शिक्षाविद् का जन्म हुआ, जिन्होंने बाद में देश को एक उत्कृष्ट विश्वविद्यालय दिया।यहां की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाती झीलों और पहाड़ियों का जादू किसी को भी रोमांचित करने ने सक्षम है।

    सागर झील (Lakha Banjara Lake):

    यह शहर का दिल है। इसकी परिधि पर स्थित घाट, बोटिंग पॉइंट और बैठने की जगहें इसे स्थानीय और पर्यटकों दोनों के लिए पसंदीदा बनाती हैं। झील के पास बसे राजा लक्ष्मण सिंह की हवेली से इसका दृश्य अविस्मरणीय होता है।

    कटोरी ताल

    एक शांत और सुंदर स्थान, जो एक प्राकृतिक झील जैसा ही अनुभव देता है। यह विशेष रूप से परिवारों के लिए आदर्श पिकनिक स्थल है।

    गुढ़-रहली झरना

    मानसून के मौसम में सजीव हो उठने वाला यह झरना प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं। यहां के आसपास फैली हरियाली लोगों का मन मोह लेती है।

    विंध्य की पहाड़ियां

    Photo credit- social media 

    Photo credit- social media 

    सागर को चारों ओर से घेरे हुए पहाड़ियाँ ट्रेकिंग, प्राकृतिक दृश्यावलोकन और वन्यजीव प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।

    गढ़पहरा किला और मंदिर

    Photo credit- social media 
    Photo credit- social media 

    गढ़पहरा किला न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यहाँ स्थित मंदिर पौराणिकता की छाया लिए हुए हैं। यहाँ की भूमि को साधकों की तपोभूमि कहा जाता है।

    हनुमान टेकरी

    Photo credit- social media 
    Photo credit- social media 

    शहर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। यहाँ से पूरे शहर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है, खासकर सुबह और शाम के समय।

    भवानी मंदिर, बालाजी मंदिर, राम जानकी मंदिर

    Photo credit- social media 

    Photo credit- social media 

    ये मंदिर धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं और नवरात्रि, राम नवमी जैसे पर्वों पर विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।

    सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत

    यहां के लोकनृत्य और संगीत स्थानीय त्योहारों की शान हैं। विशेष रूप से होली पर ‘फाग’ गीतों का आयोजन होता है, जो पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुत किए जाते हैं।

    सागर का शैक्षणिक गौरव

    डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है। इसकी स्थापत्य कला, विशाल पुस्तकालय और हरा-भरा परिसर हर विद्यार्थी और पर्यटक को आकर्षित करता है।

    आधुनिक सागर: बदलता हुआ शहर

    आज सागर न केवल पर्यटन का केंद्र है, बल्कि मध्यप्रदेश के तेजी से विकसित होते शहरों में से एक है। AIIMS, स्मार्ट सिटी परियोजना और रेलवे ज़ोन प्रस्ताव जैसे कदम इसे भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं।

    सागर का ऐतिहासिक महत्व: एक गौरवशाली अतीत की अमिट छाप

    सागर की भूमि केवल प्राकृतिक और धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत समृद्ध रही है। इस नगर की नींव जहां परंपराओं और संस्कृति से जुड़ी है, वहीं यहाँ की वास्तुकला, किले, महल और ऐतिहासिक स्थल हमें बुंदेला शासन, मराठों और अंग्रेजों के दौर की झलक भी देते हैं। आइए जानते हैं सागर के ऐतिहासिक महत्व को विस्तार से:

    1. बुंदेला वंश का प्रभाव

    सागर की स्थापना 1660 ई. के आसपास उदय बन बुंदेला द्वारा की गई थी। बुंदेलखंड क्षेत्र में फैले बुंदेला राजाओं ने सागर को अपनी राजधानी के रूप में विकसित किया। यहाँ कई मंदिर, महल और जलस्रोतों का निर्माण कराया।

    यहां का प्रसिद्ध गढ़पहरा किला उसी समय का प्रतीक है, जो आज भी बुंदेलों की वीरता और स्थापत्य का गवाह है।

    2. गोंड राजाओं की छाया

    बुंदेला शासन से पहले इस क्षेत्र पर गोंड जनजातियों का भी प्रभाव रहा। उन्होंने यहाँ की भूमि को कृषि, जल संरक्षण और धार्मिक रीति-रिवाजों के माध्यम से संवारा। कई गाँवों में आज भी गोंड संस्कृति की छाप देखी जा सकती है।

    3. मराठा शासन और रणनीतिक महत्व

    18वीं सदी में सागर क्षेत्र मराठों के अधीन आया। उन्होंने इसे अपने शासन के रणनीतिक केंद्र के रूप में विकसित किया क्योंकि यह बुंदेलखंड, महाराष्ट्र और विदिशा जैसे क्षेत्रों को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग था।

    मराठों के आने से यहाँ मराठी संस्कृति, भोजन और धार्मिक परंपराओं का प्रभाव भी बढ़ा, जो आज भी कुछ मंदिरों में देखा जा सकता है।

    ब्रिटिश शासन का दौर — सागर छावनी का निर्माण

    1818 में सागर पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। इसके बाद उन्होंने यहां सागर छावनी (Cantonment) की स्थापना की, जो मध्य भारत की प्रमुख सैन्य छावनियों में से एक बनी।

    ब्रिटिश काल में यहां डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई (1946 में), प्रशासनिक भवन, चर्च, रेलवे और न्यायालयों का निर्माण हुआ। अंग्रेजों ने सागर में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नींव रखी। सागर छावनी का चर्च, पुराना जेल, रेजीडेंसी भवन और सिविल लाइन्स की कोठियां आज भी ब्रिटिश कालीन स्थापत्य का उदाहरण हैं।

    स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

    सागर स्वतंत्रता संग्राम में भी पीछे नहीं रहा। यहां कई आंदोलनकारियों ने भाग लिया, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में यहां के युवाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई। डॉ. हरिसिंह गौर, जो भारत के पहले शिक्षाविदों में से एक थे, उन्होंने शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की दिशा में अद्वितीय योगदान दिया।

    शिक्षा और न्यायिक इतिहास

    सागर मध्यप्रदेश का पहला ऐसा नगर था, जहां विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा की शुरुआत हुई। 1946 में डॉ. हरिसिंह गौर ने अपना सारा जीवन-धन लगाकर यहां विश्वविद्यालय की स्थापना की। यहां का विश्वविद्यालय आज भी भारत के सबसे प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है।

    स्थापत्य और पुरातात्विक महत्व

    गढ़पहरा किला — बुंदेला स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।

    वहीं पुराने और बावड़ियां जल संरक्षण की पारंपरिक तकनीकों का प्रतीक हैं।यहां मौजूद मंदिरों के शिखर नागर शैली की झलक देते हैं।

    पुरातात्विक अवशेष — कई स्थलों पर खुदाई में प्राचीन मूर्तियां, औजार और लेख मिले हैं। सागर का इतिहास विविध संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम है, जो बुंदेला वीरता, मराठा अनुशासन, गोंड परंपरा, और अंग्रेजी शासन की आधुनिकता की यहां की हर इमारत, हर सड़क और हर घाट अपने भीतर इतिहास की कहानियां समेटे हुए है। सागर की ऐतिहासिक विरासत न केवल इसे पर्यटन के लिए विशिष्ट बनाती है, बल्कि इसे एक जीवंत संग्रहालय जैसा अनुभव देती है।

    स्थानीय व्यंजन और बाजार

    खोये की जलेबी, दाल बाटी, मालपुआ, और सागर की चाय

    ये यहां के प्रमुख स्वाद हैं, जिन्हें स्थानीय बाजारों में चखना एक अलग ही अनुभव देता है। मोटी कटरा, सिविल लाइन्स बाजार परंपरागत हस्तशिल्प, कपड़े और लोक कला की खरीदारी के लिए ये जगहें आदर्श हैं।

    कैसे पहुंचे सागर (How To Reach Sagar)

    रेल मार्ग: सागर रेलवे स्टेशन दिल्ली, मुंबई, भोपाल, जबलपुर से अच्छी तरह जुड़ा है।

    सड़क मार्ग: राष्ट्रीय राजमार्गों से यह जबलपुर, भोपाल, सांची और खजुराहो जैसे शहरों से सीधे जुड़ा है। निकटतम हवाई अड्डा: जबलपुर (लगभग 160 किमी)।

    सागर में रुकने के लिए स्थान (Best Place To Stay In Sagar)

    सागर में हेरिटेज होटल्स, बजट लॉजिंग और गेस्ट हाउस की अच्छी सुविधा है। विश्वविद्यालय परिसर के पास और झील के किनारे रुकना सबसे रमणीय अनुभव देता है। सागर सिर्फ एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि यह अनुभव है प्रकृति का, अध्यात्म का, संस्कृति का और आत्मिक शांति का। यहां की हवाएं, यहां के घाट, यहां के मंदिर और यहां के लोग सब मिलकर एक ऐसा माहौल बनाते हैं, जो जीवन को कुछ पल ठहर कर जीने का मौका देता है।

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